श्री महाकालेश्वर मंदिर में चल रही खुदाई के दौरान हड्डियां मिलने से क्षेत्र में सनसनी फैल गई है, सूत्रों के मुताबिक इससे पहले 2012-13 में भी कुंभ पर्व के पूर्व टनल खुदाई के दौरान तीन नर कंकाल मिले थे लेकिन उस वक्त यह बात ज्यादा फैलने से रोक दी गई थी, अब फिर हड्डियां मिलने से क्षेत्र के लोगों में चर्चा चल रही है कि आखिरकार मंदिर की नींव में नर कंकाल और हड्डियां किसकी है। फिलहाल हड्डियां मिलने से यहां काम कर रहे मजदूर सहमे हुए हैं। मंदिर के विस्तारीकरण के लिए यहां भोपाल पुरातत्व विभाग की देखरेख में खुदाई कार्य चल रहा है। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि यह कोई नई बात नहीं है। फिर भी इसकी जांच करानी चाहिए। संभवत: ये मुगलकाल के भी हो सकते हैं। मंदिर के मुख्य पुजारी का कहना है कि अग्र भाग में साधु-संत रहते थे। संभावना है कि उनकी भी हडि्डयां हो सकती हैं।
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत महाकाल मंदिर विस्तारीकरण किया जा रहा है। मई माह से हुई खुदाई की शुरुआत में पहले छोटी-छोटी मूर्तियां और कुछ दीवारें मिलीं। पता चला, ये मूर्तियां अति प्राचीन हैं, तो कलेक्टर ने भोपाल पुरातत्व विभाग की टीम को बुलवाया। उन्हीं की देखरेख में खुदाई करवाई गई। धीरे-धीरे खुदाई में परमार कालीन समय में बनवाई गई अलग-अलग मूर्तियां और करीब 1000 वर्ष पुराना मंदिर का ढांचा मिला। अब जैसे-जैसे खुदाई होती जा रही है, कई चौंकाने वाले रहस्य सामने आ रहे हैं।
खुदाई कर रहे रिसर्चर डॉक्टर गोविंद सिंह बताते हैं, खुदाई के दौरान नरकंकाल और हड्डियां निकल रही हैं। इनका अलग से परीक्षण किया जाना चाहिए, लेकिन खुदाई में मानव हड्डी और जानवरों की हड्डी निकलना सामान्य है। माना जा रहा है, जब 1000 वर्ष पुराना मंदिर का ढांचा निकला है। उस समय कि पुरातत्व धरोहरों से पता चलता है कि मुगलों द्वारा जब मंदिरों पर हमला कर लूटपाट की गई थी, उसके प्रमाण इन मंदिरों पर मिल रहे हैं, तो उस समय मुगल आतताईयों ने नरसंहार भी किए थे। यह प्राचीन नरकंकाल और मानव हड्डियां उन नरसंहारों का प्रमाण तो नहीं। इसका प्रमाण भी जांच के बाद ही पता चलेगा।
पहले भी मिल चुके तीन नर कंकाल
मंदिर में सन 2012-13 में कुंभ पर्व को लेकर मंदिर में बनाई जा रही टनल की खुदाई के दौरान भी तीन नरकंकाल मिले थे। उस दौरान कुंभ पर्व के चल रहे कार्यों में नरकंकाल की बात दब गई। डॉ. गोविन्द सिंह जोधा ने कहा कि मंदिर में खुदाई के दौरान अब तक 11वीं शताब्दी का परमार कालीन मंदिर , शिव परिवार की मूर्तियां, मंदिर स्थापत्य खंड उसके भाग, वास्तु खंड, मंजरी, कलश, आमलक, मंदिर के ऊपर 6 फीट का मिट्टी जमा थी।
मंदिर के मुख्य पुजारी महेश पुजारी ने कहा कि नर कंकाल मिलना रिसर्च का विषय है। संभवतः अग्र भाग में पहले कई साधु-संत रहते थे। उस दौरान संतों की समाधि होती थी। ये भी हो सकता है कि कंकाल या हड्डियां उन्हीं साधु-संतों की हों।