वीडियो वायरल होने के बाद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने चुप्पी साधी,,,,,,,,, प्राइवेट अस्पतालों में भयंकर लूट एक एक बिल का ऑडिट होना चाहिए,,,,,,,, प्रशासन चाहे तो इसके लिए चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम का सहयोग ले सकता है

 




उज्जैन CMHO ने सभी को आदेश दिया कि कोई निजी प्रैक्टिस नहीं करेगा और खुद अपने अस्पताल में मरीजों को देख रहे है, जिस तरह प्राइवेट अस्पताल मनमानी पर उतरे हैं उससे साफ जाहिर है कि उनकी मनमानी पर अंकुश लगाने के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को ही कोई प्लान बनाना चाहिए था वह चाहते तो उज्जैन शहर के युवा चार्टर्ड अकाउंटेंट की टीम का सहयोग ले सकते थे और प्राइवेट अस्पतालों के 11 बिल की ऑडिट करवा सकते थे लेकिन योजना विहीन स्वास्थ्य अधिकारी फोन उठाना तक भी उचित नहीं समझते अपने उन माता हाथों से भी कोई प्रेरणा नहीं लेना चाहते जो रात को 2:00 बजे भी फोन उठाकर आम नागरिक की समस्या दूर करने के प्रयास करते हैं डॉक्टर रोनक एलची और डॉक्टर एचपी सोनानिया ऐसे ही 2 नाम है जो पिछले 1 साल से 24 घंटे अपने फोन चालू रखते हैं और आम मरीजों की हर समस्या का समाधान करने का प्रयास करते हैं।,"" पर उपदेश कुशल बहुतेरे"" की कहावत उज्जैन में चरितार्थ हुई ,कोरोना काल में एक और जहां जिले में पदस्थ अधिकांश चिकित्सक 24 घंटे ड्यूटी देकर मरीजों की जान बचाने में लगे हैं वहीं दूसरी ओर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी अपनी ड्यूटी के दौरान नियम विरुद्ध पैसा कमाने में लगे हैं ,आश्चर्य इस बात का है कि जिसके पास चिकित्सकों के आचरण पर नजर रखने की जिम्मेदारी है वह खुद अपने आचरण को साफ नहीं रख पा रहा है,,, अस्पतालों में जब चारों तरफ भयंकर लूट मची है, प्राइवेट अस्पताल मरीजों की चमड़ी तक नोचने में कोई कसर नहीं रख रहे हैं, ऐसे वक्त टीम बनाकर शासकीय नियमों का पालन करवाने वाले CMHO साहब खुद रुपया कमाने में अपना फर्ज भूल गए,

 उन्होंने अपने मातहत अफसरों को आदेश दिया कि कोई भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेगा। ऐसा करते पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी। आदेश निकालने के पहले और बाद में भी CMHO खुद अपने अस्पताल में मरीजों को तगड़ी फीस लेकर देख रहे हैं। जब सरकार स्वास्थ्य विभाग की टीम एक-एक गतिविधि पर नजर रख रही है, तब विभाग के ही सबसे बड़े अफसर का यह आचरण इस बात का प्रमाण है कि कुछ लोग इस नाजुक वक्त में भी शासन की आंखों में धूल झोंकने में कोई कसर नहीं रख  रहे हैं।


