ब्लैक फ़ंगस के नाम से घबराहट ,,,,,,, मीडिया सुबह शाम लोगों में ब्लैक फ़ंगस के नाम से रोज नए नए कार्यक्रम कर जागरूकता कम पर घबराहट अधिक फैला रहा है

 


यहां यह बताना जरूरी है की किस तरह से किसी भी विषय में कैसी कैसी चर्चाएं debate होती हैं जिसका निष्कर्ष अक्सर दुविधामय होता है  covid 19 का मामला और भी अनोखा रहा जहाँ  विशेषज्ञ  डाक्टर कम और शासन प्रशासन और नेता लोग अधिक चर्चा और राय देते दिखे यहां तक की इलाज और इलाज का protocol में भी डाक्टर से ज्यादा इन लोगों ने योगदान दिया या इनकी सुनी गई, इसका नतीजा यह रहा की हर दुसरे दिन sop और treatment protocol और दवाएं तक बदलती रही। तब मिडिया इन नित परिवर्तित sop और protocol की वाह वाही और तारीफ़ करता रहा कसीदे पढता रहा जबकि डाक्टर उस पेनल में दूर कहीं चुपचाप मात्र उपस्थिति की खानापूर्ति करता नज़र आया क्योकि पूरी दुनिया में covid 19 के लिए कोई evidence based ट्रीटमेंट नहीं मिल रहा था सिवाय कुछ limited व्यक्तिगत अनुभवों के, पहली बार मैंने मेडिकल science को इतना लाचार और उलझन असमंजस में दे


किसी भी बीमारी का इलाज दो तरीके से सम्भव होता है 1 curative जहाँ हम बीमारी उसके कारण और इलाज़ में प्रयुक्त दवाएं आय विधिया जो किताबों, दस्तावेजों में है और evedence based मान्यता प्राप्त ह। 2 समुचित पूर्व उल्लेख या अनुभव न होने की स्थिति में दिया जाने वाला त्वरित उपचार symptomatic treatment  covid 19डिमें इलाज़ का दूसरा तरीका ज्यादा अपनाया

परन्तु जिसे विषय, इलाज़ और उतपन्न स्थिति पर हम डाक्टर भी खुल कर फाइनल opinion की तरह अपने अनुभवों को साझा नहीं कर पा   रहे थे या ethically झिझक रहे थे की अधूरा या गलत जानकारी पसरित प्रचारित न हो जाये क्योँकि हमारे पास हमारे ही अनुभवों को ठोस रूप में डिक्लेअर करने के लिए कोई  sufficient data नहीं थे, हम सब यहाँ, वहां के सीमित अनुभवों को आधार बना कर symptomatic और त्वरित राहत देने की दिशा में काम करते नज़र आये वह हमारा दायित्व है,  पीड़ित मानवता को यथा सम्भव इलाज और राहत पहुंचने की आज कोई भी दवाई जो प्रयोग की गई उनमे से कोई भी दवाई समय के साथ खुद को justify नहीं कर पा  रही है

पर मेरे देश में काफी लोग अधूरा और अनावश्यक जानकारी साझा करते नज़र आये

नेता, अधिकारी और न जाने कौन कौन इस बीमारी का इलाज़ और तौर तरीके बनाते और बताते रहे, यह वही लोग हैं जिन्होंने न्यूज़ चैनल्ज़ पर खुले आम स्टेरॉड्ज़ (steroids) को करोना में लाइफ़ सेविंग बताया था और उनकी doses भी खूब डिस्कस की थी।बेशक यह  मीडिया का काम है कि वह हकीक़त आम जनता तक पहुंचाए , उन्हें उन सभी बातों से अवगत कराए को उनके जीवन पर प्रभाव डाल सकती है या दाल रही हैं, पर क्या कभी किसी में महामारी की स्थिति में  कभी खुले आम दवाई का डोज़ बताने के दुष्प्रभावों के विषय में सोचा ? अधूरा ज्ञान गलत ज्ञान और अर्ध  सत्य अफवाह या झूठ से ज्यादा खतरनाक हो सकता है ज्यादा नुक्सान कर सकता है वह भी हमने दे


