उज्जैन जहरीली शराब कांड में शासन ने उज्जैन के एसपी मनोज सिंह और सीएसपी कश्यप के खिलाफ कार्यवाही कर कड़ा संदेश देने का काम किया है ,लेकिन पूरे कांड में खारा कुआं थाना, महाकाल थाना और सेंट्रल कोतवाली थाना की महत्वपूर्ण भूमिका रही है ,क्योंकि घटनास्थल से दो थाने महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ,जबकि खारा कुआं थाना घटनास्थल पर ही है, खाराकुआ थाने के दो आरक्षकों के खिलाफ रासुका की कार्रवाई का स्वागत है लेकिन महाकाल थाने के दो आरक्षकों को क्यों बख्शा गया यह समझ से परे है। क्योंकि इनमें से एक आरक्षक इंद्रजीत सिंह विक्रम उर्फ बंटी लगभग 20 वर्षों से महाकाल थाने के आसपास अपनी पोस्टिंग करवाता रहा है और क्षेत्र में शायद ही कोई अवैध धंधा हो जो इसकी पार्टनरशिप में न चलता हो इन दोनों आरक्षकों के खिलाफ भी रासुका की कार्रवाई के साथ-साथ महाकाल थाना, सेंटल कोतवाली थाना और कहा खाराकुआ खाना के पूरे स्टाफ का शुद्धिकरण किया जाना बेहद आवश्यक है, क्योंकि जहरीली शराब के अतिरिक्त क्षेत्र में चलने वाले अनेक अवैध कार्यों में थाने की स्वीकृति होती है, गोपाल मंदिर और सिंधिया उद्यान के आसपास चारों तरफ एक वर्ग विशेष के लोगों को अस्थाई रूप से अघोषित पट्टे दे दिए गए हैं जिसकी वजह से क्षेत्र में हर वक्त गुंडों का कब्जा रहता है, मजे की बात यह है कि क्षेत्र में 50 से अधिक गुंडे खाकी वर्दीवालों के साथ ही देखे जाते हैं जिसकी वजह से आम नागरिक और क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यापारी चुप रहते हैं, इस लिहाज से तीनों थाने के स्टाफ के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई जरूरी है। नगर पालिक निगम के आयुक्त क्षितिज सीहल भी शराब कांड के मुख्य हीरो है उन्हें भी पद से हटाकर उनके खिलाफ भी रासुका की कार्रवाई की जाना चाहिए क्योंकि क्षितिज सीहल के पास लगातार शिकायतें पहुंचने के बावजूद वह न तो कभी किसी शिकायतकर्ता से कोई बात करते हैं और ना ही किसी शिकायत पर कोई ध्यान देते हैं स्वयं को मुख्यमंत्री से भी ऊपर समझने वाला यह अधिकारी उज्जैन के लिए कोढ़ है।
सिर्फ निलंबन या हटाने से कुछ नहीं होगा, सब पर रासुका लगे और जेल के दरवाजे खोले जाए तब होगा 12 लाशों के साथ इंसाफ