प्रोफ़ेसर ने मौत के पहले ""दिल का दर्द"" कविता के माध्यम से बयां किया था...... कल दोपहर में ही कह दिया था अलविदा...... अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है उनकी कविता

उज्जैन। माधव कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और वर्तमान में ग्वालियर में पदस्थ दर्शनविद प्रोफेसर डॉ. हेमंत नामदेव की आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में आज अलसुबह दुखद मृत्यु हो गई, वह कोरोना से जंग हार गए, लेकिन मौत से पहले अपनी जिंदादिली का सबूत भी दे गए,,,,,, कल याने 3 अक्टूबर को उन्होंने अपने एक शिष्य को दोपहर 1.38 पर ही अलविदा कह कर चौंका दिया था, श्री नामदेव को शायद कल दोपहर में ही इस बात का एहसास हो गया था कि जिंदगी को अलविदा कहने का वक्त आ गया है, इसके पूर्व 1 अक्टूबर को जब उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी तब उन्होंने एक स्वरचित कविता के माध्यम से तकदीर को आजमाने और जंग करने की मंशा जाहिर की थी, उन्होंने लिखा था कि........ आ तकदीर तुझे फिर आजमाएं,,,,, तेरी हसरत तो है जंग की,,,,,, तो हो जाए............ हर बार आती तो हो आरपार के मूड में ही............ और सच में इस बार जिंदगी आरपार के मूड में ही आई और नामदेव जी जिंदगी के साथ जंग में हार गए। बेहद सादगी पसंद प्रोफेसर नामदेव जी राजनीतिक कुचक्र में फसकर अपना तबादला ग्वालियर होने से बेहद परेशान थे ,उज्जैन में उनके अंडर में अनेक शिष्यों ने पी .एच- डी की थी और अभी भी पी. एच- डी के बाय-बाय के सिलसिले में ही वे स्लीपर कोच से उज्जैन आए थे संभावना है कि ट्रेन में सफर करते वक्त उन्हें कोरोना ने घेर लिया था.


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