ऐसा कैसा सख्त प्रशासन?,,, हर एक की जुबां पर एक ही सवाल, लॉक डॉउन तोड़कर 5 लोग शहर में आ कैसे गए

उज्जैन। 2 दिन पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर में गर्भगृह के द्वार तक पांच इंदौरियो का पहुंचना और तमाम कायदे कानून और नियमों के साथ-साथ कोरोना कर्फ्यू को तोड़कर दर्शन करने का मामला सुर्खियों में है, सहायक प्रशासक को मंदिर की सेवा से हटा कर उनके मूल विभाग में भेज दिया गया है ले,कुछ ज्वलंत सवाल अभी भी अनुत्तरित है जिनका जवाब  देना उज्जैन के जवाबदेह सख्त? प्रशासन को देना ही चाहिए। कर्फ्यू और तमाम बैरिकट्स और नाकों पर सख्त जांच, ऐसी सख्त कि कोई अपने बाप की अर्थी को कंधा देना चाहे तो भी बगैर इजाजत के सीमा को पार न कर सके, ऐसे माहौल में इंदौर से एक साथ 5 लोगों का मंदिर में आना और गर्भगृह के समीप तक पहुंचना आश्चर्यजनक है, प्रश्न यह भी है कि जिस मंदिर में राष्ट्रीय आपदा कोरोना के चलते किसी को भी प्रवेश की इजाजत नहीं है , यहां तक कि पंडित और पुजारियों को भी बारी बारी से आने दिया जा रहा है ,नवागत जिलाधीश और पुलिस अधीक्षक को भी शिखर दर्शन से ही संतुष्ट होना पड़ा, ऐसे में एक सहायक प्रशासक की औकात क्या इतनी ज्यादा ही कि वह 5 लोगों को दिलेरी के साथ कैमरों के सामने गर्भगृह तक ले जाएं , ,,, ऐसा लगता है कि उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है, खैर,,,,,, सहायकप्रशासक को दंडित करने वाले सख्त प्रशासक  कोअब उन पांच लोगों को भी खोजना चाहिए जिन्होंने न सिर्फ कर्फ्यू तोड़ा बल्कि इंदौर जैसे हॉटस्पॉट से शहर में बड़े आराम से आ गए, उनके साथ नाकों पर भी कोई पूछताछ नहीं हुई और ना ही उन्हें किसी ने रोका? निश्चित तौर पर यह हिमाकत करने वाले वीआईपी होंगे ,प्रशासन को न सिर्फ इन कथित वीआईपी के चेहरे बेनकाब करना चाहिए बल्कि इनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी करना चाहिए ।क्योंकि पूरा शहर यह जानना चाह रहा है कि कोरोना काल में जब मानवीय संवेदनाओं तक को कसौटी पर कसा जा रहा है, कुछ लोग अपनी जान की बाजी लगाकर अपने कर्तव्य को निभा रहे हैं तो,फिर ऐसे माहौल में आखिरकार इंदौर से 5 लोग शहर में कैसे आ गए। नसीर इन पांच लोगों के खिलाफ बल्कि उन सभी के खिलाफ भी कदम उठाना चाहिए जिन्होंने इन पांच को नाका पार कराने से लेकर हर तरह से मदद की।