उज्जैन प्रशासन पूरी तरह से सत्ता पक्ष के हाथ की कठपुतली बन चुका है जिनके दबाव में आकर प्रशासनिक अधिकारी उन्हीं की मंशा अनुसार निर्णय ले रहे हैं कोरोना की इस महामारी से निपटने के लिए प्रशासन को सर्वदलीय बैठक बुलाना चाहिए शहर के वरिष्ठ समस्त लोगों के साथ मिलकर इससे निपटने की योजना बनानी चाहिए परंतु ऐसा नहीं हो रहा है प्रशासन सत्ता पक्ष के दबाव में आकर इसका राजनीतिकरण कर दिया है बुधवार को हमें अखबार के माध्यम से पता चला कि प्रशासन ने मंगलवार को बैठक आयोजित की थी जिसमें उन्होंने सिर्फ सत्ता पक्ष के लोगों को ही बुलाया था जिसमें दबाव के चलते प्रशासन ने पक्षपात करते हुए कांग्रेस के चारों विधायक जनप्रतिनिधि एवं वरिष्ठ नेताओं को दरकिनार कर दिया था बैठक में समस्त प्रशासनिक अधिकारी भी मौजूद थे गौरतलब है कि प्रशासन को दान एवं राज्य सरकार से गरीबों को बांटने के लिए खाने के पैकेट दिए जा रहे हैं परंतु प्रशासन ने सत्ता पक्ष के दबाव में आकर इन्हें स्वयं नहीं बांटने का निर्णय लेते हुए बीजेपी के कार्यकर्ताओं को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी और अन्य दलों के लोगों को एवं जनप्रतिनिधियों को इससे अछूता कर दिया जिससे साफ प्रतीत होता है कि प्रशासन किस तरह से सत्ता के दबाव में आकर काम कर रहा है इनका यह निर्णय अति निंदनीय है जिसका कांग्रेस पुरजोर से विरोध करती है जबकि प्रशासन को इस आपदा में सर्वदलीय दलों के लोगों एवं जनप्रतिनिधियों को सबको साथ में लेकर काम करना चाहिए ना ही इसका राजनीतिकरण करना चाहिए और किसी के दबाव में आकर निर्णय लेना चाहिए अगर प्रशासन ने जल्द ही अपना निर्णय नहीं बदला तो कांग्रेस पार्टी इसका घोर विरोध करेगी एवं हम प्रशासन को बताना चाहते हैं कि सत्ता आती जाती रहती है वर्तमान की स्थिति को देखते हुए बीजेपी के दबाव में काम नहीं करें और यह याद रखें कि कल भी आता है और उसके बाद परसों भी आता है