ज्ञानी की पहचान कपड़ों से नहीं होती : स्वामीजी अष्टोत्तर शत श्रीमद् भागवत कथा से लघु सिंहस्थ का नजारा दिखाई दे रहा है
 

उज्जैन। चार धाम मंदिर परिसर में आयोजित अष्टोत्तर श्रीमद् भागवत कथा भक्तों के बीच आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है। सुबह ९ से १२ एवं दोपहर ३ से ६ बजे तक १०८ पंडितों द्वारा एक स्वर में श्रीमद् भागवत का पाठ किया जा रहा है। श्लोकों की ध्वनि से पूरे क्षेत्र का माहौल धार्मिक आस्था का केन्द्र बन चुका है।

मूल पाठ के साथ ही चारधाम मंदिर के पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी शान्तिस्वरूपानंद गिरिजी महाराज की सुमधुम अमृतमय वाणी से संगीतमय कथामृत का रसपान कर रहे हैं। चारधाम मंदिर प्रांगण का पूरा माहौल लघु सिंहस्थ का दिखाई दे रहा है।

कथा के दूसरे दिन विदूर प्रसंग के दौरान स्वामीजी ने कहा कि किसी व्यक्ति की पहचान उसके कपड़ों से नहीं की जा सकती है। जो सरल-निर्मल और सहज होते हैं, उन्हें अपने मान-सम्मान की चिन्ता नहीं होती है, वह अपने ज्ञान का भी प्रदर्शन नहीं करते, जहाँ कहीं आवश्यकता हो, वहीं अपनी बात रखते हैं। कथा की विशेषता यह है कि कथा के मुख्य यजमान भगवान श्री द्वारकाधीश, चारधाम हैं। आयोजक श्री श्रीकृष्ण कथा समिति चारधाम मंदिर ही है। इस पूरे धार्मिक आयोजन की व्यवस्थाएँ चारधाम मंदिर के वेदपाठी बटुकों ने संभाल रखी है। ४ फरवरी को जड़ भरत, प्रह्लाद कथा एवं नृसिंह अवतार की कथा होगी। उक्त जानकारी पं. रामलखन शर्मा ने दी।

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