उज्जैन ।जहरीली शराब कांड में एक के बाद एक अनेक विकेट डाउन हुए, प्रदेश सरकार ने जिस तरह अधिकारियों को दंडित किया उससे सरकार की मंशा स्पष्ट हो गई ,लेकिन अभी भी अनेक ऐसे अधिकारी शहर में मौजूद है जिन पर गैर इरादतन हत्या और रासुका प्रकरण दर्ज कर उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए, इन अधिकारियों में नगर पालिक निगम के उपायुक्त सुबोध जैन का नाम भी शामिल करना चाहिए क्योंकि 12 लाशों का गुनहगार सुबोध जैन ही है, यदि सुबोध जैन गुंडों की गैंग को मनमानी करने की छूट नहीं देती तो शायद लाशों के ढेर नहीं लगते, वैसे भी सुबोध जैन की जगह उज्जैन की भेरूगढ़ जेल ही है, क्योंकि नगर पालिक निगम में उपायुक्त के पद पर वह जालसाजी कर पहुंचा है, सूत्रों के मुताबिक महिला एवं बाल विकास में उनकी नियुक्ति हुई थी, बताया जाता है कि 20 साल पहले प्रौढ़ शिक्षा के पर्यवेक्षक के रुप में तृतीय श्रेणी लिपिक के रूप में नियुक्त हुए, सुबोध जैन भोपाल में कुछ नेताओं के तलवे चाट कर अवैध रूप से महिदपुर नगर पालिका में राजस्व निरीक्षक के पद पर पदस्थ हो गए जबकि महिदपुर में राजस्व निरीक्षक का कोई पद था ही नहीं ,लेकिन नगर पालिक निगम में प्रवेश करने का यह अवैध रास्ता था, महिदपुर में नियुक्ति के बाद नेताओं के चरणों में पड़े रहने वाला यह अधिकारी बड़नगर नगर पालिका में पदस्थ हुआ और फिर शहरी विकास अभिकरण में सहायक परियोजना अधिकारी बना, धीरे धीरे अवैध तौर पर नियुक्तियां पाने वाला सुबोध जैन तराना नगर परिषद में प्रभारी सीएमओ तक पहुंच गया और लगभग 6 साल पहले उज्जैन नगर पालिक निगम में राजस्व अधिकारी के पद पर नियुक्त होने के बाद यहां के कुछ नेताओं से संबंध बनाकर सहायक आयुक्त बन बैठा, सहायक आयुक्त बनने के बाद इसने नगर पालिक निगम के कमाई वाले लगभग सभी विभागों पर नेताओं के बल पर कब्जा जमा लिया और फिर शहर के लिए यह नासूर बन गया, तृतीय श्रेणी लिपिक वर्ग पर नियुक्ति होने के बाद उपायुक्त के पद पर जालसाजी कर पहुंचने वाले इस भ्रष्ट लालची और नर पिशाच अधिकारी के खिलाफ विधानसभा में एक विधायक ने नियुक्ति को लेकर प्रश्न भी उठाया ,लेकिन चांदी के जूतों के आगे प्रश्न भी गुम हो गया, अब जब मुख्यमंत्री ने इस भ्रष्ट के खिलाफ कार्रवाई की है तो लगे हाथ इसकी नियुक्तियों को लेकर भी जांच होनी चाहिए सूत्रों के मुताबिक यदि निष्पक्ष जांच हुई तो सुबोध जैन का असली ठिकाना भैरवगढ़ जेल होगा।
नर पिशाच सुबोध जैन का असली ठिकाना भैरवगढ़ जेल, तृतीय श्रेणी कर्मचारी कैसे पहुंचा उपायुक्त के पद तक,,,, सर्विस रिकॉर्ड की जांच हुई तो चौका देने वाले तथ्य सामने आएंगे