रामायण जीना और श्रीमद्भागवत मरना सिखाती है- पंडित व्यास 


श्रीमद् भागवत कथा में मना श्रीकृष्ण जन्मोत्सव, अबीर गुलाल फूलों की हुई बारिश, भक्तों के नृत्य से श्रीमद्भागवत का पांडाल बना वृंदावन
उज्जैन। श्री राम चरित्र मानस ऐसा शास्त्र है जो समाज के हर व्यक्ति को आपस में संबंधों को कैसे जिया जाए वह सिखाता है। पिता के क्या कर्तव्य हैं, पुत्र के क्या कर्तव्य हैं, भाई कैसा हो, मां कैसी हो, पत्नी कैसी हो और तो और जीवन में अगर कोई शत्रु भी बन जाए तो उसके साथ भी कैसा व्यवहार किया जाए, यह राम चरित्र मानस सिखाता है और भागवत शास्त्र मरना सिखाता है। क्योंकि कलयुग में अच्छी मृत्यु आना यह भी परमात्मा की कृपा से है।
नागेश्वर मंदिर ढाँचा भवन में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह के चतुर्थ दिन की कथा में उक्त उद्गार पंडित सुनील कृष्ण व्यास बेरछा मंडी ने रामायण और महाभारत शास्त्र की महिमा का वर्णन सुनाते हुए कही। आपने कहा आज जीना तो आसान हो गया लेकिन मरना बड़ा कठिन है अस्पताल में कई व्यक्ति अपने जीवन और मृत्यु से जूझ रहे हैं जिनके जीवन में भगवत भजन हो उनके प्राण भी आसानी से निकलते हैं। आज जीवन जीना जितना सरल है मरना उतना ही कठिन हो गया है। अच्छी मृत्यु कैसे आए यह सिखाती है श्रीमद् भागवत। राम कथा के माध्यम से आपने भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम के चरित्र को सुंदर मार्मिक प्रसंगों के द्वारा सुनाया। इसके पहले कथा में वामन चरित्र, समुद्र मंथन की कथाओं का सारगर्भित सार आपने सुनाया। कथा पंडाल में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। अपने सिर पर भगवान बालकृष्ण को धारण किए नंद बने व्यक्ति का आगमन हुआ। उसी समय पूरा पांडाल मानो गोकुल बन गया अबीर गुलाल फूलों की बारिश और सभी भक्तों के नृत्य से मानो ऐसा प्रतीत हुआ श्रीमद्भागवत का पांडाल ही वृंदावन है। कथा में श्री कृष्ण का जन्मोत्सव और नंदोत्सव बड़ी धूमधाम से मनाया गया।