श्रीकृष्ण जन्मोत्सव पर झूमे भक्त, बाल स्वरूप कृष्ण पर बरसाए फूल
 

देवास। श्री सूर्यविजय हनुमान मंदिर में महिला मण्डल एवं स्थानीय भक्तगणो द्वारा आयोजित संगीतमय भागवत ज्ञान गंगा महायज्ञ में चौथे दिन श्री कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भागवत कथा में भगवान के जन्मोत्सव को लेकर मंच को फूलों और गुब्बारों से विशेष रूप से सजावट की गई। भागवताचार्य पं. सुभाषचंद्र शर्मा ने देवकी व वासुदेव का अर्थ समझाते हुए कहा कि देवकी यानी जो देवताओं की होकर जीवन जीती है और वासुदेव का अर्थ है जिसमें देव तत्व का वास हो। ऐसे व्यक्ति अगर विपरीत परिस्थितियों की बेडिय़ों में भी क्यों न जकड़े हो, भगवान को खोजने के लिए उन्हें कहीं जाना नहीं पड़ता है। बल्कि भगवान स्वयं आकर उसकी सारी बेड़ी-हथकड़ी को काटकर उसे संसार सागर से मुक्त करादिया करते हैं। हर मनुष्य के जीवन में छह शत्रु हैं, काम, क्रोध, मद, मोह, लोभ व अहंकार। जब हमारे अंदर के ये छह शत्रु समाप्त हो जाते हैं तो सातवें संतान के रूप में शेष जी जो काल के प्रतीक हैं वो काल फिर मनुष्य के जीवन में आना भी चाहे तो भगवान अपने योग माया से उस काल का रास्ता बदल देते हैं। कथा के बीच में भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की आकर्षक झांकी भी निकाली गई। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर पेश किए गए भजनों पर श्रद्धालु झूमते रहे। कथा का समापन 19 दिसंबर को होगा।