उज्जैन। श्री महाकालेश्वर मंदिर की खुदाई के दौरान लगभग 2100 वर्ष पुरानी दीवार मिलने के बाद अब यह अंदाजा लगाया जा रहा है ,कि वर्तमान में मौजूद महाकालेश्वर मंदिर के नीचे मंदिर दबा हुआ मिल सकता है ,अब भविष्य में खुदाई के दौरान रिकॉर्डिंग करने के बाद भी बात भी कही जा रही है, अभी जो साक्ष्य मिले हैं वह ईसा पूर्व के हो सकते हैं, 2020 में भी हजारों साल पुराने पुराने शिलालेख मिले थे जिसकी वजह से कुछ समय के लिए खुदाई का कार्य रोक दिया गया था अब आगे की खुदाई विशेषज्ञों की मौजूदगी में की जाने की योजना बनाई जा रही है। भोपाल से आई टीम ने आज मंदिर पहुंचकर प्राचीन अवशेषों को देखा और उनके नाप भी लिए।
महकाल वन में प्राचीन अवशेष होने की जानकरी पहले भी कई पुरातत्वविद देते रहे है लेकिन बीते एक साल से अधिक समय से महाकाल मंदिर में चल रहे विस्तारीकरण के कार्यो के लिए खोदी गयी मंदिर की जमींन अब प्राचीन मंदिर के अवशेष , इतिहास खोलने लगी है और इतिहासकारो के दावे भी अब सामने आने लगे है। दरअसल दो दिन पहले महाकाल मंदिर के अगर भाग में मिली माता की प्रतिमा और स्थापत्य खंड की जानकरी जैसे ही संस्कृति विभाग को लगी उन्होंने तुरंत पुरातत्व विभाग भोपाल की एक चार सस्दय टीम को उज्जैन महाकाल मंदिर में अवलोकन के लिए भेजा। बुधवार को उज्जैन पहुंची टीम ने बारीकी से मंदिर के उत्तर भाग और दक्षिण भाग का निरक्षण किया। टीम को लीड कर रहे पुरातत्वीय अधिकारी डॉ रमेश यादव ने बताया की ग्यारहवीं , बारहवीं शताब्दी का मंदिर निचे दबा हुआ है जो की उत्तर वाले भाग में है वहीँ दक्षिण की और चार मीटर निचे एक दिवार मिली है जो करीब करीब 2100 साल पुरानी हो सकती है। फिलहाल टीम रिपोर्ट तैयार कर संस्कृति मंत्रालय को सौपेगी
महाकाल मंदिर में तेज गति से चल रहे विस्तरीकर के कार्यो में उस वक़्त ब्रेक था लगा जब 2020 में भी महाकाल मंदिर में करीब 1000 साल पुराने अवशेष मिले थे। मंदिर के अगर भाग में बन रहे विश्राम भवन के लिए खुदाई के काम के दौरान अवशेष सामने आये थे जिसके बाद काम को रोका गया था जिसके बाद पुरातत्व विभाग और आर्क्योलोजी की टीम ने महाकाल मंदिर में आकर अवशेषों को देखा था। लेकिन सोमवार की शाम को मिले अवशेषों बाद संस्कृति मंत्रालय के आदेश पर भोपाल संचनालय पुरातत्व,अभिलेखागार एवं संग्रहालय के चार सदस्य डॉ रमेश यादव ( पुरातत्वीय अधिकारी ), डॉ धुवेंद्र सिंह जोधा ( शोध सहायक ), योगेश पाल ( पर्यवेक्षक ) और डॉ राजेश कुमार आर्कियोलॉजिस्ट की टीम ने आज मंदिर में आकर बारीकी से निरिक्षण किया। डॉ यादव ने बताया की 12 शताब्दी का मंदिर दबा हुआ है प्रतीत हो रहा है जो की मंदिर के उत्तर वाले भाग में स्थित है 1100 वर्ष पुराने अवशेष दबे हुए पाए गए उसमे स्तम्भ खंड ,शिखर के भाग , रथ के भाग , सहित अन्य स्थापत्य खंड मिले है कुछ दिन पूर्व भी मंदिर की सरंचना प्रकाश में आयी थी। लेकिन बड़ी बात ये की दक्षिण की तरफ सरफेस से चार मीटर की गहराई पर एक दिवार के अवशेष मिले है जो की विक्रमदित्य काल के है और करीब 2100 साल पुराने प्रतीत हो रहे है।
वर्ड हेरिटेज मॉन्युमेंट भी मिल सकते है,,,, पुरे महाकाल वन की खुदाई की जानी चाहिए
डॉ रमेश यादव ने दावा किया की महाकाल में चल रहे खुदाई के कार्य को अब जानकारो के निरिक्षण में करने की जरुरत है , यंहा पुरातत्व के बड़े अवशेष भी मिल सकते है हालांकि पूरी रिपोर्ट में मंत्रालय को पेश करेंगे और आने वाले दिनों में पुरे कार्य की रिकॉर्डिंग कराई जायेगी। इधर भोपाल निवासी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक रहे सेवा निवृत डॉ नारायण व्यास ने भी माना की पुरे महाकाल वन की खुदाई की जानी चाहिए अभी जो एविडेंस मिले वो ईसा पूर्व हो सकते है सायंटिफिक पद्दति से स्टडी करवाने की जरुरत है महाकाल मंदिर में वर्ड हेरीटेज मॉन्युमेंट भी मिल सकते है