उज्जैन।आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज द्वारा फॉर्म नंबर-14 (A) मेंजारी किए गए चिकित्सकीय मृत्यु प्रमाण-पत्रों पर विश्वास करना मुश्किल है. ऐसे अनेक प्रमाण-पत्र जारी किए गए है जो न सिर्फ विरोधाभासों से भरे पड़े हैं, बल्कि कोरोना बीमारी को शिकार हुए लोगों की मृत्यु की विश्वसनीयता पर भी प्रश्न-चिन्ह लगाते हैं।
यहाँ कुछ ऐसे ही उदाहरण प्रस्तुत किए जा रहे हैं:- रामप्रसाद भार्गव मार्ग निवासी 61 साल का एक पुरुष 8 अप्रैल को आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया। 14 अप्रैल को सुबह 9.45 बजे उनकी मौत हो गई। डॉ द्वारा अधोहस्ताक्षरित चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र में उनकी मृत्यु का कारण ‘कोविड़-19 पोजीटिव’ बताया गया। जिला प्रशासन की मृत्यु सूची में उनकी मौत का कोई उल्लेख नहीं है। जो इस बात का प्रमाणीकरण है कि उक्त व्यक्ति जीवित है।
ये बात अलग है कि मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य पदाधिकारी कार्यालय का कम्प्युटर रेकॉर्ड भी उक्त मरीज को कोरोना पॉज़िटिव मान रहा है। इसके उलट हकीकत ये है कि उक्त शख्स आज भी जिंदा हैं और स्वस्थ हैं! ऐसे में आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज को कटघरे में खड़ा करना लाजिमी है क्योंकि उसने आखिर किस आधार पर उक्त व्यक्ति को मृत घोषित कर दिया और बकायदा उसका फॉर्म नंबर-14 (A) में चिकित्सकीय मृत्यु प्रमाण-पत्र भी जारी कर दिया? घोर आश्चर्य का विषय यह भी है कि उक्त व्यक्ति की 20 अप्रैल और 29 अप्रैल को दो बार रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद 2 मई को उसे पीटीएस से डिस्चार्ज भी किया गया, तथा 13 मई तक होम आइसोलेशन में रहने को भी कहा गया। जो व्यक्ति के जिंदा होने का सबूत है।