धन्वंतरि आयुर्वेद महाविद्यालय में स्वर्णप्राशन 6 और 7 फरवरी को


 
उज्जैन। शासकीय स्वशासी धन्वंतरि आयुर्वेद चिकित्सा महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ.जेपी चौरसिया ने जानकारी दी कि चिकित्सालय के शिशु एवं बाल रोग विभाग के अन्तर्गत स्वर्णप्राशन का अगला चरण 6 और 7 फरवरी को प्रात: 8 बजे से 12 बजे तक महाविद्यालय में किया जायेगा। इस दौरान बच्चों को स्वर्णप्राशन कराया जायेगा। उल्लेखनीय है कि बच्चों में प्रतिरक्षा तंत्र और मस्तिष्क विकास के लिये स्वर्णप्राशन अत्यन्त आवश्यक होता है। साथ ही जन्म से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में यह विशेष प्रभावी होता है।
 स्वर्णप्राशन कार्यक्रम की प्रभारी अधिकारी डॉ.गीता जाटव ने जानकारी दी कि बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र पूर्ण रूप से विकसित न हो पाने से उनमें दिन-प्रतिदिन होने वाले संक्रमण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार तथा शिशु का बार-बार बीमार होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं। स्वर्णप्राशन किसी रोग विशेष की औषधि न होकर बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रेरित कर उन्हें संक्रामक बीमारियों से बचाता है। बच्चों में 90 प्रतिशत तक मस्तिष्क का विकास पांच वर्ष की अवस्था तक हो जाता है। अत: इस उम्र के बच्चों को स्वर्णप्राशन कराने से उनमें सोचने, समझने और सीखने की क्षमता का विकास होता है।
 चिकित्सालय के अधीक्षक डॉ.ओपी शर्मा तथा शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ.वेदप्रकाश व्यास ने आम जनता से अपील की है कि अभिभावक अपने बच्चों का स्वर्णप्राशन कराकर अधिकाधिक लाभ उठायें। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी डॉ.प्रकाश जोशी ने दी।


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