कोरोना माहमारी ने उज्जैन सहित कई शहरों में विकराल रूप लिया जिसके कारण कई लोगो ने अपनों को खोया और अभी भी कई लोग अस्पताल में अपना इलाज करवा रहे है। इस आपदा के दौर में ना सिर्फ निजी अस्पताल संचालित करने वाले डॉक्टर बल्कि सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर सबसे अहम् ड्यूटी निभा रहे। सरकारी अस्पताल मरीजों से भरे पड़े है। अस्पतालों में जगह नहीं है। स्वास्थ्य अमला दिन रात मरीजों की सेवा में लगा हुआ है। लगातार हो रही मौत के बीच उज्जैन के CMHO डॉ महावीर खंडेलवाल का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वह अपने फ्रीगंज स्थित क्षेत्र में संचालित होने वाले निजी क्लिनिक पर मरीजों का इलाज करते हुए दिखाई दे रहे है। वीडियो में ये भी साफ नजर आ रहा है कि CMHO डॉ खंडेलवाल के क्लिनिक के बाहर मरीजों की भीड़ लगी हुई है। डॉ महावीर खंडेलवाल का वीडियो वायरल होते ही स्वास्थ्य अमले में हड़कंप मच गया।  CMHO से आसानी से आम आदमी संपर्क कर सकें ऐसी व्यवस्था को ठेंगा बताते हुए हालात विपरीत है सीएमएचओ ना तो किसी का फोन उठाते हैं और ना ही किसी से बात करना उचित समझते हैं पत्रकारों के फोन उन्होंने नहीं उठाने की कसम खा रखी है रात के अंधेरे में हेल्थ बुलेटिन जारी करने में माहिर सीएमएचओ बुलेटिन में जारी होने वाली गलती पर ध्यान देना तक उचित नहीं समझते, 2 दिन पहले बुलेटिन में 28 मई को कोरोना से एक मौत होना बताया गया भविष्य में होने वाली मौत बुलेटिन में शामिल करने वाले खंडेलवाल अपने कार्य के प्रति कितने सजग है इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।

उज्जैन CMHO ने 28 अप्रैल को उज्जैन, तराना, महिदपुर, बड़नगर, नागदा, खाचरौद, सहित अन्य जगह के मेडिकल ऑफिसर और ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर के नाम पर नोटिस जारी किया। इसमें साफ कहा गया कि कोविड 19 जैसी भयंकर बीमारी उज्जैन जिले में लगातार बढ़ती जा रही है। इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग को जरुरी सेवा में लिया गया है। इस संबंध में कुछ चिकत्सिक शासकीय चिकित्सालय में नहीं रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस पर चले जाते है। यदि ऐसा करते कोई भी चिकित्सक पाया जाता है तो उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन 25 की धारा 56 तथा आईपीसी की धारा 188 में कठोर कार्रवाई की जाएगी।

CMHO महावीर खंडेलवाल का जो वीडियो वायरल हुआ है, उसको बनाए जाने का दावा युवा उज्जैन की टीम ने किया है। युवा उज्जैन की टीम के सदस्य अंकुर नाहर ने बताया कि हमारे एक सदस्य को चरक अस्पताल में भर्ती कराने ले गए तो उन्होंने कहा कि CMHO के आदेश होंगे तब भर्ती करेंगे। इसके बाद CMHO कार्यालय गए तो पता चला कि महावीर खंडेलवाल तो अपने निजी क्लिनिक पर है। इसके बाद फ्रीगंज स्थित कार्यालय में पहुंचकर उनका वीडियो बना लिया। युवा उज्जैन की टीम द्वारा बनाए गए वीडियो में डॉ खंडेलवाल के क्लिनिक पर दीवार पर लगी एक घड़ी भी दिखाई दे रही है। इसमें लगभग दोपहर 1 बजकर 50 मिनिट का समय हो रहा है। यह समय निश्चित रूप से ऑफिस में बैठकर कार्य करने का और कोरोना के नाम पर मची लूट को नियंत्रण में लेने का था।

महामारी के इस दौर में मुख्य चिकित्सा अधिकारी का काम संपूर्ण जिले पर पैनी नजर रखना है। वैसे ही कोरोना को लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था चरमराई हुई है, प्राइवेट अस्पतालों में जमकर मरीजों को लूटा जा रहा है उन पर निगाह रखने वाले आंखें बंद कर अपनी जेब भरने में लगे हैं। ऐसे में CMHO का सरकारी समय में निजी क्लिनिक पर मरीजों के इलाज करने का वीडियो वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस विधायक महेश परमार ने खंडेलवाल को पद से हटाने की मांग की है। सत्ता दल के नेता इस मामले को लेकर चुप है जिला प्रशासन भी एक्शन के मूड में नजर नहीं आ रहा है। सवाल यह उठता है कि जब स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ही नियम तोड़ने में लगे हो तो उनके नीचे की टीम का क्या हाल होगा यह अंदाजा लगाया जा सकता है।

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