विटामिन सी से लेकर क्लोरोक्वीन, जिंक , रिमदेसिविर से ले कर स्टेरॉइड, एंटीबायोटिक  से ले कर tocilazumab ,घरेलू नुस्खे से लेकर गोबर गौ मूत्र भाभी जी के पापड़ और भी जाने क्या क्या।  ऐसी परेशानी और महामारी की स्थिति में इंसान स्वयं और अपने प्रियजनों  की रक्षा सुरखा के लिए हर वाह बात स्वीकार कर लेता है जो उसके सहूलियत की होती है जिसमे किसी और की भागीदारी नहीं होती इसका कारण होता है डर और डर  को दूर करने का short cut वाह सहज सी अपना लेता है


पर परेशानी यह हो गई की इंसान स्वविवेक से स्वयं,अपने परिजनों प्रियजनों से लेकर से लेकर हर परिचित को बिना डाक्टरी सलाह के खुद दवाई दे रहा है । इन सब का परिणाम यह हुआ और हो रहा है कि कई मरीज को कोई दवा बिना ज़रूरत के दी जा रही है (बिना उसके साइड इफेक्ट्स या दुष्परिणाम जाने) और अनेक ऐसे हैं जिन्हें वाकई दवा विशेष की जरूरत है वो उस दवा के लिए दर दर भटक रहे हैं


जिन्हें स्टेरॉइड की आवश्यकता नहीं थी उन्हें घर पर मनमाने डोज में स्टेरॉइड दिया जा रहा है। ऐसे कोई मरीज जिन्हें डायबिटीज है, कोई अन्य बीमारी है, बिना सुगर मॉनिटरिंग के लंबे समय स्टेरॉइड उनके लिए घातक हो जाता है, और हो गया। आज हमारे समक्ष mucormycosis या ब्लैक फंगस एक गंभीर समस्या  बन  कर आया है, कल कोई और रोग हमारी इन्हीं गलतियों के कारण इससे बड़ा रूप ले



जहां कोरोना एक नई बीमारी के रूप में आई, उससे जुड़ी कई नई नई समस्याएं भी रोज उभर रही हैं किन्तु डॉक्टर, वैज्ञानिक,मानव मात्र की प्राण रक्षा हेतु निरंतर प्रयासरत रहे और हैं । कुछ बातें मैं बताना चाहता हूँ, मैं स्वयं के २५ वर्ष से ज़्यादा के गहन चिकित्सा इकाई icu के अनुभव को आधार बना कर अपने अनुभव साझा कर रहा हूं।



स्टेरॉइड का उपयोग जिस dose में अभी कारोना के लिए हो रहा है, उससे कहीं अधिक डोज में, कई दिनों तक उपयोग में लाया जाता रहा है, किन्तु वह अस्पताल में या आईसीयू में, विशेषज्ञ की सलाह और निगरानी में होता है। ना सिर्फ शुगर अपितु पूरे शरीर पर बीमारी और दवा का प्रभाव और दुष्प्रभाव देखने के लिए समय से समय पर आवश्यकता अनुसार कई जांचे की जाती हैं। परन्तु आज के परिप्रेक्ष्य में विटामिन, क्लोरोक्वीन, स्टेरॉइड, ज़िंक, हर आम इंसान किस तरह उपयोग और दुरूयोग कर रहा है, शायद हम उसके दुष्परिणाम देख रहे हैं



