इंदौर, सोरायसिस त्वचा की ऐसी स्थिति है जिसमें त्वचा पर मोटे, लाल, पपड़ी दार, खुजली दार धब्बे पड़ जाते है। ये धब्बे आमतौर पर कोहनी, पैर, घुटने, खोपड़ी, हथेलियों और तलवों पर देखे जाते हैं, हालांकि ये शरीर पर कहीं भी हो सकते हैं। सोरायसिस अक्सर चक्रों में होता है, जिसका मतलब है कि किसी समय इसका बहुत ज्यादा प्रभाव दिखाई देगा और ऐसा समय भी होता है जब हफ्तों या महीनों तक लक्षण बहुत कम हो जाते हैं। दवाइयों से लक्षणों पर नियंत्रण रखा जा सकता है।जिन रोगियों को सोरायसिस होता है उन्हें कुछ समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है । मरीजों को सोरायटिक गठिया हो सकता है। इस स्थिति में जोड़ों को नुकसान होता है और उनका काम करना कम हो सकता है। उन मरीजों को टाइप 2 मधुमेह, मोटापा, उच्च रक्त चाप, हृदय रोग और अवसाद जैसी बिमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।डॉ सुनील मालपानी, एमडी, एफ.ए.जी.ई, कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट और कॉस्मेटोलॉजिस्ट ने कहा, “यदि रोगी सोरायसिस के लक्षणों पर सफलता के साथ नियंत्रण करना चाहते हैं और समस्याओं के खतरे को कम करता चाहते हैं तो उन्हें डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा लेनी चाहिए। उपचार का पालन न करने से सोरायसिस पर उपचार का असर कम हो सकता है और स्थिति खराब हो सकती है, जिसके कारण रोगी के जीवन की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। रोगियों को दवाई नहीं छोड़नी चाहिए या किसी भी हालत में उपचार बंद नहीं करना चाहिए। यदि उन पर दवा से कोई दुष्प्रभाव हो रहा है या वे उपचार से खुश नहीं हैं तो मैं कहूंगा कि वे अपने डर्मेटोलॉजिस्ट से बात करें जो जरूरत के हिसाब से दवा को बदल सकते हैं या उसमें सुधार कर सकते हैं।”
डर्मेटोलॉजिस्ट आमतौर पर सोरायसिस की गंभीरता, उपलब्ध उपचार और उपचार की सिफारिश करने से पहले रोगी की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हैं। उपचार तीन प्रकार के होस कते हैंरूहल्के से मध्यम स्तर के सोरायसिस के इलाज के लिए त्वचा पर मेडिकेटेड क्रीम और मलहम लगाए जा सकते दवा के साथ प्राकृतिक या कृत्रिम प्रकाश चिकित्सा (यूवीए और यूवीबी किरणों) भी दी जा सकती ,यदि सोरायसिस गंभीर है या रोगी पर दूसरे उपचारों का असर नहीं हो रहा है या इसमें दूसरे तंत्र भी शामिल हैं तो तो मुंह से ली जाने वाली दवाया बायोलॉजिक इंजेक्शन की सिफारिश की जा सकती है,अध्ययनों के अनुसार, सोरायसिस के 10 में से 4 रोगी अपनी दवा को उस तरह से नहीं लेते हैं जिस तरह से उन्हें लेनी चाहिए और इसलिए उन्हें उम्मीद के मुताबिक नतीजे नहीं मिलते। सोरायसिस एक क्रोनिक समस्या है इसलिए नियमित उपचार लेने के साथ-साथ डर्मेटोलॉजिस्ट के साथ नियमित रूप से मिलना बहुत जरूरी है। दवा के अलावा, शारीरिक रूप से सक्रिय रहने, तनाव को कम करने, धूम्रपान न करने और त्वचा को नियमित रूप से मॉइस्चराइज करने से लक्षणों में सुधार लाने और सोरायसिस को बढ़ने से रोकने में मदद मिल सकती है।