डॉ. भीमराव अम्बेडकर साहित्यिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक एवं सामाजिक, समिति उज्जैन द्वारा आयोजित डॉ. अम्बेडकर नाट्य समारोह की तीसरी शाम द थियेटरिया अनुभूति, इन्दौर द्वारा नंदकिशोर आचार्य रचित हिन्दी नाट्य हस्तिनापुर का मंचन किया गया। जिसका लेखन नंद किशोर आचार्य ने किया।
महाभारत की पृष्ठभूमि पर आधारित यह नाट्य भीष्म की प्रतिज्ञा को कुरूवंश के नाश और महाभारत युद्ध का कारण बताता है। नाट्य की नायिका शुभा है जो अम्बिका की दासी और विधुर की माता है। गांधारी के वन गमन की बात सुनकर वह कुंती को भीष्म प्रतिज्ञा और सत्यवती के सत्ता मोह की घटनाएं बताती है। वह हस्तिनापुर से कुरूवंशी की सत्ता समाप्त होने की खुशी दर्शाती है।
शुभा (शिवानी गुप्ता, इशिता जोशी) के अभिनय ने नाटक को बांधे रखा। अम्बिका (सुरभि बोरदिया) सत्यवती (अनिता जोशी) और भीष्म (क्षितिज शर्मा) का अभिनय सधा हुआ था। कुंती (आयुषी चतुर्वेदी) कृष्ण द्वेपायन (रोमी सेन) ने अपने पात्र के साथ न्याय किया। विदुर (चेतन शाह) प्रहरी (विश्वास जाधव) की भूमिका सामान्य रही।
संगीत पक्ष नाट्य नुरूच था, लेकिन कहीं-कहीं वही रस को तोड़ना सा प्रतीत होता था। प्रकाश (मिलिंद, आकाश) सामान्य था। नाटक वैचारिक और तर्कशक्ति का परिचायक होने के कारण संवाद पर अधिक आधारित था। छोटे -छोटे दृश्यों और बीच में बार-बार ब्लेक ऑउट होने से नाटक को पर्याप्त गति नहीं पा रही थी। यह प्रस्तुति प्रभावशाली रही है। निर्देशक (रविशंकर जोशी) ने कई स्थानों पर सुन्दर कल्पना प्रस्तुत की। इसमें थोड़े पर बेकार की संभावनाए प्रतीत होती है। प्रयास सराहनीय रहा
वंशवाद को चुनौती देती नारी शक्ति : हस्तिनापुर