यहाँ mucormycosis के बारे में यह जानना जरूरी है की वह कब, कहां,कैसे पनपता है और अपने दुष्प्रभाव दिखता है  mucor, rhizomucor सबसे common fungus है इस ग्रुप का जो इस संक्रमण में सबसे अधिक शामिल हैं। ये fungus angioinvasiv है अर्थात     यह आसपास की रक्त वाहिकाओं पर आक्रमण करते हैं और उन्हें नष्ट कर देते हैं जिसके परिणामस्वरूप necrosis (ऊतक परिगलन) औ


dead tissue हो जाती है।अब यह necrotic tissue  इनको और अधिक अनुकूल वातावरण देता है और यह तेजी से बढ़ने लगते (grow) करने लगते  हैं। मानव शरीर में एक अनुकूल स्थान पर पहुंचने के बाद, वे ऊतक के भीतर खुद को विसर्जित कर देते हैं। बीजाणु अंकुरित (grow) होते हैं , बढ़ते वक़्त ये एक विनाशकारी रस छोड़ते हैं जो मेजबान ऊतक को पचाते हैं और तेजी से बढ़ने वाले fungal कवक को पोषण प्रदान करते हैं।जैसे-जैसे ये नाक या गुहा में बढ़ते हैं, वे आसपास के मेजबान ऊतक को लगातार नष्ट कटे जाते हैं कर देते हैं। नाक गुहा और साइनस में हड्डियां नष्ट हो जाती हैं। इनमें कठोर तालु (hard palate),orbital (आँख ) की हड्डियाँ और खोपड़ी की आधार की हड्डियाँ (skull base) की हड्डियां  शामिल हैं। इस फंगस के कारण ही नाक और sinus में काला crust देखा जा सकता है और यही इसे black fungus नाम देता है।  यदि यह orbit आँख की कटोरी या कक्षा को नष्ट कर देता है और आंख की गर्तिका में प्रवेश करता है, तो यह आंखों का उभार, दर्द, जमी हुई आंखों की गति और अंधापन का कारण बन सकता है


एक बार जब यह खोपड़ी के आधार को तोड़कर कपाल गुहा में प्रवेश करता है तो यह प्रमुख धमनियों और शिरापरक झीलों को अवरुद्ध कर देता है जिसके परिणामस्वरूप प्रमुख जीवन-धमकी देने वाले मस्तिष्क के स्ट्रोक और रक्तस्राव होते हैं, बीजाणु कभी-कभी श्वसन प्रणाली की गहराई में जा सकते हैं और आराम से फेफड़े के पैरेन्काइमा (एल्वियोली और ब्रोन्किओल) में रह सकते हैं। यहां कवक तेजी से बढ़ता है, फेफड़े के ऊतकों को नष्ट कर देता है और रक्त ऑक्सीकरण से समझौता करता है। वहां से यह संचार प्रणाली में फैल सकता है जिसके परिणामस्वरूप मरीज़ की जीवन पर संकट पैदा हो सकता है। 


वैसे तो mucormycosis covid-19 संक्रमण के बाद किसी भी समय हो सकता है,परन्तु  covid 19 के मरीज़ों में mucormycosis ज्यादा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि या तो अस्पताल में रहने के दौरान या कई दिनों से छुट्टी के कुछ हफ्तों के बाद तक मरीज़ों की शारीरिक immunity काम या कजोर होती है और यही कारण " fungus के लिए मेजबान के आंतरिक परिवेश में अनुकूल परिवर्तनऔर परिस्थिति  का कारण बनता है और दिए गए चिकित्सा उपचार, अनजाने में कवक के विकास को प्रोत्साहित करता है


जैसे covid-19 वायुमार्ग के म्यूकोसा और रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचाता है। यह सीरम आयरन में भी वृद्धि का कारण बनता है जो फंगस के बढ़ने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। स्टेरॉयड जैसी दवाएं ब्लड शुगर को बढ़ाती हैं। ब्रॉड-स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक्स न केवल संभावित रोगजनक बैक्टीरिया का सफाया करते हैं, बल्कि सुरक्षात्मक bacteria का vericanozole (वोरिकोनाज़ोल)  जैसे कुछ एंटीफंगल एस्परगिलोसिस को तो रोकते हैं लेकिन mucor वहां बिना किसी नुकसान के रहता है और प्रतिस्पर्धा की कमी के कारण पनपता भी है


लंबे समय तक वेंटिलेशन प्रतिरक्षा को कम करता है और सर्किट, ह्यूमिडिफायर, ऑक्सीजन फ्लो मीटर के साथ पानी का उपयोग करके कवक के प्रसारित होने की संभावनाओं को बढ़ते हैं


