संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा ने कहा ,,,,,, अच्छा मुझे एक साल हो गया...! कोरोना में पता ही नहीं चला

 

कमिश्नर डॉ शर्मा से पांच सवाल 

🔻इंदौर कैसे अलग लगा

🔻यहां के संगठन, दानदाता 

🔻तीसरी लहर की क्या तैयारी

🔻जूडा की हड़ताल

🔻आमजन से क्या अपेक्षा

 कीर्ति राणा  की कलम से

 


इंदौर। 

अच्छा मुझे एक साल हो गया....! कोरोना में पता ही नहीं चला।संभागायुक्त डॉ पवन शर्मा का यह जवाब है जब इस प्रतिनिधि  ने  उन्हें बधाई दी।बोले ज्वाइन करते ही कोरोना की रोकथाम, जिलों के दौरे, निरंतर बैठकें रोज ही चल रही हैं, मुझे तो याद भी नहीं कब ज्वाइन किया। 

कमिश्नर डॉ शर्मा बोले यहां आकर ही पता चला कि क्यों इंदौर बाकी शहरों से अलग है स्वच्छता में तो है ही लेकिन इस कोरोना काल में देखा कि लोगों की मदद के लिए दानदाताओं की उदारता हो या वैक्सीनेशन या प्लाजमा डोनेशन हर काम में इंदौर नंबर वन है।ऐसा जज्बा, ऐसी सोच, ऐसी मानवीय संवेदना जिस शहर में हो वह अलग ही नजर आएगा। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भी इंदौर के सहयोग का जवाब नहीं। 

राहत की बात यह है कि इंदौर सहित संभाग के बाकी जिलों में भी कोरोना का अब वैसा दबाव नहीं है।पीक यदि कम हुआ है तो आमजन की सजगता-सतर्कता महत्वपूर्ण है। शासकीय मशीनरी फिर चाहे  प्रशासन, पुलिस हो या नगर निगम हम सब का तो दायित्व है शासन के निर्देश-योजना को अंजाम देना लेकिन नागरिकों की भागीदारी-सहयोग सबसे महत्वपूर्ण है। डॉक्टरों, पैरामेडिकल स्टॉफ बिना संयम खोए जिस तरह सेवा में लगा है उसके प्रति आमजन भी नत मस्तक है।महामारी से निपटने में भूलचूक भी संभव है लेकिन संयम रखना ज्यादा जरूरी है।कोरोना के बाद ब्लेक फंगस के इतने मरीज हो जाएंगे, सोचा नहीं था, अन्य संभागों के मरीज-परिजनों का इंदौर के मेडिकल-हॉस्पटल आदि पर जो भरोसा है उसीका नतीजा यहां आसपास के शहरों के मरीजों का दबाव रहना भी है। आवश्यक दवाइयों इंजेक्शन आदि के संकट में भी प्राथमिकता गंभीर मरीजों वाली रखी गई। अब तो इंजेक्शन आदि का संकट भी टल गया है। 

तीसरी लहर में बच्चों पर प्रभाव की आशंका जाहिर की जा रही है तो हमारी तैयारियों में भी कमी नहीं है।अभी चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में 100 और  एमवायएच में 50 बेड हैं।पीडियाट्रिक और नियोनेटल वार्ड में ऑक्सीजन का संकट ना आए, इस दिशा में 57 ऑक्सीजन प्लांट संभागके जिलों में स्थापित कर रहे हैं।इसी के साथ एमवायएच में लिक्वड ऑक्सीजन के प्लांट दो से बड़ा कर पांच कर रहे हैं।  बच्चों के बेड 500 कर रहे हैं, अन्य जिलों में भी इसी दिशा में काम हो रहा है। 

दवाई-इंजेक्शन संकट में इंदौर की गंभीरता समझने वाले टॉप अधिकारियों का भी सहयोग कम नहीं 

सर्वाधिक राजस्व देने, मुख्यमंत्री के सपनों का शहर होने से तो इंदौर वल्लभ भवन में टॉप पर है ही। कोरोना रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री चौहान ने जो महत्वपूर्ण पदों पर तुरत-फुरत बदलाव कर (पूर्व संभागायुक्त रहे) आकाश त्रिपाठी को कमिश्नर हेल्थ और मार्कफेड एमडी पी नरहरि (पूर्व कलेक्टर इंदौर) को रेमडेसिविर सहित अन्य जीवनरक्षक दवाइयों की प्रदेश में आपूर्ति की जिम्मेदारी दी उससे भी इंदौर के प्रशासनिक अमले को कोरोना नियंत्रण में मेडिकल हेल्प सहायक रही है। ये दोनों अधिकारी इंदौर की जरूरत को बेहतर तरीके से समझते हैं। और अभी जो जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल का असर स्वास्थ्य सेवाओं के लिए चिंता का विषय बनता जा रहा है तो आयुक्त नेशनल हेल्थ मिशन निशांत वरबड़े (पूर्व कलेक्टर इंदौर) को जूडा के साथ हर दिन होने वाली बैठकों की प्रगति से कमिश्नर डॉ शर्मा अवगत करा रहे हैं।उन्हें विश्वास है शासन स्तर पर सर्वसम्मत हल निकल आएगा। 



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