पतंजलि कंपनी के रामदेव जी ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन(IMA) व फार्मा कंपनियों से 25 सवाल पूछे थे,जिनके ब्यौरेवार जवाब निम्न प्रकार से हैं-----

 


1.रक्तचाप को नापने की मशीन एलोपैथी ने ही बनाई।

उसी ने सिस्टोलिक व डायास्टोलिक बीपी का कांसेप्ट दिया।आयुर्वेद तो नाड़ी परीक्षण से ही रक्त प्रवाह का ज्ञान करता है।

आयुर्वेद में रक्त प्रवाह वेग की अधिकता या कमी नाड़ी परीक्षण द्वारा जांचा जाता है ,उसमे रक्त प्रवाह की कोई रीडिंग नहीं आती।

उच्च व निम्न रक्तचाप  के सही निदान के पश्चात सफल चिकित्सा के लिए एलोपैथी में  अनेक निर्दोष औषधियाँ उपलब्ध हैं।

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2.(मधुमेह) टाइप 1 व टाइप 2 प्रकार की डायबिटीज एलोपैथी ने ही बताई।आयुर्वेद में तो मधुमेह के प्रकार वात पित्त कफ या मिश्रित पर आधारित होते हैं,इसलिए आयुर्वेद को टाइप 1 या 2 से कोई मतलब नहीं होता।बाबा रामदेव से अपेक्षा है कि वो टाइप 1 डायबिटीज की चिकित्सा बिना इन्सुलिन से करके दिखाए व टाइप 2 का स्थायी इलाज अर्थात कुछ महीनों के बाद बिना दिव्य मधुनाशनी के नियंत्रित करके दिखाए।


जिस दोष के कारण डायबिटीज हुआ है उसके आधार पर मधुमेह को वात प्रमेह, पित्त प्रमेह और कफ प्रमेह के रूप में विभाजित किया जा सकता है। कफ प्रमेह फिर भी साध्य है यानी इसका इलाज हो सकता है, पित्त प्रमेह को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन वात प्रमेह असाध्य है।अर्थात आयुर्वेद भी मधुमेह का स्थायी इलाज नहीं कर सकता।

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3.थायरोइड,आर्थराइटिस,

कोलाइटिस व अस्थमा का आयुर्वेद में स्थायी इलाज है तो उसका चिकित्सा क्रम बताने की कृपा करें।स्थायी इलाज से तात्पर्य है कि कुछ दिनों से लेकर कुछ माह की औषधि के बाद दवा बन्द कर दी जावे व रोग बिना दवा के भी नियंत्रित रहे।हाइपो व हाइपर थयरोइडिसम के लिए T3T4TSH  की रिपोर्ट पर निर्भर न रहें,बल्कि आयुर्वेद के अनुसार ही त्रिदोष सिद्धान्त पर निदान व इलाज करें।

गाउटआर्थराइटिस रहेउमाटोइड आर्थराइटिस व अन्य रोगों का निदान आप यूरिक एसिड,RF फैक्टर या एक्स रे से क्यों करते हैं।आप उनका निदान नाड़ी परीक्षण से करिए व योग कैम्पों में रिपोर्ट्स के बड़े बड़े पत्रक न दिखाए ।

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4. सिरोसिस ऑफ लिवर व हेपेटाइटिस एलोपैथी की टर्म्स हैं उनका आयुर्वेद में भूल कर भी जिक्र न करें।LFT (लिवर फंक्शन टेस्ट) व सोनोग्राफी हरगिज न करवाएं क्योंकि ये एलोपैथी की निदान पद्धति है।आप तो सिर्फ नाड़ी परीक्षा से ही निदान करके इलाज करें।आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि हेपेटाइटिस के बचाव के लिए एलोपैथी में टीके बन चुके हैं।

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5.आयुर्वेद को हार्ट के ब्लॉकेज एंजियोग्राफी , सीटी स्कैन या MRI से निदान करने की क्या आवश्यकता है?उन्हें तो नाड़ी व रोगी परीक्षण से हार्ट की कमजोरी या रोग का निदान करना चाहिए।क्योंकि उन्हें तो एंजियोप्लास्टी या बाईपास सर्जरी करनी नहीं है।