हर अच्छे अस्पताल में गंभीर मरीज़ो की मदद और उचित देखभाल के लिए विशेष ward या  icu होते हैं वहां इन मरीजों की देखभाल  के लिए विशेषज्ञों की टीम होती है जो मरीज़ों की इलाज़ का protocol तय करती है इस  विशेषज्ञों की टीम में अलग अलग विभागों से सम्बंधित  विशेषज्ञ होते हैं और रोगी की समस्या के अनुसार मिल जुल  कर मरीज़ के हित में  जो सर्वोत्तम हो सकता है उस दिशा में काम करते हैं, उचित दिशा निर्देश तय करते हैं। आवश्ययकतानुसार अनेक विशेष जांचें icu में की जाती हैं जैसे xray abg crp d dimer feritin आदि।  जरा सोचिये यदि ये इलाज का सारा प्रपंच एक आम इंसान घर पर करता है तो आप स्वयं इसकी गंभीरता समझ सकते हैं


ऑक्सीजन के  उपयोग की अपनी समस्याएं है, परन्तु स्टरलाइजेशन, medical grade ऑक्सीजन, ऑक्सीजन का %, कितना कितने समय के लिए और कैसे यह सब भी उतने ही important प्रश्न हैं  जितना ऑक्सीजन का देना उसका  उपयोग, ऐसे गंभीर मरीजो की साफ सफाई का विशेष ध्यान दिया जाता है, इसमें कोई समझौता स्वीकार्य नहीं होता। bed redden मरीजों की निश्चित अवधि में करवट दिलाना position change ताकि bed sore या घाव न बन जाये



किन्तु परिस्थितियों से थके हारे वो लोग जो कि घर पे isolated थे, बिना डॉक्टर की सलाह से mild symptoms में भी high dose में  steroids लेना शुरू कर दिया , बिना किसी qualified supervision के बिना कोई ब्लड शुगर लेवल्ज़ कराए क्युंकी जांचे तो डॉक्टर फालतू में लिखता है, जब गूगल अंकल और youtube आंटी और whatsapp university है तो डॉक्टर की क्या ज़रूरत ? यह एक धरना भी एक बड़ा कारण रही दुस्प्र्भावों की



उपरोक्त सभी के अलावा भी अन्य कुछ और  अभी तक अज्ञात कारकभी mucormycosis को फलने-फूलने के लिए एक आदर्श नुस्खा बनाते प्रतीत हो रहे है। मैंने अपने २५+ वर्षो के career में लगभग २००० से ज्यादा patients को अलग अलग कारणों से ३ दिन से लेकर २ महीनो तक वेंटीलेटर पर रखा है, बेहोशी, post op elective ventilation,poisoning tetanus rabse poly trauma ards multi organ failure post ट्रांसप्लांट ऑर्गन rejection   आदि आदि एक लम्बी लिस्ट है, कइयों को काफी समय तक steroid immunogloblins immunosupprasants आदि सब भी जरूरत होने पर  दिए हम सभी को तो नहीं बचा पाए मैंने और मेरी team ने पहले कभी भी और        किसी को भी ऐसा sever fungal infection नहीं देखा जैसा यह black fungus या mucormycosis में मिल रहा है , आज अब हमें यह सोचना होगा आखिर ऐसा क्यों हो रहा है ? अभी भी मेरे पास ४८ patients है post covid mucormycosis के और ये सारे बाहर के अस्पतालों से इलाज हेतु यहां आये हैं एक भी मेरे अस्पताल ग्रुप का नहीं है, यहां यह बताना आवश्यक है की मेरा अस्पताल ग्रुप सबसे ज्यादा bed पर covid केयर दे रहा है अपन तीनो अस्पतालों की team के साथ                                        



जो बातें शोध,अनुसंधान और अनुभव से सामने आई हैं वो इस प्रकार है....निष्कर्ष निकाला जा सकता है वह हैं    ऊपरी तौर पर जो बातें सामने आ रही हैं उनके अनुसार जो कुछ समझा जा सकता है वह है



