उज्जैन 13 मई। कलेक्टर श्री आशीष सिंह ने गुरूवार को बृहस्पति भवन में कोरोना संक्रमण के बाद कुछ लोगों में हो रही ब्लैक फंगस बीमारी के लेकर चिकित्सकों के साथ बैठक में चर्चा की। कलेक्टर ने कहा कि ब्लैक फंगस बीमारी के संबंध में जन-जागरूकता फैलाई जाने की आवश्यकता है। बैठक में चिकित्सकों द्वारा जानकारी दी गई कि कोविड संक्रमण के दौरान यदि कार्टिको एस्टेरॉईड या अन्य दवावों का उपयोग करने पर ब्लड शुगर लेवल अधिक बढ़ जाता है, जिस वजह से ब्लैक फंगस बीमारी की संभावना खासतौर पर शुगर के मरीजों में बढ़ जाती है।
डायबिटिस के मरीजों में ब्लैक फंगस बीमारी होने का खतरा अधिक है। इसके प्रमुख लक्षण हैं:- चेहरे और आँख में दर्द होना, नाक बंद होना, नाक से काले रंग अथवा लाल रंग का पानी निकलना तथा जब बीमारी बढ़ जाती है तो आँखों से कम दिखाई देने लगता है तथा आँख में और चेहरे के आसपास सूजन आ जाती है। इसका प्रमुख कारण कोविड होना ही है, इस वजह से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। साथ ही कोविड के ईलाज मे दिये जाने वाले इंजेक्शन के साईड इफेक्ट की वजह से ब्लड शुगर लेवल बढ़ने के कारण भी यह रोग हो सकता है। ब्लड शुगर लेवल नियंत्रण में रहे और बाकी उपचार चलता रहे तो इससे बचा जा सकता है।
साथ ही प्रतिदिन नाक की नमकीन पानी से धुलाई (जल नैती) करने से भी इससे बचा जा सकता है। इस रोग के उपचार में सर्जरी की जाती है, जिसमें इण्डोस्कॉपी के द्वारा फंगस का टिश्यू निकाला जाता है। इस रोग से बचाव के लिए अस्पतालों में ऑक्सिजन देते समय डिस्टील वॉटर का प्रयोग किया जाये तथा साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाये। ब्लैक फंगस रोग के लक्षण सामान्य तौर पर कोरोना के ईलाज के दौरान अथवा 4 से 5 दिनों में दिखाई दे सकते हैं। अत: उक्त लक्षण होने पर तुरंत ईएनटी चिकित्सक/ओपीडी मे जाकर परामर्श लें।
बैठक में डॉ. सुधाकर वैद्य, डॉ. राजेन्द्र बंसल, डॉ. तेजसिंह चौधरी, डॉ. जैथलिया, डॉ. राहुल तेजनकर मौजूद थे।