तिब्बतीयो पर चीनी हमले जारी, मानव अधिकारों का हनन


उज्जैन। विश्व मानव अधिकार के 71वें दिवस पर पोताला  तिब्बती शरणार्थीयो ने एक मत से बताया कि तिब्बत में चीन द्वारा मानव अधिकारों का हनन हो रहा है जिसके चलते चीनी प्रशासन की मनमानी ओर तिबत्तियों के अधिकारो के हनन के विरोध में तिबत्ति आत्मदाह करने पर मजबूर हो रहे है अब तक इस विरोध में 10 साल के अंतराल में 156 लोग आत्मदाह कर चुके है जिसमे 130, पुरूष ओर 26 महिलायें शामिल है। इस विरोध के परिणामस्वरूप चीनी प्रशासन  आत्मदाह करने वाले विरोधी के परिवारजनों को भी प्रताड़ित कर रहे है।
क्षेत्रीय तिब्बती युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ट्रॉसी वांगदी ने बताया कि भारत देश की सीमा से लगा तिब्बत 1959 से चीन के अधीन है। 20.5 लाख वर्ग किलोमीटर में फैला तिब्बत चीनी प्रशासन की मनमानी ओर ज्यादती से खासा परेशान है। चिन ने तिब्बत में अपनी जनसंख्या स्थापित करके तिब्बतीयो को अल्पसंख्यक बना दिया है। इसके साथ ही तिब्बतियों के धर्म गुरु दलाई लामजी को भी तिब्बत आने पर प्रतिबंध लगा दिया है। मठ संस्थानों पर चीनी सुरक्षा बलों को तैनात कर दलाई लामा की निंदा ओर भिक्षुओं को गिरफ्तार किया जा रहा है विरोध करने पर गोलीबारी कर परिवार जन को प्रताड़ित किया जा रहा है। साथ ही इनके धार्मिक संस्थानो पर भारत की यात्रा करने के लिए चीनी प्रशासन द्वारा रोक लगाई जा रही है।


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