उज्जैन। राजस्थान के खंडेला गांव से 550 वर्ष पूर्व देश के अलग-अलग प्रांतों में पहुंचे मूनका और लाड़िका गोयल परिवार के 550 वर्ष पूर्व तक की 26 पीढ़ियों का इतिहास, वंशावली के रूप में लगभग 5 वर्षों के कठिन परिश्रम के बाद तैयार होने पर स्थानीय राम जनार्दन मंदिर में इस वंशावली की पत्रिका का विमोचन सुधीर भाई गोयल (सेवाधाम संस्थापक) और अग्रवाल विकास समिति अध्यक्ष सीए संजय अग्रवाल के विशेष आतिथ्य में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर सुधीर भाई ने कहा कि हम अपने पूर्वजों को भूलते जा रहे हैं। यह विडंबना ही है कि हमारी 2-3 पीढ़ियों के पूर्वजों के फोटो तक घरों में उपलब्ध नहीं रहते हैं, ऐसे में यह वंशावली आने वाली पीढ़ी के लिए मिल का पत्थर साबित होगी। इस वंशावली में पूर्वजों के फोटों, पूजा में रखे जाने चाहिये, वंशावली में पूर्वजों के फोटों, पूजा में रखे जाने चाहिये, वंशावली का प्रकाशन और उसमें पारिवारिक रिति रिवाजों और संस्कारों की जानकारी प्रकाशित होने से बड़ा उपकार कोई हो नहीं सकता। सीएम संजय अग्रवाल ने कहा कि वंशावली का प्रकाशन होने से हमारी 26 पीढ़ियों की विस्तृत जानकारी देकर विश्वास नहीं होता कि इस कार्य के लिए कोई व्यक्ति 5 वर्ष तक परिश्रम कर सकता है, वास्तव में हमारे पूर्वजों की जानकारी का संग्रह एक पुस्तक के रूप में सामने आने के बाद दादा, परदादा और परदादा के भी दादा का नाम जानकर जीवन धन्य हो गया।

इस वंशावली के लिए दस वर्षों से जानकारी एकत्र करने वाले और वंशावली को स्वयं के खर्चे से प्रकाशित करवाने वाले प्रोफेसर शंकरलाल गोयल ने जानकारी देते हुए बताया कि 26 पीढ़ियों का इतिहास इस वंशावली में शामिल है। पुरखों की जब भी बात चलती है तो प्रायः अंधेरे में तीन चलाए जाते हैं, लेकिन अब एक विश्वसनीय चित्र सामने हैं, वंशावली को तैयार करने के लिए जहां तक जा सकता था, वहां तक गया, यह गोयल और लाड़िका परिवार का साईक्लोपीड़िया है, यह 100 प्रतिशत प्रमाणिक और विश्वसनीय है, अनुभवों को सांझा करते हुए उन्होंने बताया कि मेरे सामने कोई मॉडल नहीं था, 500 साल की कड़ियां भी टूटी टूटी सी थी, दादा, परदादा, और परदादा के भी परदादा का नाम पता लगाना बेहद दुश्कर कार्य था, इससे भी दुश्कर कार्य उनके चित्रों को ढूंढना था, लेकिन महाराजा अग्रसेनजी और कुलदेवी के आशीर्वाद से मैं, 550 वर्षों का इतिहास एक सूत्र में पिरोने में कामयाब हुआ। उन्होंने वंशावली को स्नेह की पूंजी बताया और कहा कि अनेक समाज के लोग उनसे इसकी प्रतियां मांगने के साथ-साथ जानकारी मांग रहे हैं कि कैसे उन्होंने यह संग्रहण किया।

इस अवसर पर प


रिवार के वरिष्ठ सदस्य किशनलाल गोयल का सम्मान भी किया, प्रति उत्तर में उन्होंने कहा आज मैं पूरे परिवार का ऋणी हो गया हूं, वंशावली के प्रकाशक प्रो. शंकरलाल गोयल और डॉ. चंद्रकांता गोयल को भी साफा बांधकर सम्मान किया गया। रमेशचंद्रजी का भी सम्मान किया गया। इस अवसर पर पांच पीढ़ी मौजूद थी, घनश्याम, राजेन्द्रप्रसाद, दिनेश, अनिल, श्याम, डॉ. पराग, अंकुर, गीतांजलि, सुशीला भाभी, डॉ. सविता, डॉ. सचिन गोयल, सिध्दार्थ, अशोक गोयल सहित 100 से ज्यादा सदस्य जो एक ही वंश से जुड़े थे, कार्यक्रम में शामिल हुए। संचालन डॉ. भावना गोयल व नेहा ने किया एवं आभार मनीषा ने माना। वंशावली की बहुरंगी पुस्तिका मौजूद सदस्यों को वितरित की गई। 

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