इंदौर, देवास का गंदा पानी क्षिप्रा के लिए दुखदायी
 

भोपाल जल सम्मेलन में बोले उज्जैन से पहुंचे क्षिप्रा जल सेवक- क्षिप्रा नदी के सीमांकन और इंदौर, देवास, उज्जैन के अधिकारियों के बीच समन्वय की आवश्यकता- जल्द ही प्रारंभ करेंगे क्षिप्राजी की जल यात्रा

उज्जैन। उज्जैन के साथ देवास, इंदौर के लोग संवेदनशील हैं क्षिप्रा को पुनर्जीवित करने के लिए। लेकिन इंदौर की फैक्ट्रीयों का गंदा पानी क्षिप्रा के लिए दुखदायी है, तीन बड़े प्लांट डले हैं लेकिन मेंटनेंस का खर्च नहीं होने के कारण सांवेर और इंदौर के प्लांट पूरी तरह कार्यशील नहीं है। इंदौर नंबर 1 हो गया लेकिन उसकी पूरी गंदगी क्षिप्रा के माध्यम से उज्जैन आ रही है। देवास की इंडस्ट्रीज का पानी भी क्षिप्रा में मिल रहा है। इस समस्या को दूर करने के लिए उज्जैन के साथ इंदौर और देवास के अधिकारी आपस में समन्वय करें ताकि इस विकराल समस्या से मिलकर निपटा जा सके। इसके साथ ही क्षिप्रा नदी के सीमांकन की भी आवश्यकता है। 

उक्त बात भोपाल में आयोजित जल सम्मेलन में उज्जैन से क्षिप्रा जल सेवक के रूप में पहुंचे रोटरी क्लब के रविप्रकाश लंगर ने कही। जल पुरूष राजेन्द्र सिंह के नेतृत्व में प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित जल सम्मेलन में मुख्यमंत्री कमलनाथ, पीएचई मंत्री सुखदेव पासे, पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल भी मौजूद रहे। उज्जैन से पहुंचे रोटरी क्लब अध्यक्ष सजेन्द्र खरात, सचिव मुकेश जौहरी, धीरेन्द्र रैना, नलिनी लंगर, नंदकिशोर उपाध्याय, गोविंद खंडेलवाल, राजेन्द्र पाहवा, विजय टेलर ने मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी को सतत प्रवाहमान करने हेतु मुख्यमंत्री को ज्ञापन भी सौंपा। इस अवसर पर राजेश बराना देवास, मनीषसिंह इंदौर से भी मौजूद रहे। जल सम्मेलन में रवि प्रकाश लंगर ने कहा कि पीएचई के माध्यम से 2015 में नरवर में काम हुआ था जिससे 53 हेक्टेयर जमीन में पानी का लेबल बढ़ गया था और अब तक कायम है। यदि अधिकारी समन्वय बनाकर काम करना चाहे तो सबकुछ संभव है। रोटरी का काम है समन्वय, उज्जैन में जल सम्मेलन में हमने संकल्प लिया था कि जितने भी विभाग है जो भी जिम्मेदार हैं उनकी संवेदनाओं को जीवित करेंगे, उत्प्रेरक के रूप में काम करेंगे समन्वयक करेंगे कि क्षिप्रा पुनः जीवित हो जाए, जल्द ही क्षिप्राजी की जल यात्रा प्रारंभ करेंगे। आज आवश्यकता है कि प्रदूषण बोर्ड, पीएचई, एरिगेशन विभाग सहित अन्य विभागो के उज्जैन, इंदौर और देवास के अधिकारियों के बीच समन्वय हो। हर व्यक्ति काम करना चाहता है बस जरूरत है समन्वय की। कई बड़े प्रोजेक्ट बन जाते हैं लेकिन मेंटेन नहीं हो पाते और योजनाएं धराशायी हो जाती हैं। इसलिए मोक्षदायिनी क्षिप्रा के अस्तित्व के लिए हम सबको एकजुट होना होगा। 

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