खेतीहर मजदूत श्यामलाल के पुत्र बालमुकुन्द का शुरू से था पढ़ाई में विशेष रूझान, पिछले वर्ष किया था पूरे जिले में टॉप, सुपर-5000 योजना के तहत मिली 25 हजार रुपये की छात्रवृत्ति, अब करेंगे पीएससी की तैयारी

 


उज्जैन । शहर के मक्सी रोड स्थित ग्राम पाटपाला पोस्ट हरसोदन में रहने वाले 47 वर्षीय श्यामलाल मालवीय खेतों में मजदूरी कर अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं। आज के समय में जिनकी आमदनी मात्र 36 हजार रुपये सालाना हो, उनके लिये परिवार की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करना भी मुश्किल हो जाता है। कमजोर आर्थिक स्थिति की वजह से अक्सर ऐसे गरीब परिवार के बच्चों को पढ़ाई से मुंह मोड़ना पड़ता है, लेकिन श्यामलाल के पुत्र बालमुकुन्द उम्र 20 वर्ष की बचपन से पढ़ाई के प्रति गहरी लगन को कमजोर आर्थिक स्थिति भी कम न कर पाई।
बालमुकुन्द ने बताया कि वे शुरू से ही कक्षा में अव्वल आते रहे हैं। केवल एक या दो बार पढ़ने से ही उन्हें पूरा सबक याद हो जाता था। बालमुकुन्द ने पिछले साल कक्षा 12वी एमपी बोर्ड की परीक्षा में पूरे जिले में टॉप किया था। उनके 12वी की परीक्षा में 93.2 प्रतिशत अंक आये थे। वर्तमान में वे बीएससी कम्प्यूटर साइंस के प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। परिवार में माता-पिता और एक छोटा भाई है।
बालमुकुन्द ने 12वी कक्षा तक पढ़ाई शासकीय उत्कृष्ट विद्यालय से की है। 12वी कक्षा के बाद कॉलेज में पढ़ाई करने के लिये उन्हें कई बार सोचना पड़ रहा था। पूरे परिवार में कोई भी इतना पढ़ा-लिखा नहीं था। आगे की पढ़ाई के लिये पर्याप्त रुपये न होने की वजह से बालमुकुन्द को एक समय ऐसा भी लगने लगा था कि शायद अब वे आगे की पढ़ाई नहीं कर पायेंगे। तभी उन्हें एक शिक्षक के माध्यम से मध्य प्रदेश शासन की सुपर-5000 योजना के बारे में जानकारी मिली। उल्लेखनीय है कि यह योजना मध्य प्रदेश शासन के भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल द्वारा संचालित की जाती है, जिसमें श्रमिकों के मेधावी और प्रतिभाशाली बच्चों को अच्छी और उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिये प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती है।
बालमुकुन्द के पिता ने श्रमिक कल्याण योजना के अन्तर्गत रजिस्ट्रेशन करवाया था। बालमुकुन्द ने उक्त योजना के तहत सहायक श्रमायुक्त कार्यालय उज्जैन में छात्रवृत्ति के लिये आवेदन किया और मात्र एक महीने में उनके खाते में 25 हजार रुपये की राशि आ गई। इस राशि के आने से बालमुकुन्द और उनके पूरे परिवार को काफी हद तक सहायता मिली है। बालमुकुन्द की मां पित्ताशय कैंसर से पीड़ित हैं, लेकिन बालमुकुन्द के माता-पिता इस राशि को केवल बालमुकुन्द की पढ़ाई में ही लगाना चाहते हैं। बालमुकुन्द ने बताया कि उनके पिता ने इस राशि का उपयोग कैसे किया जाये, यह बालमुकुन्द पर छोड़ दिया है। उन्हें पूरा विश्वास है कि उनका पुत्र एक दिन अवश्य उनका नाम रोशन करेगा।
बालमुकुन्द ने बताया कि वे उक्त राशि का उपयोग पीएससी की तैयारी में करना चाहते हैं तथा प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं। बालमुकुन्द परिवार के छोटे भाई-बहनों के लिये प्रेरणा बन गये हैं। वे बताते हैं कि उनके जैसे विद्यार्थियों के लिये शासन की सुपर-5000 योजना अत्यन्त मददगार साबित हुई है।


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