उज्जैन। कविता और कवितायन संस्था के प्रति पूर्ण समर्पण करने वाले मां सरस्वती के अनन्य उपासक
*कवि श्री आनंद शर्मा जी*
का आज दिनांक 21 मई 2021 शुक्रवार को 7:15 बजे निधन की ख़बर ने उज्जैन के साहित्यिक जगत में एक निराशा का वातावरण निर्मित कर दिया।
कवि आनंद जी द्वारा विगत 38 वर्ष पहले बसंत पंचमी के शुभ दिवस पर कवितायन नामक संस्था की स्थापना के साथ संस्था के अध्यक्ष पद हेतु मां सरस्वती को ही निरूपित कर मार्च 2020 तक सतत् गतिमान रखते हुए ।
आज अपने इस पंच भोतिक इस शरीर को त्याग कर परमपिता की आनंद यात्रा कि ओर प्रस्थान कर गए।
अपने कुशल नेतृत्व पर संस्था को नियमित चलाने वाले
कवि आनंद साहित्य जगत् के प्ररेणा स्रोत बने रहेंगे ।
श्री कवि आनंद जी का मानस एवं भगवत गीता के श्रेष्ठ चिंतक एवं उपासक रहते हुए सैकड़ों कविताओं का लेखन कर *कवि-आनंद-कविता* एवं *सामूहिक कवितायन रसायन* नामक पुस्तकों का उपहार हम संस्था सदस्यों को देकर गए हैं।
आपने कवितायन संस्था के माध्यम से विभिन्न वरिष्ठ साहित्यकार स्वर्गीय श्री शिवमंगल सिंह सुमन एवं आचार्य श्री राममूर्ति त्रिपाठीजी के सानिध्य में गोष्ठीयां की है।
उनके इस *साहित्य सेवा* को रेखांकित करते हुए हम सभी उनके श्री चरणों में श्रद्धा सुमन के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी साहित्य साधना को नमन सोंपने वाले सदस्यों में सर्वश्री
पूर्व कुलपति मोहन गुप्ता जी,
महंत श्री श्याम दास जी महाराज,
सरस निर्मोही जी, डॉक्टर रविंद्र चौरे भारती जी, डॉ मोहन बुधौलिया जी ,डॉप्रभाकर शर्मा , पीडी शर्मा मुसाफिर, सत्यनारायण नाटंनी, डॉक्टर अखिलेश चौरे, अक्षय चावरे, अशोक शर्मा, एसएस यादव, अमिताभ त्रिपाठी, शैलेंद्र वर्मा के साथ अनिल पांचाल सेवक तथा महिला कवित्रियों आनंद जी के चरणों में पुष्पांजलि अर्पित करते कवितायन संस्था की अपूरणीय क्षति बताया।
*श्रद्धान्वत्*
*कवितायन एवं गीतांजलि साहित्यिक मंच के सदस्यों के साथ ...........*
🌹वह अन्त में अनन्त हो गया
*एक ज्ञान सिंधु से एक बिंदु मिल गया*,
*वही ह्रदय आंख में बिंदु सिंधु हो गया*।।
*गगन धरा मिला दिए स्वयं भी तो मिल गया*,
*वह अन्त अन्त में एक अनन्त हो गया*।।
उपरोक्त लाइन के रचयिता अपनी कविताओं के द्वारा ब्रह्मानंद- सहोदर -रस की अनुभूति सदैव कराने वाले दार्शनिक, चिंतक, विचारक और ह्रदय में संपूर्णता से कवि संवेदनाओं को लिए हुए आज एक दिव्य पुरुष कवि आनंद अनन्त दिव्यता में परिणत हो गया ,जो की साहित्यिक एवं आध्यात्मिक संस्था कवितायन के संस्थापक एवं संयोजक थे पंचतत्व में विलीन हो गए । कवि आनंद ने कवितायन संस्था को वर्ष 1984 में स्थापित किया । उन्होंने सदैव मां वाग्देवी को अध्यक्षा मान स्वयं संयोजक बन, प्रति रविवार, बिना कोई बाधा के इस संस्था को अनवरत गतिमान बनाए रखा । महामारी के चलते उन्होंने संस्था के कार्यक्रम ऑनलाइन भी कराए, परंतु कवि श्री आनंद के स्वास्थ्य में गिरावट आने से उसे निरंतरता नहीं मिल पाई । वह अंतिम समय तक संस्था के प्रति प्रगति के नए कार्यों को मन में लिए हमारे बीच से चले गए , आज सुबह 7:00 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली ।साहित्यिक जगत में यह एक अपूरणीय क्षति है ।
*ऐसा कविता- प्रेमी दुर्लभ*,
*किंतु यहां है सर्वसुलभ*,
*हमने उसका मोल ना समझा*,
*फिर ढूंढेंगे पृथ्वी -नभ*।।
डॉ रूपा भावसार