उज्जैन। कोरोना के इस दौर में चिकित्सकों और पैथोलॉजी रिपोर्ट की एक त्रुटि से किस तरह रोगी और उसके परिजनों की जान पर बन सकती है, इसका वाकया शहर के प्रसिद्ध कवि श्री अशोक भाटी के साथ देखने को मिला। बीते दिनों श्री भाटी कोरोना पॉजिटिव आने के बाद उपचार के लिए निजी चिकित्सालय में भर्ती थे। 21 सितंबर को वह नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद घर पहुंचे लेकिन चिकित्सकों ने सावधानी बतौर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को जांचने वाली एक जांच il-6 कराने को कहा। जांच के लिए वे सोडाणी डायग्नोस्टिक भोज मार्ग फ्रीगंज पहुंचे जहां 32 सौ रुपए लेकर उनका ब्लड सैंपल लिया गया । रिपोर्ट का मानक पैमाना शून्य से अधिकतम 7 पॉइंट तक है लेकिन उनके डॉक्टर को यह देखकर हैरानी हुई कि अधिकतम की सीमा को पार कर श्री भाटी की ब्लड रिपोर्ट में वह पैमाना 1160 पर पहुंच गया था । इतनी अधिक आने पर डॉक्टर ने उन्हें तत्काल 3 इंजेक्शन लगाने की सलाह दी जिनमें से प्रत्येक इंजेक्शन ₹40,000 का था । उनके पुत्र ने ताबड़तोड़ 3 इंजेक्शन का प्रबंध किया। रिपोर्ट आने के बाद श्री भाटी के पिताजी सदमे में आ गए और गंभीर रूप से बीमार हो गए । परिजन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे और शेष परिजन श्री भाटी को पाटीदार हॉस्पिटल में लेकर उपचार कराने गए। 1 दिन पहले अलखधाम नगर स्थित अपने घर पहुंचे श्री भाटी को जब अगले ही दिन वापस अस्पताल ले जाया गया तो तरह-तरह की बातें भी क्षेत्र में होने लगी। पूरा परिवार आशंकाओं से घिरा हुआ था।
इस दौरान उन्होंने दूसरी लेब पर जांच कराई जहां शुल्क 1000 रुपए लिया गया और रिपोर्ट नियंत्रित आई। यकीन नहीं होने पर तीसरी जगह जांच कराई वहां भी परिणाम नियंत्रित बताए गए। चिकित्सक की सलाह पर इंजेक्शन लगाने से पहले वापस उन्होंने अपना सैंपल सोडाणी डायग्नोस्टिक सेंटर पर दिया जिसमें दूसरी बार रिपोर्ट नियंत्रित आई। पूरे प्रकरण में परिवार मानसिक संताप से गुजरा, पिताजी बीमार हो गए और कुल 55 हजार रुपए दिनभर में व्यय हो गए।
सोडाणी डायग्नोस्टिक सेंटर पर पूछा गया तो पता चला डॉक्टर रंजना हवलदार एमडी पैथोलॉजी उज्जैन में नहीं बैठती हैं, बल्कि उज्जैन में सैंपल लेकर इंदौर भेजा जाता है और वह इंदौर सोडाणी पर ही जांच करती हैं। इस संबंध में डॉक्टर हवलदार से चर्चा का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। उज्जैन सोडाणी सेंटर पर संतोष पांचाल, विक्रम नागवंशी और आशुतोष शर्मा ने बताया हमें डॉक्टर से सीधे बातचीत करने की अनुमति नहीं है। इंदौर से ही डिजिटल सिग्नेचर कर रिपोर्ट भेज देती हैं। इस तरह केवल कलेक्शन सेंटर उज्जैन में बनाकर गंभीर रोगों की की जांच लैब टेक्नीशियन के भरोसे की जा रही है और उसमें त्रुटियां होने पर इसका खामियाजा मरीज और उनके परिजनों को उठाना पड़ रहा है। पूरे प्रकरण की शिकायत कलेक्टर को की गई है।