पिछले 32 वर्ष से रामघाट पर मां शिप्रा के जल की सफाई कर रहे हैं भेरूलाल


 
उज्जैन। शिप्रा नदी में स्नान करने वाले श्रद्धालु समझाईश के बाद भी निर्माल्य सामग्री हार, फूल, कपड़े आदि नदी में डाल देते हैं। नगर निगम के 60 वर्षीय कर्मचारी भेरूलाल विगत 32 वर्षों से सतत छोटी-सी डोंगी में बैठकर इस सामग्री को नदी से बाहर निकालने का काम अत्यन्त ही भक्तिभाव से करते आ रहे हैं।
 भेरूलाल ने कभी भी इस कार्य को बोझ नहीं माना। उनके साथी कर्मचारी बताते हैं कि वे इसे सौभाग्य मानकर काम करते हैं कि मां शिप्रा ने सेवा का अवसर प्रदान किया है। अपने कार्य के दौरान लगातार मुस्कुराते रहने वाले भेरूलाल पूर्ण निष्ठा के साथ नदी से कचरे का संग्रहण करते रहते हैं। नौकरी की कोई समय-सीमा भी उन्होंने तय नहीं कर रखी है। वे घंटों अपने काम में मग्न होकर अपनी नाव को इधर-उधर तैराते रहते हैं। कचरा निकालने के साथ-साथ वे श्रद्धालुओं को समझाईश भी देते रहते हैं कि नदी में कचरा न डालते हुए पृथक से बनाये गये निर्माल्य कुण्ड में प्रवाहित करें। लगातार 32 वर्षों से एक ही स्थान पर काम करने वाले भेरूलाल किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। घाट पर काम करने वाले पंडे हों या पुजारी, सभी उनको स्नेह करते हैं। स्वच्छता के ये सिपाही निश्चित रूप से उज्जैन को स्वच्छता के क्रम में ऊपर रैंक दिलवाने में कामयाब रहेंगे, इसमें कोई संशय नहीं है।


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