कथा की पूर्णाहुति पर निकली श्रीमद् भागवतजी की शोभायात्रा


उदास चेहरे पर श्री कृष्ण कृपा रूपी मुस्कान आना ही श्रीमद्भागवत का अंतिम प्रसाद- पंडित व्यास
उज्जैन। श्रीमद् भागवत का मुख्य प्रसाद क्या है, आज के इस भागम भाग भरे जीवन में हर कोई मनुष्य उदास है मायूस है, लेकिन जिसने श्रद्धा से 7 दिन की श्रीमद् भागवत कथा को सुनकर अंगीकृत किया उसके मायूस उदास चेहरे पर कृष्ण की कृपा रूपी मुस्कान का आना ही श्रीमद्भागवत का अंतिम प्रसाद है। प्रसाद वह है जिसमें परमात्मा का साक्षात दर्शन होता है। आप सभी भक्तों भागवत सुनकर जाएं तो आपके चेहरे पर कृष्ण कृपा की मुस्कान बन जाए।
श्री नागेश्वर महादेव मंदिर ढाँचा भवन प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह के अंतिम दिवस की कथा में उक्त उद्गार आचार्य पंडित सुनील कृष्ण व्यास बेरछा मंडी ने व्यक्त किये। कथा के अंतिम दिन आपने द्वारिकाधीश के विवाहों की कथा, कंश की कथा, सुदामा चरित्र और राजा परीक्षित के मोक्ष की कथा का सुंदर वृत्तांत समझाया। कथा की मुख्य आयोजक कौशल परिवार ने श्रीमद् भागवत जी का पूजन किया। उसके पश्चात श्रीमद् भागवत जी की शोभायात्रा नगर की कालोनियों से गुजरती हुई वापस नागेश्वर मंदिर पर आई जहां इस ज्ञान यज्ञ का समापन कर विशाल भंडारे का आयोजन किया गया


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