व्यंग्य एक विवशता जन्य हथियार है - प्रेम जनमेजय
 

शिव जी ने व्यंग्य को प्रतिष्ठित किया - प्रेम जनमेजय

दो दिवसीय उज्जैन व्यंग्य महोत्सव, देश भर से व्यंग्यकार शामिल हुए

उज्जैन। व्यंग्य को आज रेखांकित किया जा रहा है और टेपा सम्मेलन के जरिये शिवजी ने व्यंग्य को जीवंत किया, व्यंग्य को सम्मानित किया और व्यंग्य को प्रतिष्ठित भी किया। व्यंग्य महोत्सव के अवसर पर उनकी स्मृति को नमन करते हैं, उनके योगदान को रेखांकित करते हैं। व्यंग्य एक विवशता जन्य हथियार है जो कबीर के जैसे सीधे पाखंड पर प्रहार करता है। हर व्यक्ति की चेतना में व्यंग्य होता है और यह आप पर निर्भर करता है कि व्यंग्य का प्रयोग आप कैसे करते हैं। व्यंग्यकार में चिंतन और दृष्टिकोण होना चाहिए। 

ये विचार व्यंग्य यात्रा और शब्द प्रवाह के कालिदास अकादमी में आयोजित दो दिवसीय उज्जैन व्यंग्य महोत्सव में अध्यक्षीय उद्धबोधन में प्रख्यात व्यंग्यकार प्रेम जनमेजय ने व्यक्त किये। मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए डॉ शैलेंद्र शर्मा ने कहा कि व्यंग्य अब विधा बन गई है, जिसमे व्यंग्य यात्रा का योगदान अविस्मरणीय है। उज्जैन में व्यंग्य परम्परा की शुरुआत पं. सूर्यनारायण व्यास से प्रारंभ होती है। शरद जोशी और डॉ शिव शर्मा ने इसी व्यंग्य परम्परा को समृद्ध किया। व्यंग्यकार कबीर के वंशज हैं जिन्होंने समाज के पाखंड पर प्रहार किया। सूचना बहुल समय में व्यंग्यकार को दुर्गम समय में कार्य करना होगा। व्यंग्यकार स्वयं के आलोचक बनें और आत्मलोचना करें। विशिष्ट अतिथि कथाकार हरीश पाठक ने कहा कि जिस तरह साहित्य की अन्य विधाओं में परिवर्तन आया आज व्यंग्य भी बदल रहा है। व्यंग्य में शब्दों के लिहाज से कमी आई है मगर मारक क्षमता बढ़ी है। व्यंग्य की अपनी छबि है और 21 वीं सदी का व्यंग्य बहुत आगे जाएगा। विशिष्ट अतिथि व्यंग्यकार डॉ पिलकेन्द्र अरोरा ने कहा कि  व्यंग्य के तीर्थ में, उज्जयिनी में आप उपस्थित हैं। यह सदी परिवर्तन की सदी है, बाजारवाद की सदी है, विकास, तकनीक क्रांति का समय है, जीवन की मर्यादायें भंग हो रहीं है। जब कबीर, गांधी, और नानक जी आज भी प्रासंगिक हैं तो विसंगतियां भी प्राचीन होकर आज भी व्यंग्य में वही और प्रासंगिक हैं। डॉ देवेंद्र जोशी, वंदना गुप्ता ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर सांध्य दैनिक उज्जैन सांदीपनि के उज्जैन की व्यंग्य परम्परा पर केंद्रित विशेष अंक का विमोचन अतिथियों ने किया। स्वागत भाषण डॉ हरीशकुमार सिंह ने दिया। दीप आलोकन से महोत्सव का शुभारंभ हुआ। व्यंग्य महोत्सव में देश भर के व्यंग्यकार उपस्थित रहे। अतिथि स्वागत संदीप सृजन, मुकेश जोशी, रमेशचन्द्र शर्मा, शशांक दुबे, सौम्या दुआ, आशीष दशोत्तर आदि ने किया। संचालन लालित्य ललित ने किया और आभार रणविजय राव ने व्यक्त किया। 

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