प्राइवेट अस्पतालों की लूट पर लगाम ,,,,


प्राइवेट नर्सिंग होम विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा मरीजों को सलाह देने के लिए एक दिन में 1000  रु से अधिक कंसल्टेंसी फीस वसूल नहीं कर सकेंगे


 कलेक्टर द्वारा  विभिन्न  दरें निर्धारित 


उज्जैन 5 मई।  कलेक्टर श्री  आशीष सिंह ने आज मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट  1940 की धारा 51 के अंतर्गत कोरोना  संक्रमण बीमारी की रोकथाम हेतु मध्य प्रदेश डिजीज कोविड-19 रेगुलेशंस 2020 के प्रावधानों के बिंदुओं के आधार पर एवं जिला आपदा प्रबंधन समिति की बैठक दिनांक 6 मई में लिए गए निर्णय अनुसार निजी चिकित्सालय में कंसलटेंसी, ऑक्सीजन, विजिटिंग फीस ,नर्सिंग शुल्क  आदि  निर्धारित  कर दिए हैं ।अब निजी अस्पताल विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा मरीजों को चिकित्सक की सलाह देने हेतु प्रतिदिन प्रति मरीज अधिकतम 1000 रु ही  कंसल्टेंसी फीस ही ले सकेंगे ।


     जारी किए गए आदेश अनुसार विभिन्न हॉस्पिटलों द्वारा मरीजों से आइसोलेशन चार्ज वेडसाइट  चार्ज , मुनिसिपल  चार्ज   इत्यादि वसूल किया जा रहा है  । उक्त  समस्त चार्ज को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया गया है ।कोई भी हॉस्पिटल उपरोक्त  चार्ज मरीजो से वसूल नहीं करेगा। 

   ऑक्सीजन हेतु अधिकतम 150 रु   प्रति घंटे की दर निर्धारित की गई है। आरएमओ तथा स्टाफ के लिए  विजिटिंग फीस व अधिकतम दर 1500  रुपए प्रतिदिन प्रति मरीज निर्धारित कर दी गई है ।डयूटी डॉक्टर या आरएमओ  अथवा दोनों के विजिटिंग का चार्ज अधिकतम प्रतिदिन प्रति मरीज 500 रु  से अधिक नहीं होगा। कलेक्टर द्वारा जारी आदेश के तहत नर्सिंग शुल्क अधिकतम 600 रु प्रतिदिन, नोबूलाइजेशन प्रति  उपयोग पर अधिकतम 25  रु तथा बायो मेडिकल वेस्ट के प्रबंधन हेतु अधिकतम 200 रु प्रति दिन  प्रति मरीज निर्धारित कर दिया गया हैं ।


        कलेक्टर द्वारा निर्धारित की गई अधिकतम दरों  से अधिक शुल्क लिया जाना पूर्णता प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही अन्य किसी मद में अथवा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उक्त राशि  का समावेश अन्य मद में नहीं किया जा सकेगा। किसी भी प्रकार का सर्विस चार्ज  वसूल किया जाना पूर्णता प्रतिबंधित कर दिया गया है। उक्त दरो  की सूची बड़े अक्षरों में प्रत्येक अस्पताल के बाहर सुलभ दर्शित स्थान पर लगाई जाने एवं रिसेप्शन  पर भी सूची चस्पा करने के निर्देश दिए गए हैं । 

       उक्त आदेश का उल्लंघन किए जाने पर संबंधित के विरुद्ध अत्यावश्यक सेवा संधारण विच्छिनता  निवारण अधिनियम1979  की धारा 7(1 ) , आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 की धारा 56 एवं महामारी अधिनियम 1897 की धारा 3 के प्रावधानों के साथ-साथ भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 186, 269 एवं 270 के अंतर्गत कार्रवाई की जाएग।

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