सम्पूर्ण मीडिया तंत्र पर हमला है

अर्नब गोस्वामी@रिपब्लिक भारत उनके नेटवर्क, पत्रकारिता और तौर तरीक़ों से सहमति-असहमति हो सकती है। लेकिन जिस तरीके से एक नेशनल चैनल के संपादक को बिना किसी summons या नोटिस के गिरफ़्तार किया गया, वो सरासर ग़लत है। आज अगर इसपर सवाल नहीं उठाया गया तो कल किसी और का भी नंबर हो सकता है! यह लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ की हत्या है। आज अर्नब को हिरासत में लिया गया है तो दूसरे चैनल बड़े खुश हो रहे हैं! याद रखना ये सिर्फ अर्नब पर नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मीडिया तंत्र पर हमला है।