उज्जैन । देवप्रबोधिनी एकादशी पर प्रारम्भ हुए कालिदास समारोह का समापन 14 नवम्बर गुरुवार को हो जाएगा। इस सात दिनी कला पर्व की अंतिम सांस्कृतिक सन्ध्या वायलिन और बांसुरी की जुगलबंदी भी होगी।
अंतिम सांस्कृतिक संध्या में नईदिल्ली की रचना यादव व साथी कथक की समूह नृत्य प्रस्तुति देंगे। ततपश्चात असगर हुसैन, दिल्ली और डॉ मुज्तबा हुसैन, पटियाला की वायलिन और बांसुरी पर जुगलबंदी होगी।
कलाकारों का परिचय
समूह नृत्य कथक
सुश्री रचना यादव व साथी, नईदिल्ली
सुश्री रचना यादव प्रसिद्ध नृत्यांगना है। वे प्रसिद्ध हिंदी कथाकार राजेन्द्र यादव व मन्नू भंडारी की बेटी है। प्रयाग संगीत समिति इलाहाबाद विश्वविद्यालय से कथक प्रभाकर की उपाधि प्राप्त रचना ने पण्डित जयकिशन महाराज के साथ एकल प्रस्तुतियां भी दी है। 2006 में रचना यादव कथक स्टूडियो, गुड़गांव की स्थापना कर अब वे नई पीढ़ी को भी नृत्य के संस्कार दे रही है।
वादन
(वायलिन) उस्ताद असगर हुसैन, नईदिल्ली
उस्ताद असगर हुसैन प्रसिद्ध वायलिन वादक है। प्रारंभिक शिक्षा पिता उस्ताद अनवर हुसैन से मिली। फिर उस्ताद गौहर अली खां, उस्ताद जहूर अहमद खां और उस्ताद इकबाल अहमद खां से वायलिन के गुर सीखे। रूसी राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में वायलिन वादन कर प्रशंसित असगर हुसैन अनेक राष्ट्रीय कला संस्थाओं से सम्मानित है।
वादन
(बांसुरी) उस्ताद मुज्तबा हुसैन, नईदिल्ली
उस्ताद मुज्तबा हुसैन आठ वर्ष की आयु से बांसुरी बजा रहे हैं। पिता उस्ताद पीर बख़्श और चाचा उस्ताद फ़हीमुल्ला खां के प्रशिक्षण में बजाते हुए इन्होंने प्राचीन कला केंद्र चंडीगढ़ से संगीत विशारद और संगीत भास्कर की उपाधि प्राप्त की। वे हिंदी फिल्मों के लिए अनेक संगीतकारों के साथ भागीदारी कर चुके हैं।