उज्जैन। मनहूस अप्रैल अब वापस लौटकर नहीं आए, कोरोना के डर ने अप्रैल में लाशों के ढेर लगा कर सारे शहर को एक सबक भी दिया है की घर से नहीं निकले, मास्क लगाएं, और सोशल डिस्टेंस का पालन हर हाल में करें ,क्योंकि अप्रैल 2021 में शहर की अनेक हस्तियों को हमसे छीन लिया है। मार्च 2020 से मार्च 2021 के बीच 109 मौत हुई ,लेकिन अप्रैल 2021 में 41 मौत से शहर दहल गया है। यह वह मौत है जो अधिकारिक तौर पर बुलेटिन में शामिल की गई है संदिग्ध मौतों को यदि इन आंकड़ों में जोड़ लिया जाए तो जो तस्वीर सामने आएगी उसे शायद देख पाना भी आसान नहीं होगा। अप्रैल 2021 में कोरोना कॉल के ग्रास बने शहर के हर क्षेत्र के शख्स जो चले गए वह वापस नहीं आ सकते। लेकिन अब मई में यह तस्वीर नजर नहीं आए इसके लिए सबको प्रयास करना चाहिए।
एक नजर उन पर जो चले गए
अनीता वाजपेई जज ,पंकज त्रिवेदी कांट्रेक्टर, जयंत कोरनने संगीतज्ञ ,वासुदेव खत्री प्रॉपर्टी ब्रोकर, प्रकाश गुप्ता व्यवसाई, राजेश जैन शिक्षाविद, राजेंद्र सिंह हाड़ा शिक्षक एवं समाजसेवी, प्रोफेसर रामकुमार अहिरवार h.o.d. विक्रम विश्वविद्यालय , प्रोफेसर उदय नारायण शुक्ला कुलसचिव विक्रम विश्वविद्यालय, संजीव कुलश्रेष्ठ शिक्षाविद एवं एडवोकेट, पंडित श्याम व्यास ज्योतिषाचार्य , पंडित महेश उस्ताद श्री महाकालेश्वर मंदिर पुजारी , शिवा कोटवानी राजनीतिज्ञ, अनुराग टीटोव उनकी पत्नी बबीता प्रोफेसर एवं योगाचार्य ,आदर्श विक्रम नगर के एक ही परिवार के विद्युत विभाग में काम कर चुके संतोष जैन उनकी पत्नी मंजुला और बेटी आयुषी, संघ से जुड़े राजेंद्र कुमार और उनके पिता फतेहलाल भटनागर, बेहतरीन फोटोग्राफर मयूर भाई और उनके साथ के अनेक फोटोग्राफर, नयनतारा सुजुकी फर्म के युवा व्यवसाई, अग्रवाल समाज के गिरीश मित्तल और अनेक समाज के बंधु कोरोना काल में हमसे जुदा हुए है, कोरोना ने अनेक युवा भी हमसे छीन लिए है। 1 मई को कोरोना से हेल्थ बुलेटिन में एक भी मौत दर्ज नहीं की गई लेकिन कोरोना के इलाज के चलते कुछ संदिग्ध मौतें 1 मई को भी हुई है। मौत होने का यह सिलसिला मई में थमना चाहिए, इसके लिए आइए हम सब मिलकर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सरकारी डंडे के डर से नहीं बल्कि अपने और अपने परिवार की जान बचाने के लिए करें। शहर की कोई हस्ती फिर इस काल का ग्रास ना बने।