चरक की नर्सों पर रासुका की कार्यवाही क्यों नहीं,? कोरोना से संघर्ष कर रहे मरीज को मौत के मुंह में धकेलने वालों को आखिरकार क्यों बख्शा गया,,,,, कौन देगा इन सवालों के जवाब

 


    उज्जैन कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी श्री आशीष सिंह ने  एकता केलोदिया  26 वर्ष निवासी निमनवासा उज्जैन तथा  राजश्री मालवीय  23 वर्ष निवासी  नागेश्वर धाम उज्जैन को रेमडेसीवीर  इंजेक्शन एवम अन्य दवाइयों  की कालाबाजारी करने के कारण चोर बाजारी निवारण और आवश्यक वस्तु प्रदाय अधिनियम 180 की धारा 3  ( 1)(2) के अधीन कार्रवाई करते हुए 6 माह के लिए केंद्रीय जेल उज्जैन में निरुद्ध  करने के आदेश जारी किए हैं । उक्त आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है ।उल्लेखनीय है कि उक्त  दोनों महिलाओं  ने वैश्विक महामारी कोविड-19 के दौरान अवैध रूप से  रेमडेसीवीर इंजेक्शन एवं अन्य दवाइयों की कालाबाजारी की तथा कोरोना मरीजों एवं जनता को अधिक कीमत पर इंजेक्शन एवं दवाई बेचने का कृत्य  किया ।उसके इस कृत्य से संक्रमित मरीजो  पर नियंत्रण करना संभव नहीं हो पा रहा था।  उक्त व्यक्ति का महामारी के दौर में स्वतंत्र घूमना आमजन के स्वास्थ्य शांति के लिए घातक होने से कलेक्टर द्वारा दोनों महिलाओं को 6 माह के लिए केंद्रीय जेल में निरुद्ध करने के आदेश जारी किए हैं 

 लेकिन अनेक सवाल अब भी जवाब के इंतजार में है यह जवाब शहर की जनता और कोरोना से बेमौत मरने वाले की आत्मा मांग रही है।

 पहला सवाल 

दोनों नर्सों के खिलाफ रासुका क्यों नहीं लगाई गई जबकि दोनों ही मुख्य आरोपी है।

 दूसरा सवाल

 मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देश है गृहमंत्री भी इसी पक्ष में है तो फिर मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के निर्देशों का क्या हुआ।

 तीसरा सवाल

 नर्सों ने चरक में भर्ती कितने मरीजों के रेमडेसीविर कालाबाजारी कर बेचे अभी तक इसकी जानकारी सामने क्यों नहीं आई।

 चौथा सवाल

 जिस रेमडेसीविर को बेचा जा रहा था ,वह किस मरीज को लगने वाला था और अब वह जिंदा भी है या नहीं।

 पांचवा सवाल

 दोनों नर्स कितने दिनों से यह धंधा कर रही थी ।

छठा सवाल

क्या कानून सबके लिए एक नहीं है ,,,? रेमडेसीविर की कालाबाजारी करने वाले कुछ लोगों पर रासुका तो कुछ पर साधारण धाराओं में प्रकरण दर्ज करने से यह सवाल उठा।

सातवां सवाल

डॉक्टर और मरीज के  बीच की सेतु का काम नर्स करती है और यदि यह सेतु ही भ्रष्ट हो जाए तो फिर विश्वासघात करने वालों को कड़ी सजा क्यों नहीं।

यह  प्रकरण 6 मई का है, उससे पूर्व 26 अप्रैल को आरडी गार्डी के पांच नर्सिंग छात्र लोकेश आंजना, प्रियश चौहान ,भानु राजपूत, वैभव पांचाल और हरिओम आंजना तथा देशमुख अस्पताल के तीन कर्मचारियों सरफराज शाह , कुलदीप चौहान,  और राजेश नरवरिया पर रासुका लगाई जा चुकी है, इस प्रकरण में 8 लोगों के खिलाफ उसी दिन NSA की गई। वर्तमान मामले में कतिपय मीडिया में 8 मई को आया कि चरक अस्पताल की दोनो नर्सों पर nsa के साथ साथ बर्खास्तगी की कार्रवाई भी कर दी गई है, लेकिन 9 मई के आदेश में उन्हें क्यों बख्श दिया गया???

और अंत में एक सवाल यह भी

कौन से अस्पताल में कितने रेमडेसीविर इंजेक्शन प्रशासन द्वारा दिए गए हैं इसकी सूची तो जारी की जाती है, लेकिन लंबे समय से यह मांग उठाई जा रही है कि मरीजों की सूची भी जारी की जाए जिनके लिए रेमडेसीविर इंजेक्शन भेजे गए हैं यदि यह पारदर्शिता हो जाए तो शायद मौत के सौदागरो पर अंकुश लगाया लगाना और भी आसान हो जाए।

Popular posts
शहर के प्रसिद्ध चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ सुरेश समधानी द्वारा छत से कूदकर आत्महत्या किए जाने की कोशिश
Image
ये दुनिया नफरतों की आखरी स्टेज पर है  इलाज इसका मोहब्बत के सिवा कुछ भी नहीं है ,मेले में सफलतापूर्वक आयोजित हुआ मुशायरा
जब चार करोड़ रुपये प्रतिमाह इलाज़ के लिए देकर भी कॉलेज प्रबंधन अपनी काली करतूतों से बाज़ न आया तब जाकर अपनी नाक बचाने के लिए कलेक्टर को कुर्बान करने का मुहूर्त निकाला गया
Image
फिरोती मांगने वाले एक ओर आरोपी का जमानत आवेदन निरस्‍त ,,,,,,,नाबालिक का अपहरण कर दुष्कर्म करने वाले आरोपी का जमानत आवेदन निरस्त
बेटे के वियोग में गीत बनाया , बन गया प्रेमियों का सबसे अमर गाना
Image