देवास। कोरोनावायरस के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान के निर्देश एवं देवास विधायक गायत्रीराजे पवार की अनुशंसा पर शहर के 45 गली मोहल्लों में क्राइसिस कमेटी का गठन किया गया है। जिसके अंतर्गत वार्ड के दो प्रतिनिधि एवं दो उनके द्वारा चयनित सदस्य एक नगर निगम का कर्मचारी व एक वार्ड का सदस्य और दो अन्य सदस्य को मिलाकर कमेटी बनाई गई है जो कोरोना संक्रमण के दौरान किसी भी समस्या से निपटने के लिए वार्ड के लोगों की मदद करेगी। वही निशुल्क खाद्यान्न की पर्ची भी दिलाएगी। शहर जिला कांग्रेस अध्यक्ष मनोज राजानी व प्रवक्ता सुधीर शर्मा ने बताया कि इससे अच्छा सत्ता का दुरुपयोग हो नहीं सकता जो भारतीय जनता पार्टी इन दिनों कोरोना महामारी की आड़ में कर रही है। ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी ने आने वाले समय में होने वाले नगर निगम चुनाव को लेकर अपने प्रत्याशियों को छद्म रूप से काम करने का आदेश दे दिया है कि जाए और लोगों से संपर्क करें आप में से ही किसी एक व्यक्ति को आने वाले समय में नगर निगम के पार्षद का चुनाव लड़ना है। इस काम में शासकीय कर्मचारी उनकी भरपूर मदद कर रहे हैं। सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने अधिकांश वर्तमान रहे पार्षदों को कमेटी में लिया ही नहीं है। कांग्रेस ने पूछा है कि वार्ड स्तरीय क्राइसिस कमेटी गठित की गई है उस ने अभी तक कितने कोरोना पेशेंट मरीजों को हॉस्पिटल पहुंचाया, कितने को बेड दिलाये, कितने को ऑक्सीजन दिलाई, कितने मरीजो को रेमडेसिबियर इंजेक्शन दिलाएं, कितने ब्लैक फंगस से ग्रसित मरीजों को इलाज मुहैया कराया। हमे तो अभी तक देवास के 45 वार्ड में से किसी भी व्यक्ति ने आज तक यह नहीं बताया कि उक्त वार्ड में गठित कमेटी ने उनकी यह मदद की है। जहां तक खाद्यान्न पर्ची का सवाल है वह तो सरकार के द्वारा अनाज निशुल्क रूप से सभी को दिया जा रहा है जिसमें बीपीएल या गुलाबी राशन कार्ड की कोई बाध्यता नहीं है कोई सा भी राशन कार्ड होगा उसे खाद्यान्न दिया जाएगा यह तो सीधे-सीधे सिर्फ श्रेय लेने की राजनीति है, जो भारतीय जनता पार्टी कोरोनावायरस जैसी घातक बीमारी की आड़ में कर रही है । कांग्रेस ने प्रशासन से मांग की है कि वह इन गली मोहल्लों की समितियों के भरोसे नहीं रहे अपनी तैयारी जो पहले से रखते आए हैं वही रखें कहीं ऐसा नहीं हो कि इन नेताओं की नेतागिरी में किसी मोहल्ले वार्ड में कोरोना संक्रमण अपने पैर पसार ले और जिसकी कीमत नागरिकों को चुकानी पड़े।