कौन कहता है आसमा में सुराग नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो मध्य प्रदेश के पत्रकार आंदोलन की राह पर है जवानी कलम कि तो हवा हर एक घूंघट खोलती है,
टोक दो तो आंधियों की बोलियों में बोलती है,
वह नहीं कानून जाने, वह नहीं प्रतिबन्ध माने,
वह पहाड़ों पर बदलियों सी उछलती डोलती है,
जाल चांदी का लपेटो,
खून का सौदा समेटो,
आदमी हर कैद से बाहर निकलकर ही रहेगा।
जल गया है चराग़ तो अंधियारा ढल कर ही रहेगा।
कलमकारो को संगठित करके रहेगे।पत्रकारों की समस्याओं को नजरअंदाज कर उन्हें आंदोलन के लिए बात किया जा रहा है वरिष्ठ पत्रकार एवं पत्रकार यूनियन लिडर एस असरार अली ने बताया की जनसंपर्क मंत्री और पी नरहरी पत्रकारो की जायज मांगों को नजर अंदाज कर पत्रकारों को आंदोलन के लिए विवश कर रहे हैं
पत्रकारों एवं अलग अलग संगठनो के लोगो के साथ उपेक्षा को लेकर सरकार के विरुध विद्रोह का बगुल फुंका जा चुका है कारण है जनसंपर्क विभाग मे वर्तमान अधिकारियों से पत्रकारों का सामंजस्य नही मिलना साथ ही कांग्रेस की मीडिया सेल कि प्रवक्ता का जनसंपर्क मे भारी हस्तक्षेप,से सरकार की किरकिरी हो रही है ईस के बाद न समय पर विज्ञापन, न समय पर भुगतान,न ही पत्रकारों कि सुनवाई,केवल कुछउन चंद सरकारी सुविधाएं प्राप्त मोन पात्रकारो को छोड़ दें तो बाकि अलग अलग संगठनो मे फेले लगभग छोटे बड़े लगभग पचास हज़ार पत्रकारो कि विद्रोह रणनीतिक बेठको के अामंत्रण का दोर शुरु हो चुका है कलम से कागज़ पर आज़ाद अठखेलियां खेलते शब्दो कि असमय शब्दलीला समाप्ति के चिंतन मनन कि बातो को लेकर, पत्रकार चिंतित हो उठ खड़ा है, अजब गजब ,अटल हठ, धरना, प्रदर्शन, वाली स्तिथि बन चुकि है वर्तमान भुगतान विसंगतियों को लेकर पत्रकार संगठनो मे जो रोष फेला है,उस से पहले सरकार के खिलाफ जनसंपर्क विभाग के प्रबंधन ने हालात बिगड़ने से रोकने के लिये कोई खास उपाय न किये ओर सरकार के लिये मुश्किले खड़ी करते गये अधिकारी, ओर समझ नही पा रहै है पत्रकारो को साधना केसे है।
कौन कहता है आसमा में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारो