उज्जैन । उज्जैन संभाग कमिश्नर श्री अजीत कुमार ने वन अधिकार दावे एवं आपत्ति से सम्बन्धित बैठक में निर्देश दिये कि वन अधिकार दावे आवेदन प्राप्त करने में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी राजस्व विभाग का पूर्ण सहयोग करें। कमिश्नर ने निर्देश दिये कि जब राजस्व विभाग की टीम वन ग्राम पंचायत में आवेदन प्राप्त करने जाती है, तब वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों को भी इसकी सूचना दी जाये एवं वन विभाग के कर्मचारियों से आवश्यक सहयोग लिया जाये। वन विभाग के फारेस्ट गार्ड, रेंजर प्राप्त आवेदन एवं रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करें। उल्लेखनीय है कि गत दिवस यह सूचना प्राप्त हुई थी कि दावे आवेदन प्राप्त करने में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा राजस्व विभाग का सहयोग नहीं किया जा रहा है, न ही राजस्व विभाग की टीम के साथ वे जाते हैं और न ही दावे रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करते हैं। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि यदि वन विभाग का अमला सहयोग नहीं करेगा तो तत्सम्बन्ध में रिपोर्ट प्रस्तुत की जायेगी। कमिश्नर ने कहा कि 2005 से पहले यदि अनुसूचित जनजाति के व्यक्ति का कोई स्थल कब्जा है, तो उसे मान्य किया जाना है।
बताया गया कि रतलाम में शत-प्रतिशत वन अधिकार आवेदन का रजिस्ट्रेशन किया गया है। छह हजार 566 आवेदन अनुसूचित जनजाति के व्यक्तियों एवं पांच आवेदन अन्य व्यक्तियों के दावे के सम्बन्ध में प्राप्त हुए हैं। तीन हजार 807 आवेदनों में सूचना जारी की गई है। मंदसौर में 398 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिसमें 384 आवेदन सही पाये गये, जिनका पंजीयन किया गया है। मुख्य वन संरक्षक श्री अजय कुमार यादव ने बताया कि नीलगाय या अन्य पशुओं से फसल हानि पर मुआवजा राजस्व विभाग द्वारा दिया जाता है। पशु द्वारा हमला करने से हुई मृत्यु पर चार लाख तक की राहत राशि दी जाती है।
उक्त बैठक में मुख्य वन संरक्षक श्री अजय कुमार यादव, कलेक्टर रतलाम श्रीमती रूचिका चौहान, कलेक्टर मंदसौर श्री मनोज पुष्प, कलेक्टर देवास श्री श्रीकान्त पाण्डे एवं सम्बन्धित जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी एवं डीएफओ उपस्थित रहे।
वन अधिकार दावे प्राप्त करने में वन विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी राजस्व विभाग का पूर्ण सहयोग करें -कमिश्नर