नृत्यांगना कविता ने दो स्कूलों में व्याखान  दिया व नृत्य से अभिभूत किया

 


 


विद्यार्थी ओड़ीसी नृत्य देखकर मंत्रमुग्ध हो उठे, कलाकार का किया स्वागत


उज्जैन। ताल, लय और स्वर कोई बाहरी वस्तु नहीं अपितु यह हमारी दैनिक दिनचर्या में समाहित है। उक्त उद्गार नईदिल्ली से आई प्रख्यात नृत्यांगना सुश्री कविता द्विवेदी ने मंगलवार को स्पीक मैके द्वारा आयोजित एसआरएफ विरासत 2020 शृंखला के अंतर्गत उज्जैन में दो दिवसीय कार्यक्रम के अंतिम दिवस प्रात: 9.30 बजे शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पंवासा में व्याख्यान देते हुए व्यक्त किए। कार्यक्रम का प्रारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं अतिथियों के स्वागत के साथ हुआ। कविता ने नृत्य प्रदर्शन की शुरुआत राग मोहना में मंगलाचरण से की। इसके बाद राग शंकरा भरण में विभिन्न नृत्य मुद्राओं का मनोहारी प्रदर्शन किया। पेड़, सर्प, मयूर और नदी आदि की नृत्य मुद्राओं का परिचय प्राप्त कर विद्यार्थी भी हर्षविभौर हो उठे। पल्लवी में शुद्ध नृत्य प्रस्तुत करते हुए कविता का उन्मेष प्रभारी बन पड़ा इसमें उनकी तकनीकी दक्षता की बानगी देखने को मिली। स्वागत भाषण प्राचार्य श्री डीएस घोड़वाल ने दिया। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका अनामिका सोनी ने किया। सुश्री कविता ने अपनी दूसरी प्रस्तुति प्रात: 11.30 बजे शासकीय उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय माधवनगर में राग देश एवं एक ताली में निबद्ध कवि लक्ष्मीकांत पारीत की रचना कस्तुरि तिलकम् से की जिसमें उन्होंने कृष्ण के शृंगार का सुंदर वर्णन किया तत्पश्चात ओड़ीसी शैली में नृत्य के अभिनय पक्ष का परिचय वीर भयानक और विभत्स रस के माध्यम से दिया गया। प्रस्तुतियों में अपनी कला गायन, वायलीन एवं मृदल के माध्यम से क्रमश: सुरेश कुमार सेठी, जगबंधु नायक एवं रामकृष्ण बेहरा ने अनुपम रंग प्रदान किए। यहां कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका सैफाली चतुर्वेदी ने किया व आभार सुश्री अर्चना कुल्मी ने माना।


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