अंधेर नगरी चौपट राजा टका सेर भाजी , टका सेर खाजा

 


ये कहावत उज्जैन के नेताओ पर खूब चरितार्थ होती है ,, जहां वाकई में अंधेर नगरी की तरह ही लूट मची हुई है ,, कहीं पुलिस थानों पर पुलिस की मिली भगत से किसी व्यपारी को लूटा जा रहा है ,, तो कहीं नेताओ के दम नियमो को ताक पर रख अधिकारी उनकी जी हजूरी करते दिख रहे है,, 


 


ये दोनों मामले हाल ही के तो है ,,


 


वैसे तो प्रशासन ने जनता को कोरोना का हवाला देकर भगवान भूतभावन की सवारी के दर्शनों से रोक दिया , बची हुई कसर बेरीकेट के बाहर पर्दे लगा कर पूरी कर दी ,, ताकि दूर से भी कोई गलती से भी बाबा की झलक देख न ले ,, अब आम जनता से ही तो कोरोना फैलता है ,नेता और नेताओं के चाटुकारों से नही ,, भगवान सबके लिए एक बराबर है लेकिन ये बात प्रशासन नही मानता वो तो 2 तराजू में भगवान के भक्तों को तोलता है या यूं कहें कि प्रशासन नेताओ के दम पर चल रहा है ,, खेर जो भी है आम जनता को तो प्रशासन ने रोक लिया लेकिन कोरोना को नही रोक पाया वो तो नेताओं तक पहोच ही गया ,, अब इसमें गलती कहा हुई ये नेता जी और कार्यकर्ता जाने फोटो खींचने में मग्न नेता कोरोना को दर किनार कर के सोसल डिस्टेंडिंग भूल गए 


बस फिर क्या था ---- 


नज़र हटी दुर्घटना घटी 


उज्जैन में तो होता वही है जो बाबा महाकाल की मर्जी हो 


 



  • पत्रकार पल्लवी शर्मा की कलम से