मच्छरों के प्रकोप से जनता त्रस्त जिम्मेदारी अपनी मस्ती में मस्त

 

देवास।

 (अतुल बगलीकर) 

शहर में गर्मी के आगमन के साथ ही असमय वर्षा होने के बाद यह आभास होने लगा है कि पूरे शहर में मच्छरों ने अपना कब्ज़ा कर लिया है। जिस तरह से पूरे शहर में मच्छरों ने डेरा डाला है, उसे महसूस हर वर्ग कर सकता है। हां शायद कई लोगों के लिए यह बहुत छोटी बात भी हो सकती है पर आज कहीं ना कहीं सबसे बड़ा विषय यही है। बच्चे, युवा, महिला व बुजुर्ग सभी मच्छरों के कारण बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। देश के सबसे साफ शहर के कुछ इलाकों को यदि छोड़ भी दिया जाए किंतु उस क्षेत्र का क्या जहां पर मजदूर वर्ग, मेहनतकश समाज, मुख्यमंत्री जी की लाडली बहने व मामा के भांजा - भांजी निवास करता है। पिछले कुछ दिनों से देखने में आया है की मच्छरों ने जिस तरह से डेरा डाला है इसके बाद हर वर्ग इससे परेशान सा है। दिन हो या रात आमजन ना रोड पर खड़े हो सकते है ना घर के अंदर बैठ पा रहे है, मच्छरों ने मानों आतंक फैला दिया हो, लेकिन फिर भी नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी धृतराष्ट्र की भूमिका निभाते हुए कोई सुध लेने को तैयार नहीं है। 



महापौर धार्मिक यात्रा में व्यस्त और युवा नेतृत्व वाले जनप्रतिनिधि चुप है। वार्डो के राजनीतिक जिम्मेदार शायद लाडली बहना योजना से फॉर्म भरवा रहे है, किंतु कहीं ऐसा ना हो कि जो पैसा बहनों को मिलेना है उसका उपयोग उन्हें अपने परिवार के स्वास्थ पर ही ना खर्च करना पड़ जाए। इसलिए नगर निगम, प्रशासन के जिम्मेदारों को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए जिससे किसी तरह से इस समस्या का समाधान निकल सके और जनता चैन की सांस ले।

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