1 mucormycosis या  ब्लैक फंगस  covid-19 संक्रमण के बाद किसी भी समय हो सकता है, या तो अस्पताल में रहने के दौरान या कई दिनों से छुट्टी के कुछ हफ्तों के बा


"covid-19 कवक के लिए मेजबान के आंतरिक परिवेश में अनुकूल परिवर्तन का कारण बनता है और दिए गए चिकित्सा उपचार, अनजाने में कवक के विकास को प्रोत्साहित करता है


 2 steroid का inappropriate और  random प्रयो


medical ग्रेड की ऑक्सीजन कई जगहों पर गैस वेल्डिंग के cylinders में ऑक्सीजन भरी गई वह भी infection  का कारण हो सकता है पर उस विकट स्थिति में जो सम्भव था सभी ने वही किया।  


 3 humidifier और ऑक्सीजन flowmeter में  नियमित समय पर sterile distilled water का बदलन। 


 4 आवश्यक उपकरणों की उचित और aseptic देखभाल प्रयोग के पहले आवश्यक sanitisati


5  covid के मरीजों को अस्पताल में सही सामान्य सुरक्षित और सुविधएं मिल रही थीं  जैसे साफ सफाई सफाई बिस्तर से ले कर वार्ड और शौचालय तक १००% अपेक्षा कहि भी पूरी नहीं हो पाई होगी पर सामन्य स्तर और protocol का होना अति आवश्यक है


6 qualified और विशेषज्ञों की आवश्यकता नुसार सेवाएं, मार्गदर्शन और treatment में 


7  adequate nursing sta


8  24 hour qualified trained resdents मरीजों की देख भाल के लिए र


9  sanitisation और asepsis  का कितना ध्यान रखा गया ppe kit अकेला काफी नहीं


मगर सबसे ज्यादा नुक्सान स्टेरॉयड के अति प्रयोग या कहें absue ने किया , इसका परिणाम यह हुआ की steroids से इम्यूनिटी compromise होती गई और co-morbid diabetes से फ़ंगल इन्फ़ेक्शन का रिस्क बढ़ता चला गया, यहां जरूरत से ज्यादा जिंक ने भी असर दिखाया फिर क्या हुआ वो सबको पता है mucormycosis को epidemic घोषित कर देना पड़ा  किसी नेशनल शत्रु की तरह इसका नतीजा..


देश की ईमानदार जनता दुकानदार प्रशासन और नेता की कृपा से इसकी दवा की black marketing शुरू हो गई है , अस्पतालों में कम पर अदिकारियों, नेताओ, और black करने वालो के पास उपलब्ध है। 



15-20 दिन पहले सारी मीडिया चिल्ला चिल्ला के remdesivir की कमी को नेशनल संकट बना खूब दिखाया खूब बड़े बड़े लोगों के साथ दिनों तक चर्चा की जिसके कारण बिना ज़रूरत के लोगों ने दवा ख़रीदी और एडवांस में भविष्य के लिए रख ली, खूब black मार्केटिंग हुई आये दिन नेताओ प्रभावशाली लोगों और प्रशासन की नाक के नीचे बिना माई बाप वाले छुटभैये लोग पकड़े भी गये पर यकीन मानिए उनको कुछ नही होगा, पर आज इसी remdesivir की इतनी पूछ परख नही हो रही



ऑक्सिजन की कमी ....


प्रशासन, सरकार, न्यायालय सब हिल गए थे, विकट विषम, अप्रत्याशित स्थिति थी त्राहि त्राहि हो रही थी और वही सभी को दिखायी भी गयी, hospitals में जरूरत मन्द मरीजों को ऑक्सिजन नहीं मिल रही थी पर जो लोग समाजसेवक हैं, प्रभावशाली है, नेता या अधिकारी हैं  उनको cylinders, आक्सिजन concentrator सब कुछ आराम से मिलते रहे। ऑक्सिजन लंगर लगने लगे, 7 से 8 समाजसेवी (?) घर घर एक सिलिंडर ले के देने लगे,फ़ोटो खिंचवाने लगे जैसी उम्मीद थी जनता से जमकर ब्लैक marketing भी हुई....  


