बहुचर्चित हनी ट्रैपिंग; कांड , पुलिस क्योंनहीं बना सकती आरोपी को सरकारी गवाह इंदौर/ मध्य प्रदेश के बहुचर्चित और हाई प्रोफाइल हनी ट्रैपिंग कांड में मुख्य आरोपी और गैंग की सरगना आरती दयाल द्वारा जांच एजेंसी को असहयोग करने और बार-बार बीमारी का बहाना बनाकर जांच की गति को ब्रेक लगाने के बाद अब जांच एजेंसी गैंग में अपने फायदे के लिए उपयोग की गई मोनिका यादव को सरकारी गवाह बनाने जा रही है, मोनिका के पिता की शिकायत पर मानव तस्करी का मामला 2 दिन पहले दर्ज किया जा चुका है जांच एजेंसी का मानना है कि मोनिका इस पूरे कांड में इनोसेंट है और देह व्यापार गैंग में उसकी मासूमियत का फायदा उठाकर न सिर्फ उसे बल्कि गरीब परिवार की अनेक बेटियों को उपयोग कर अपना उल्लू सीधा किया है। आरती दल के पास पूरा मास्टर प्लान है लेकिन वह शातिर दिमाग उपयोग कर जांच एजेंसियों को राज नहीं बता रही है इधर हरभजन सिंह के अलावा पुलिस के पास कोई नया फरियादी भी सामने नहीं है ऐसे में जांच की गति को आगे बढ़ाने के लिए उपलब्ध तथ्यों की पुष्टि कर सकें ऐसे में मोनिका यादव को सरकारी गवाह बनाया जा सकता है। कैसे बनते हैं सरकारी गवाह। इंदौर हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संजय तिवारी के अनुसार किसी भी अपराधिक प्रकरण में पुलिस के पास जांच को आगे बढ़ाने के सूत्र यदि हाथ नहीं लगते हैं या फिर अपराधियों के द्वारा सबूतों को छुपाया जाता है ऐसी स्थिति में जब अपराधियों को सजा दिलाने के लिए पर्याप्त सबूत ना हो या उन सबूतों की पुष्टि करने वाला ना हो तो पुलिस या जांच एजेंसी पकड़े गए आरोपियों में से ही किसी एक को इनोसेंट मानकर उसे सरकारी गवाह बनाने के लिए कोर्ट में आवेदन देती है न्यायाधीश आवेदन के बाद आरोपी को कानूनी रूप से बताते हैं कि उसे पहले अपना अपराध कबूल करना पड़ेगा अपराध की सजा भी उसे बताई जाती है इसके बाद भी यदि आरोपी गवाह बनने को तैयार हो तो ऐसी स्थिति में कोर्ट ही तय करती है की उसे सरकारी गवाह बनाया जाए या न जाए ऐसी स्थिति में कोर्ट उसके बयान भी दर्ज करती है ।वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है कि इस मामले में भी क्योंकि मोनिका यादव को आरोपी बनाया जा चुका है ऐसी स्थिति में कोर्ट से परमिशन लेने के बाद ही उसे सरकारी गवाह बनाया जा सकता है।
बहुचर्चित हनी ट्रैपिंग; कांड , पुलिस क्योंनहीं बना सकती आरोपी को सरकारी गवाह