देवास। महाभारत युद्ध में अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पले पुत्र को अश्वस्थामा ने ब्रह्म अस्त्र चलाकर मारने की कोशिश की और भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से उसकी रक्षा की और अश्वस्थामा को भगवान ने संसार में भोगने के लिए अमरता का वरदान दिया। वास्तव में उसे श्रापित होने के लिए अमर कर रखा है। उसी तरह जो व्यक्ति गर्भ में बेटी को मारने की कोशिश करते है उसे भगवान कभी क्षम्य नहीं करता है। जिस तरह हमारे कानून में कुछ धाराएं ऐसी है जो अपराध को माफ करने योग्य नहीं है। इसी तरह इस जघन्य अपराध के लिए उस पाप की सजा भोगना ही पड़ेगी। श्री राधाकृष्ण महिला मण्डल समिति द्वारा आयोजि तश्रीमद भागवत ज्ञान गंगा में भागवताचार्य आशुतोष शास्त्री (शुक्ल) जी ने व्यक्त किए। आपने कहा कि अंधों का सहारा बनने के लिए अंधा बनने की बजाय उसको सही दिशा दिखाएँ, न कि गांधारी की तरह अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने ही कुल का विनाश करें । गांधारी ने अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर अपने पुत्र के अपराध को नहीं देखा । अगर वह द्रोपदी के चीर हरण के समय ही आंखों से पट्टी उतार देती तो महाभारत का युद्ध घटित नहीं होता, न ही उसके सौ पुत्र मारे जाते। श्रीमद भागवत कथा के वृतांतों में भगवान शिव द्वारा माता पार्वती को अमृत कथा सुनाने का वर्णन, सुखदेव जी के जन्म की कथा, सुखदेव जी द्वारा राजा परीक्षित के मोक्ष हेतु सुनाई गई कथा का सुंदर चित्रण करते हुए अनेक प्रसंगों का आध्यात्मिक विश्लेषण किया। भागवताचार्य द्वारा प्रसंगों के अनुसार मधुर भजन संगीत की स्वरलहरी में सुनाते हुए श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
जो व्यक्ति गर्भ में बेटी को मारने की कोशिश करते है उसे भगवान कभी क्षम्य नहीं करता है