इन समाजसेवी लोगों के पास sanitisation को समझने की समझ और दूरदर्शिता नहीं थी नतीज़न... welding (वेल्डिंग) वाले सिलिंडर में भी ऑक्सिजन भरवा  के लोगों की निःस्वार्थ जनसेवा करने लगे। मेडिकल ऑक्सिजन की जगह industrial ऑक्सिजन की भी सप्लाई हुई, oxygen flow meter humifier  में  non-sterile साधारण पानी का प्रयोग हुआ समाजसेवी लोग facebook whatsapp यूनिवर्सिटी से सीख कर डॉक्टर भी बन गए विशेषज्ञ भी बन गए उनका वश चलता तो टेंट लगा क्र अस्पताल या कोविस सेंटर शुरू कर देने भर की कसर  भर बाकि रह गई थी



धन्यवाद समाजसेवी लोगों और संगठनों नो का जिन्होंने संकट में लोगो की कई तरह से मदद की


कई लोगों ने oxygen concentrator रेंट पर दिए और  दे रहे हैं  पर उसके उपयोग के लिए उसके sanitisation के लिए क्या ? बिना proper senitisation के यह और इसका humidifier fungus को बुलावा और बढ़ावा ही है। वेल्डिंग करने वालो के यहां से cylinder ले कर घर घर oxygen supply का काम निश्चित रूप से सराहनीय है पर कब, कैसे, कितना और कौन सा पानी उसके flow meter में डालना है, उसके tubings mask,इनके sanitisation sterlity asepsis precation के बारे में कौन देखेगा और कैसे ? बड़ा प्रश्न है पर यह वक़्त की आवश्यकता थी /


परन्तु उचित देखभाल, और aseptic practice के बाद भी यदि किसी को फ़ंगल इन्फ़ेक्शन नहीं होगा तो वह मरीज़ वाकई क़िस्मत वाला है



यही कारण है कि ब्लैक फ़ंगल infection बहुत तेजी से फैल रहा है। पहले ये rare hospital acquired इन्फ़ेक्शन था पर अब ये epidemic है।  मुझे याद नहीं आता कि मैने अपनी प्रैक्टिस में ऐसा कभी देखा हो, हफ्तों की बार महीनो मरीज़ को वेंटिलेटर पर रखा उनमे से कई immuno compromised थे post organ ट्रांसप्लांट के भी थे कइयों को high dose steroid भी चल रहे थे , पर इतने बड़े पैमाने और इतनी गंभीरता वाले fungal infection नहीं देखे



और उन लोगों का जो गूगल whatsapp यूनिवर्सिटी से पढ़ कर डॉक्टर बनते हैं और बाक़ी लोगों को करोना का घर बैठे treatment बताते हैं। अपने दूर के रिश्तेदार या किसी और ग्रुप से साझा किये ज्ञान के आधार पर पूरे confidence के साथ guaranteed इलाज बताने वालों से और समाज से मेरी हाथ जोड़ कर  विनती है की कृपया अपने या अपने स्नेहीजनों के जीवन से खिलवाड़ ना करें। उचित अस्पताल में उचित डॉक्टर से सलाह लें, अपनी हर समस्या बताए, कुछ भी छुपाए नहीं, डाक्टर आपके हित के लिए अच्छी भावना से सरे संभव प्रयत्न कर रहे हैं और सदा करेंगे, उनका सहयोग करें। आपके मन में इलाज को लेकर को भो प्रश्न हैं, पूछे, समाधान पाए ,अपनी संतुष्टि करें क्योंकि ये हर मरीज का अधिकार है



इसी कामना और प्रार्थना के साथ की हम इस महामारी को अपनी समझारी, भागीदारी और जिम्मेवारी से शीघ्र पराजित करेंगे



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग् भवेत्


dr.shankar haripriya।।



 .


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