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6.बिना इकोकार्डियोग्राम व अन्य जांचों से हार्ट का साइज व 'इजेक्शन फेक्शन'आपकी भाषा के अनुसार कैसे निदान कर सकते हैं,चिकित्सा तो दूर की बात है।ECG जिसके द्वारा दिल की धड़कन,अरीथमिया व अन्य  असामान्यता का एलोपैथी ही निदान करती है।

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7.शरीर में उपस्थित वसा या लिपिड प्रोफाइल का कांसेप्ट एलोपैथी का ही है।आयुर्वेद तो कोलेस्ट्रोल या ट्राइग्लिसराइड के कांसेप्ट को मान्यता ही नहीं देता।आयुर्वेद में LDL, HDL या VLDL का कोई कांसेप्ट ही नहीं है,जबकि आप अपने शिविरों में  लिपिड प्रोफाइल के बारे में बड़ी  बडी बातें बोलते हैं।

अर्थात आप निदान तो आधुनिक मेडिकल साइंस की जांचों से करना चाहते हो लेकिन उसी की बुराई भी करते रहते हो।आखिर क्यों?


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8.सिरदर्द के 100 से भी ज्यादा कारण है जिसमें साइनोसाइटिस से लेकर ब्रेन ट्यूमर तक शामिल है।इसका इलाज उसके कारणों के हिसाब से किया जाता है।

आयुर्वेद भी रोगी की वात पित कफ की प्रकृति के अनुसार चिकित्सा करता है।

पथ्यादि गूगल या क्वाथ या शंखपुष्पी सिरप सब प्रकार के सिरदर्द का उपचार नहीं कर सकता।आयुर्वेद में शिरोरोग के उपचार का अलग खंड है।कई रोगियों को शिरोधारा व नस्य भी दिया जाता है अर्थात हर पैथी में सिरदर्द के कारण का उपचार किया जाता है।ब्रेन ट्यूमर होने की दशा में अधिकांश केसों में सर्जरी की जाती है जिसके निदान के लिए CT स्कैन या MRI भी एलोपैथी का ही पार्ट है।

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9 .आंखों का चश्मा उतारने के लिए कांटेक्ट लेंस से लेकर लेज़र चिकित्सा की सुविधा उपलब्ध है।मोतियाबिंद पकने पर भी सर्जरी के अलावा कोई उपचार नहीं है।

हियरिंग ऐड हटाने का निश्चित उपचार अर्थात तंत्रिका सिस्टम को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपचार के लिए आपके जवाब की प्रतीक्षा रहेगी जिसमें आप कान की मशीन हटवा सके।लेकिन बात सही तथ्यों पर ही कीजियेगा।

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10. पायरिया या पेरियोडेन्टिटीस का पूर्ण सफल इलाज संभव है जिसमें स्केलिंग से लेकर सर्जरी तक शामिल है।

आपको ये तकलीफ है व दन्तकान्ति से ठीक न हुई हो,और उससे ठीक हो भी नही सकती के लिए किसी कुशल डेंटिस्ट से संपर्क करे।


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11. एलोपैथी मे वजन कम करने की दवाइयां है तो सही पर रोजाना 1किलो वजन कम होना संभव भी नहीं है और मेटाबोलिक कारणों से उचित भी नहीं है।आयुर्वेदिक दवाओं से निर्दोष तरीके से मोटापे के मेरे 1 रोगी का 3 महीने में 1 किलो प्रतिदिन के हिसाब से 90 किलो वजन कम करने की महान कृपा करें ,हम आपके आभारी रहेंगे।पर ये ध्यान रखिएगा कि 90 किलो वजन 3 माह में कम करने से उसे कोई गंभीर मेटाबोलिक कंप्लीकेशन्स न हो जाये।

