उज्जैन में ब्लैक फंगस से दो की आंखे हमेशा के लिए बंद हुई,,, 15 बिस्तरों का वार्ड छोटा पड़ेगा,,, आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 10 से अधिक मरीज भर्ती,,,,,,,,, क्या है ब्लैक फंगस और कैसे बचे इस जानलेवा बीमारी से

 



उज्जैन। ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है जिस तरह प्रतिदिन इस बीमारी से ग्रस्त मरीज आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, उससे लगता है कि अस्पताल में मौजूद 15 बिस्तरों वाला वार्ड विस्तारित करना पड़ेगा, कॉविड 19 के नोडल अधिकारी डॉक्टर सुधाकर वैध से प्राप्त जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को 2 मरीजों को भर्ती किया गया है, जबकि 10 मरीज पहले से ही इस बीमारी से पीड़ित  होकर भर्ती है, 5 मरीजों का ऑपरेशन किया जा चुका है ,ऑपरेशन के दौरान फंगस निकाला जा चुका है ,लेकिन एंटी फंगस इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों में फिर से फंगस बनने की समस्या हो सकती है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी के मुताबिक 2 मरीजों की आंखों की रोशनी इस बीमारी से जा चुकी है। आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में 10 से अधिक डॉक्टरों का स्टाफ ब्लैक फंगस पीड़ित मरीजों को देख रहे हैं। डॉ वैध नहीं के मुताबिक आज भर्ती हुए 2 मरीजों को कोविड-19 होने के कारण उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया है, उनका ऑक्सीजन लेवल मेंटेन होने के बाद तथा शुगर कंट्रोल में आने के बाद ब्लैक फंगस का ऑपरेशन किया जाएगा ।उन्होंने दवाइयों की कमी को बड़ी परेशानी बताते हुए कहा कि यदि समय पर दवाइयां उपलब्ध नहीं हुई तो फंगस के दुष्परिणाम सामने आ सकते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ मरीजों ने बाहर से दवाइयों की पूर्ति कर ली है लेकिन उज्जैन शहर में इंजेक्शन उपलब्ध नहीं होने के कारण मरीजों की आंख को खतरा बना हुआ है।


म्यूकोरमायकोसिस संक्रमण यानि ब्लैक फंगस 

देश कोरोना संकट से जूझ ही रहा है कि इस बीच म्यूकोरमायकोसिस संक्रमण यानि ब्लैक फंगस का एक और खतरा लोगों पर मंडराने लगा है. यह बीमारी उन कोरोना पीड़ित मरीजों में देखने को मिल रही है जो डायबिटीज से पीड़ित हैं. दुर्लभ किस्म की यह बीमारी आंखों में होने पर मरीज की रोशनी भी खत्म कर दे रही है. आईसीएमआर ने बताया है कि यह शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. इस बीमारी से शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में हम आपको आज बताएंगे इसके खतरे, लक्षण और बचाव के तरीके.

क्या है ब्लैक फंगस?

भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, ब्लैक फंगस एक दुर्लभ तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त थे. यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है

क्या इससे मौत होती है?

इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रौशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है

क्या है लक्षण?

यह संक्रमण ज्यादातर उन्हीं मरीजों में देखने को मिला है जो कि डायबिटीज से पीड़ित हैं. ऐसे मरीजों को डायबिटीज पर कंट्रोल रखना चाहिए. विशेषज्ञों के मुताबिक ब्लैक फंगस के कारण सिर दर्द, बुखार, आंखों में दर्द, नाक बंद या साइनस के अलावा देखने की क्षमता पर भी असर पड़ता है.

काम की सलाह?

अगर किसी व्यक्ति में ये लक्षण दिखे तो उसे तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए. विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना संक्रमण या उसके डर के कारण कई बार लोग बिना डॉक्टरी सलाह के या ज़रूरत से ज़्यादा स्टेरॉयड ले लेते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसा करने से ब्लैक फंगस का खतरा होता है.



मौजूदा वक्त में इस बीमारी से निपटने के लिए अभी सुरक्षित सिस्टम नहीं है. इसकी दवा की शॉर्टेज या कालाबाज़ारी अभी से ही कुछ जगहों पर होने की खबर आ रही है. ऐसे में विशेषज्ञ बताते हैं कि मौजूदा हालत को देखते हुए सतर्कता ही बचाव का एकमात्र कारण है.

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