प्रचंड रूप ले रहा कोरोना-महाराज जी

 


उज्जैन (मप्र)


उज्जैन के विश्वविख्यात सन्त उमाकान्त जी महाराज ने लोगों को संदेश देते हुए कहा कि इस समय पर देश और दुनियां के संकट का समय हैं। ये प्राकृतिक आपदाएं जो आ रही है,भूकम्प जो आ रहे हैं।कोरोना रोग प्रचंड रूप ले रहा है,बहुत लोगों की जान जा रही है,बहुत लोगों को इससे परेशानी हो रही है,बहुत से लोग अस्पताल में भर्ती है,बहुत से लोग तड़प रहे हैं,बहुत से लोग मरे पड़े हैं उनका अंतिम संस्कार नहीं हो पा रहा है, बहुत से लोग घरों में कैद है,कोई भूखा है-कोई प्यासा है। तो बहुत परेशानी का समय है।




  • धीरज,धरम, मित्र औऱ नारी आपातकाल परखिये चारी


महाराज जी ने बताया कि ऐसा कहा गया है कि "धीरज,धरम, मित्र औऱ नारी आपातकाल परखिये चारी"
तो इस समय नियम का उल्लंघन नही करना है जो सरकार ने बनाया है,कलेक्टरों ने बनाया हैं, उसको नही तोड़ना है। उसके अंतर्गत रहते हुए ही लोगों को  बताने-समझाने की ज़रूरत है कि उस मालिक को याद करो,जब आदमी हर तरफ़ से निराश हो जाता है तो उस मालिक को याद करता है। तो जब मालिक को याद करोगे दीनता से पुकारोगे तो उसके तो मदद करने के बहुत बड़े हाथ है,बहुत तरीके है। जैसे काल के सज़ा देने के बहुत से हथियार है,वैसे ही मालिक के बचाने के भी है। आप सब लोग जयगुरुदेव नाम का जाप करो, सुमिरन, ध्यान, भजन करों,जो गुरु ने बताया। लोगों को बताते रहों औऱ धीरज रखने की प्रेरणा दो । उतावलेपन में ऐसा कोई काम ना करें जिससे उनकी जान को ख़तरा हो जाये,दूसरों की जान को ख़तरा हो जाये।



  • धर्म मतलब परोपकार 
    महाराज जी ने कहा धीरज,धरम तो धरम किसको कहते है? तो "परहित सरस् धर्म नही भाई"याने 
    परोपकार। भूखें को रोटी खिला देना,दुःखी बीमार को दवा दिला देना,कोई अभाव में है उसकी मदद कर देना। ये है परोपकार।
    सबसे बड़ी चीज़ है जीवात्मा को बचाया जाए,इनकी अकाल मृत्यु ना होने पावे,ये प्रेत योनि में ना जाने पावे,इनके कर्म ऐसे ख़राब ना बनने पावे। हिंसा,हत्या,तोड़फोड़,आंदोलन ना करने लग जाये जिसकी वजह से इनको नरक जाना पड़ जाए। तो इस समय इनको बचाने की ज़रूरत हैं।उन्माद लोगों में पैदा ना होने पावे ये समझाने की ज़रूरत है। क्योकि जब आपातकाल आता है या परेशानियां आती है, तो लोगों के अंदर उन्माद पैदा हो जाता है। तो किसी बात के लिए उन्माद से लोगों को बचाना ये इस वक्त का बड़ा धर्म है।

  • सन्त,महात्मा और ईश्वर को अपना बनाओ


धीरज,धर्म के बाद मित्र की व्याख्या करते हुए सन्त उमाकान्त  जी महाराज ने कहा कि मित्र किसको कहते हैं? जो हमेशा मददगार हो तो बताया गया है "तुम्ही मेरे मित्र,तुम्ही मेरे सखा,मेरे मार्गदर्शक हो" तो वो कौन होता जो पावरफुल होता है।तो पावर किसके अंदर होता है।मनुष्य शरीर मे इस धरती पर संत,महात्मा,गुरु रहते है वो पावरफुल होते है,वो मालिक पावरफुल है,देवी देवता पावरफुल है।उनको अपना बनाओ। कहने का मतलब है कि उनको बराबर याद करते रहो, गुरु को याद करो,



  • इंद्रियों पर रखों नियंत्रण


महाराज जी ने धीरज,धरम, मित्र और नारी की व्याख्या करते हुए समझाया कि नारी मतलब इंद्रियां तो अपनी इंद्रियों को बहुत कंट्रोल कर के रखो,नही तो ये कभी भी धोखा दे देंगी।इस पर ख़ुद भी कंट्रोल रखो औऱ लोगो को भी बताओ ।


जयगुरुदेव


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