पत्रकार के कोरोना पॉजिटिव परिवार के साथ अमानवीयता, बड़ा सवाल क्या पूरे सिस्टम को लकवा मार गया है

 उज्जैन। कल अचानक कोरोना मरीजों की संख्या में जो वृद्धि हुई वह चिंतनीय तो है ही साथ ही यह संदेश भी दे रही है कि आम नागरिक यदि अपने कर्तव्य के प्रति सजग नहीं हुआ तो आने वाले दिनों में स्थिति और भी भयावह हो सकती है,,,, लेकिन एक बड़ा सवाल भी कायम है कि क्या उज्जैन के पूरे सिस्टम को लकवा मार गया है?, क्योंकि शहर के एक पत्रकार ने फेसबुक पर उसके कोरोना पॉजिटिव परिवार के साथ जिस तरह की अमानवीयता और प्रशासनिक घोर लापरवाही की गई इसको लेकर जो कुछ लिखा है , वह इस बात का प्रमाण भी है कि शहर के नागरिक से लेकर प्रशासनिक अमला सब के सब शहर को शमशान बनाने में जुटे हैं !वोट मांगने वाले नेता भी इस राष्ट्रीय आपदा के समय परिदृश्य से गायब है,... Infection से बचाने वाले इंजेक्शन को लेकर भी शहर का कोई भी अधिकारी यह बताने को तैयार नहीं है कि आखिरकार इस रेमडेसीविर इंजेक्शन को खरीदने के लिए कोरोना पॉजिटिव मरीज क्या करें ,,,,कहां जाए,,,,,, किस के आगे हाथ जोड़ें,,,,,,,, किस की मिन्नतें करें,,,,,,,।।


यह लिखा पत्रकार ने,,,,,,,

(मेरी आपबीती)

मेरे परिवार में माता-पिता पिछले हफ्ते 30 मार्च को कोरोना संक्रमित हुए,जिन्हें चरक में दाखिल किया गया।

कल पिताजी डिस्चार्ज हुए और आज दोपहर 3 बजे मां को डिस्चार्ज मिला।

3 बजे से 6:15 बजे तक मेरे सारे सम्पर्को को फोन करने के बावजूद मुझे कवरेंटाइन होने के बावजूद मुझे उन्हें लेने जाना पड़ा। यह मेरा कर्तव्य है लेकिन अस्पताल के कपड़ो का कोरोना संक्रमण उनसे मुझमे और मुझसे पूरे परिवार में गया तो कौन जिम्मेदार.?

एम्बुलेंस आ रही है..आ रही है बोलकर बेहद कमजोर हो चुकी मां को नीचे लाकर सीढ़ियों पर बैठा दिया गया।

CMHO को फोन किया,msg किया,लेकिन पोस्ट लिखने तक कोई रिप्लाई नही आया।

सुबह डिस्चार्ज के वक़्त मरीज को बोल दिया गया चले जाइये.....

कैसे..?

ये मरीज जाने।

अगर वह ऑटो से जाए। और ऑटो वाला संक्रमित होकर पूरे शहर में घूमेगा तब.?

माना बहुत दबाव में है स्वास्थ्य विभाग।

कईं दोस्तो ने मदद भी काफी की।

लेकिन क्या 3 घण्टे में एक भी एम्बुलेंस चरक तक नही आई या गयी..?

कल डिस्चार्ज पिताजी के लिए भी इतने ही पापड़ बेले.. उनकी 2nd नेगेटिव रिपोर्ट भी हमे नही पता..

3 दिन पहले मां के ब्लड टेस्ट के लिए पूरे 2 दिन dr, cmho यहां तक मंन्त्री-विधायक, प्रेस के लोगों से कहलवाने के बाद सेम्पल लिया गया।

इस पोस्ट का उद्देश्य सिर्फ यह है कि जब सब जगह बातचीत और पहुंच रखने वाले पत्रकार के घर वालो के साथ ऐसी लापरवाही हो रही है तो एक सामान्य को तो घोलकर पी जाया जाता होगा।

एक तरफ संक्रमित को अस्पताल भेजकर घर पर बेरिकेड्स लगाकर परिजनों को रोका जाए, और दूसरी तरफ उसके परिजन सीढ़ियों पर बैठाए जाए तो आखिर क्या किया जाए.?

मित्रों इसका सिर्फ 1 हल।

खुद को और परिवार को कोरोना होने ही मत दो।

वरना आप मंन्त्री,संतरी जो भी हो।


दाम तो आपको देना ही पड़ेगा।

मास्क लगाओ,घर पर रहो🙏🏼

विकास शर्मा

दैनिक अमर श्याम

#तिरिभिन्नाट

#tiribhinnat 

 *ki Facebook wall se साभार

*

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