मनुष्य सिर्फ सत्संग से ही मनुष्यता को प्राप्त कर सकता है- पं. द्विवेदी
 

देवास। जिस सृष्टि के आधार की खोज विज्ञान अपने प्रारंभिक काल से कर रहा है, लेकिन किसी निर्णयात्मक उत्तर तक नहीं पहुंचा है। मां अपनी इस लीला से स्पष्ट करती है कि सृष्टि का आधार वही हैं। उक्त उद्गार महाशिवरात्रि के महापर्व के उपलक्ष्य में आवास नगर स्थित बड़ी दुर्गा माता मंदिर में आयोजित श्रीमद भागवत कथा में पं. सूरज द्विवेदी (शास्त्री) ने कहीं। उन्होंने कहा कि देवी महात्म्य में अयोध्या के दो राजकुमारो सुदर्शन और शत्रुजीत की जीवन लीला का वर्णन आता है, जिसमें बताया गया है कि जीवन में दो मार्ग हुआ करते हैं एक श्रेय मार्ग और दूसरा प्रेय मार्ग। प्रिय लगने वाले प्रेय मार्ग का चयन कर पहले तो आनंद मिलता है, लेकिन बाद में जीवन शत्रुजीत, दुर्योधन व रावण जैसे पतन की गर्त में डूब जाते हैं, वहीं जो श्रेय मार्ग का चयन करते हैं वे स्वामी विवेकानंद, परमहंस योगानंद, शिवाजी, मीराबाई जैसे महान व्यक्तित्व को प्राप्त करते हैं और समाज के लिए भी कल्याणकारी सिद्ध होते हैं। महाराज श्री ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि कलियुग में कर्म बंधन से बंधकर भी सत्संग एवं भागवत श्रवण करने वाला सत्यनिष्ठ बनकर श्रेष्ठ मनुष्यता को प्राप्त कर सकता है। सत्संग से पशु पक्षियों का जीवन भी सुधरता है। कामी के साथ रहकर कामी बनोगे, मनुष्य के साथ रहकर मनुष्यता प्राप्त करना सरल नहीं है। मनुष्य सिर्फ सत्संग से ही मनुष्यता को प्राप्त कर सकता है। पं. मयंक द्विवेदी एवं मोंटी जाधव ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन 11 हजार पार्थिव शिवलिंग का रूद्र महाअभिषेक 108 जोड़ो द्वारा किया जाएगा। कथा 19 फरवरी तक प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से सायं 5 बजे तक किया चलेगी। समस्त श्रद्धालु भक्तो से भागवत श्रवण कर धर्मलाभ  लेने की अपील की है।

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