कर्मो की सज़ा सबको मिलती है - बाबा उमाकान्त जी महाराज

 



वक्त की कीमत होती है।
विख्यात संत बाबा उमाकान्त जी महाराज जो निरंतर सतसंग के द्वारा लोगो को शाकाहारी,सदाचारी बनाने के संकल्प में लगे हुए है । उन्होंने  अपने सतसंग में बताया कि जो भक्त गुरुमुख होते है मालिक पर यकीन करते हैं उनके आदेशों का पालन करते हैं तो उसको अपना घर, अपना धाम मिल ही जाता 
है । तो आप सब भाग्यशाली हो कि आपको सतगुरु मिले, नामदान मिला, मनुष्य शरीर मिला , क्योकि नाम की कमाई इस शरीर से ही कि जा सकती है और अपने धाम भी इसी शरीर से जाया जा सकता है । तो आपको ये समझने की ज़रूरत है । कि वक्त की कीमत होती और अच्छे काम के लिए वक्त खोजा नही जाता है अच्छे वक्त का इंतज़ार नही किया जाता, इंतज़ार करते रहोगे तो वक्त निकल जाता है ।
परिस्थियां जरूरी नही की अनकूल ही रहे कभी प्रतिकूल भी हो सकती है । इसलिए अच्छे काम,परमार्थ कर लेना चाहिए 


कर्म की सज़ा तो भुगतनी पड़ती है 


 पहले कहा जाता था प्रेमियों से की प्रचार कर दो, लोगों को बता दो, समझा दो की आगे मुसीबत आ रही है । उससे बचने के लिए लोगों को आगाह कर दो । अब जिनको प्रेमियों ने जिनको आगाह कर दिया वो सुधर गए ।अब जहा प्रेमी नही जा पाए या नही बता पाए या बताने के बाद भी लोग नही सुधरे, कर्म खराब हो गए तो अब कर्मो की सज़ा मिलने लग गई ।
आप ये भी समझो कि कर्म की सज़ा किसी को मिलती है लेकिन नज़दीक वाले को भी उसकी हवा लगती है ।आप समझो कि आग लगती है तो पास वालों को भी आंच आती है ।


कोरोना का कारण मांसाहार


अब जो ये कोरोना रोग फैल रहा है तो आप समझो कि कहा से चला, वहां से जहा जीवों की जान की कोई कीमत ही नही समझा लोगों ने । बस केवल पेट भरने के लिए, ज़ुबान के स्वाद का निशाना बनाया । चाइना में हर तरह के जीवों को खाने लगे वो तो यही मानते लगे कि सारे जीव खाने के लिए बने है ।पेट भरने के लिए बने है तो आप देखिए ये रोग वही से फैला औऱ वहां से दुनियां में फैलता जा रहा है । तो आप मांसाहार के बुरे कर्म को बन्द कर दीजिए । वरना बुरे कर्मों की सज़ा मिल जाती है । इसलिए शाकाहारी,सदाचारी बनो, जीवों पर दया करो और पूरे महात्मा की खोज कर उनसे नामदान लेकर अपने धाम चलो जिससे इस खराब समय मे आपकी रक्षा भी हो जाये