उज्जैन। नारी सम्पूर्ण सृष्टि की जननी है। स्त्रियों में शक्ति का अपार भण्डार है। वह परिवार की नहीं, राष्ट्र निर्मात्री भी है। वर्तमान में उसे मानसिक दृष्टि से मजबूत होना है। नारी परिवार की धुरी है उसके लिए विपरीत परिस्थितियों में संयम रखना ही सबसे बड़ी चुनौती है। स्त्री-पुरुष एक रथ के ही तो दो पहिए हैं। दोनों ही महत्त्वपूर्ण घटक हैं, लेकिन स्त्री को अपनी भूमिका को समझ लेनी चाहिए कि वह सम्पूर्ण समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन करने में सक्षम और सशक्त है। उक्त विचार सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय ऋषिनगर की प्राचार्य, शिक्षाविद्, विदुषी डॉ. स्मिता भवालकर ने विक्रम विश्वविद्यालय की डॉ. अम्बेडकर पीठ के उन्नीसवें स्थापना दिवस पर भारतीय बौद्ध सभा में 'डॉ. अम्बेडकर और नारी उत्थान' विषय पर आयोजित व्याख्यान में कहीं।
डॉ. भवालकर ने कहा डॉ. अम्बेडकर का नारी वर्ग के उत्थान का संकल्प स्त्रियों को मानसिक व वैचारिक सुदृढ़ता प्रदान करना है। बाबा साहेब स्त्रियों को पुरुषों के समान अधिकारों के पक्षधर थे। बाबा साहेब ने अपनी पत्नी श्रीमती सवितादेवी को एक पत्र में कहा था 'मैं स्त्रियों की उन्नति और मुक्ति के लिए लड़ने वाला महान् सेनानी रहा हूँ।Ó महिलाओं को कानून संरक्षण प्रदान करने के लिए बाबा साहेब ने बम्बई विधान परिषद् में महिलाओं को प्रसव अवकाश देने सम्बन्धी बिल का न सिर्फ समर्थन किया, बल्कि इसी में राष्ट्र का हित है, की बात कही। भारतीय नारी के कल्याण की भावना से बाबा साहेब ने हिन्दू कोड बिल का मसौदा बनाया और 5 फरवरी 1951 को संसद में पेश किया। हिन्दू कोड बिल में उत्तराधिकार, भरण-पोषण, विवाह, तलाक, गोद लेना जैसे विषयों पर हिन्दुत्व की एकता तथा गतिशीलता की दृष्टि से ही विचार किया गया था जो निश्चित ही स्त्रियों की विपरीत परिस्थितियों में सहायक सिद्ध हो रहा है। स्त्रियों की आर्थिक समग्रता व सुरक्षा को बाबा साहेब ने वैधानिक स्वरूप दिया है। नि:संदेह बाबा साहेब नारी समाज के उत्थान, विकास व उनके अधिकारों के प्रबल पक्षधर थे।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए अशोक कंचन बौद्ध विहार फाउण्डेशन एण्ड रिसर्च वेलफेयर समिति उज्जैन की सचिव श्रीमती कल्पना कुम्भारे ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर की दृष्टि से स्त्री समाज की आधारशिला है। स्त्री शिक्षा की प्रथम पाठशाला है। स्त्रियाँ अपनी कार्यकुशलता, बुद्धिचातुर्य, सहज ज्ञान, त्याग, तपस्या, धर्म-कर्म के साथ परिवार-समाज को व्यवस्थित व प्रगतिशील बनाती है। यही बाबा साहेब का भी नारी उत्थान का संदेश है।
विशिष्ट अतिथि भारतीय बौद्ध महासभा उज्जैन शाखा के अध्यक्ष श्री रामदासजी जवादे ने डॉ. अम्बेडकर पीठ को उन्नीसवें स्थापना वर्ष की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि डॉ. अम्बेडकर पीठ द्वारा संचालित गतिविधियाँ सिर्फ शैक्षणिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाज उपयोगी भी हैं। डॉ. अम्बेडकर पीठ विद्यार्थियों, शोधार्थियों के साथ-साथ महिलााओं, स्कूल विद्यार्थियों, मलिन बस्तियों में सामाजिक व विधिक जागरूकता के आयोजनों द्वारा बाबा साहेब के संदेशों का प्रचार-प्रसार कर रही है। अतिथि स्वागत श्रीमती भारती उके, श्रीमती पिंकी रायकवार व श्रीमती आशा चौहान ने किया।
कार्यक्रम में जनशिक्षण संस्थान द्वारा संचालित स्कील इंडिया के तहत 'महिला सुरक्षाकर्मी' का प्रशिक्षण लेनी वाली महिलाएँ विशेष रूप से उपस्थित थीं, साथ में प्रबुद्ध महिला संगठन व भारतीय बौद्ध महासभा उज्जैन शाखा की सम्मानित सदस्य व पदाधिकारीगण भी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन, आभार अतिथि स्वागत व डॉ. अम्बेडकर पीठ की उन्नीस वर्षीय यात्रा का प्रतिवेदन शोध अधिकारी डॉ. निवेदिता वर्मा ने प्रस्तुत किया।
नारी समाज को वैचारिक उत्थान की आवश्यकता है - डॉ. स्मिता भवालकर