नाबालिग से शादी रचाने वाले जेल में रहेंगे,,,फर्जी शादी करने आये महाराष्ट के आरोपीगणो के वाहन को न्यायालय ने देने से इन्कार किया

 


राजगढ। राजगढ न्यायालय में पदस्थ माननीय विशेष न्यायाधीश पाॅक्सो एक्ट श्रीमति अंजली पारे ने जिला-राजगढ केे विभिन्न थानों प्रकरणों के आरोपीगण द्वारा प्रस्तुत जमानत आवेदन पत्रों पर सुनवायी करते हुए पाॅक्सो एक्ट के अपराधियों की ओर से प्रस्तुत जमातन खारिज की है।


वर्तमान में जिला न्यायालयों कोविड-19 के वायरस के संक्रमण के दौरान न्यायालयीन साक्ष्य लिये जाने की प्रक्रिया को उच्च न्यायालय के आदेशानुसार सोशल डिस्टेसिंग के कारण स्थगित किया गया है। न्ययायालों में केवल आरोपीगणों की ओर से प्रस्तुत जमानत आवेदन पत्रों पर सुनवायी की जा रही है। आरोपीगण द्वारा अपने गंभीर आपराधिक कृत्य होने के उपरांत भी कोरोना वायरस का हवाला देकर अपने आवेदन पत्र इस आशा के साथ प्रस्तुत किये जा रहे है कि शायद उन्हें जमानत प्राप्त हो जावें।


इसी क्रम में थाना कोतवाली राजगढ के अपराध क्रमांक 230/20 में आरोपी जगन्नाथ (परिवर्तित नाम) ने अपना जमानत आवेदन पेश किया। इस अभियुक्त पर यह आरोप है कि इसके द्वारा एक नाबालिग अभियोक्त्री के साथ बार-बार बलात्संग का अपराध घटित किया गया है, जबकि थाना सारंगपुर के अपराध क्रमांक 194/20 के आरोपी वीरेन्द्र (परिवर्तित नाम) पचैर के अपराध क्रमांक आरोपी रमेश (परिवर्तित नाम) तथा मलावर के अपराध क्रमांक 64/20 के आरोपी मोहन (परिवर्तित नाम) पर यह आरोप है कि उनके द्वारा नाबालिग अभियोक्त्री को बहला-फुसलाकर शादी का प्रलोभन देकर अपने साथ ले जाया गया और फिर इन आरोपियों द्वारा उनसे शादी की फर्जी रस्म अदायगी की और उसके उपरांत उनके साथ शारीरिक संबंध बनायें।


उक्त सभी आरोपीगणों के जमानत आवेदन पत्रों की सुनवायी के दौरान अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक आलोक श्रीवास्त के द्वारा तर्क किये गये कि आरोपीगणों के प्रकरण लाॅकडाउन के कारण न्यायालय में प्रस्तुत नही हो पा रहे है औैर उन प्रकरणों में अनुसंधान की प्रक्रिया भी पूर्ण नही हुयी है। इस कारण यदि आरोपीगणों को जमानत पर रिहा किया जाता है तो प्रकरण में आने वाली साक्ष्य प्रभावित होगी, ऐसा भी संभव है कि आरोपीगण जमानत की शर्ताे का उल्लंघन करते हुए न्यायालय से तथा अपने निवास स्थान से फरार हो जाये, और उनके प्रकरण पीडित बालिकाओं को न्याय दिलाने की प्रतीक्षा में लंबित ही रहें। 


माननीय न्यायालय के द्वारा उक्त प्रकरणों की सुनवायी के दौरान 16 वर्ष से कम आयु की सभी लडकियों के माता-पिता को भी समक्ष में बुला कर सुना गया है और उन सभी के द्वारा आरोपीगणों की जमानत पर आपत्ति न्यायालय के समक्ष दर्ज करायी गयी है। 


माननीय न्यायलय तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश सुश्री अंजली पारे ने उक्त चारो आरोपीगणोें के जमानत आवेदन पत्र निरस्त करते हुए उन्हें जेल मे ही निरूद्ध रखे जाने के आदेश पारित किये है                                                   फर्जी शादी करने आये महाराष्ट के आरोपीगणो के वाहन को न्यायालय ने देने से इन्कार किया


 


श्रीमति रीतू वर्मा कटारिया जेएमएफसी नरसिहगढ़ ने अपने न्यायालय में अपराध क्र. 305/20 में आज अहम फैसला करते हुए महाराष्ट से आये फर्जी शादी करने वाले आरोपीगणांे के वाहन को देने से इन्कार कर दिया।


घटना का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है कि फरियादी रावसिंह ने अपने भाईयो के साथ थाने में आकर रिपोर्ट की थी कि एक टवेरा वाहन में ड्रायवर आलोक, लडकी बालीका, कबीर सुधाकर व आशीष कनोजे सभी निवासी गोबरबाडी जिला तुमसर महाराष्ट्र, नजीराबाद के उधमसिह से मिलकर फरियादी रावसिंह से लडकी की कोर्ट मैरिज बैरसिया में करायी थी, तथा शगुन के तौर पर फरियादी ने एक लाख बीस हजार रूपये आरोपीगणों को दिये थे। शादी के बाद रावसिंह लडकी बालीका को लेकर अपने घर मिठनपुर चला गया था। रात्रि के समय खाना खाने के बाद सभी सोने चले गये। बाद में लड़की शौच का बहाना बनाकर ग्राम मिठनपुर से भाग गई तथा शेष आरोपीगण के साथ टवेरा गाडी से अपने राज्य महाराष्ट चली गई थी। बाद में उधमसिह ने आरोपीगणो को बुलाया था, तब फरियादी ने आरोपीगणो को पकड़कर थाने पर रिपोर्ट की थी। रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने धारा 417, 420, 120-बी भा.द.वि. का अपराध पंजीबद्ध कर वाहन जप्त किया था। जिसका सुपुर्दगी आवेदन माननीय न्यायालय के समक्ष लगाया गया था। माननीय न्यायालय ने आवेदन पत्र का निराकरण करते हुए वाहन देने से इन्कार कर दिया है। प्रकरण में शासन की ओर से श्री मनोज मिंज सहायक जिला लोक अभियोजन अधिकारी नरसिंहगढ़ ने पक्ष रखा था।