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12. सोरियासिस व सफेद दाग अर्थात विटिलिगो का आप सफल व स्थायी उपचार आयुर्वेद के द्वारा कर के प्रमाणित कर दीजिए,मेरे त्वचा रोग विशेषज्ञ चिकित्सक साथी आयुर्वेद के सदैव ऋणी रहेंगे,किन्तु स्थायी व निर्दोष उपचार की गारंटी देनी होगी।

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13.अंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस जिसमे HLA   B27 पॉजिटिव आता है व RA फैक्टर पॉजिटिव या नेगेटिव ,दोनों ही टेस्ट आयुर्वेद के अनुसार मान्य नहीं है क्योंकि आयुर्वेद इन जांचों को कोई तरजीह नहीं देता।अतः आयुर्वेद को त्रिदोष की चिकित्सा करनी है न कि HLA B27 या RA फैक्टर की।बाबा जी, ये इम्मयून डिसऑर्डरस है जिसका मापन आयुर्वेद नहीं करता।इसलिये इसको नेगेटिव या पॉजिटिव करने का आयुर्वेद के हिसाब से कोई महत्व नहीं है।

आपकी दिक्कत ये है कि निदान तो एलोपैथी के अनुसार करना चाहते हैं व चिकित्सा आयुर्वेद के अनुसार, जो कि विरोधाभासी है।पहले इन जांचों के बेसिस का विस्तार में अध्ययन किसी योग्यताप्राप्त चिकित्सक से करवाइये,क्योंकि इन जांचों को समझना आपके लिए संभव नहीं।इसके समझने के लिए चिकित्सा योग्यता आवश्यक है।

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14.पार्किंसन रोग के लिए एलोपैथी में दवाओं का सेवन निरंतर करना पड़ता है।

आयुर्वेद में आपने पार्किंसन रोग के कितने रोगियों को कितनी अवधि की चिकित्सा के बाद स्थायी व निर्दोष इलाज किया है? कृपया प्रमाणित दस्तावेज उपलब्ध करवाने का कष्ट करें।

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15. कब्ज,गैस,एसिडिटी का रोगी के आहार विहार से बड़ा संबंध होता है।चाय,कॉफी,मिर्च मसालों का सेवन कम करने से पाचन संबंधी रोगों में बहुत लाभ मिलता है।

चाहे एलोपैथी हो या आयुर्वेद,परहेज तो रोगी को रखना ही पड़ेगा।पानी व तरल पदार्थों का सेवन,फाइबर युक्त भोजन,गैस बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थो का त्याग करना आवश्यक है।अन्यथा किसी भी पैथी की दवा कारगर नहीं होगी।

आयुर्वेद में भी चाहे इसबगोल हो या पंचसकार चूर्ण ,परहेज तो रखना ही पड़ेगा।सूतशेखर रस हो या कामदुधा या अविपत्तिकर चूर्ण या लवणभास्कर या हिंगवास्टक चूर्ण,स्थायी इलाज के लिए खाने में  संयम तो जरूरी है।

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16.आपने नींद न आने पर मेधा वटी,दिव्य पेय,दिव्य बादाम रोगन व पावर वीटा बताए हैं।ये सब पतंजलि के उत्पाद हैं जिसमे आपकी कंपनी का मुनाफा जुड़ा हुआ है। कब तक लेने पड़ते है व क्या स्थायी रूप से बिना दवा के नींद आने लगती है।कृपया जवाब देने की कृपा करें।

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17.स्ट्रेस हॉर्मोन का आयुर्वेद में कहीं वर्णन नहीं मिलता इसलिए ये प्रश्न फिजूल है।

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18.ये आपका भ्रम है कि एलोपैथी में संतानहीनता की चिकित्सा सिर्फ IVF या टेस्ट ट्यूब बेबी ही है।शुक्राणुओं की संख्या मे कमी, गतिशीलता मे कमी, अण्डोत्सर्ग से सम्बंधित समस्याओं,मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं का एलोपैथी में स्थायी व निर्दोष चिकित्सा उपलब्ध है।संतानहीनता के सिर्फ कुछ प्रतिशत केसों में ही IVF या ICSI तकनीक का उपयोग किया जाता है।

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19.बढ़ती उम्र का प्रभाव तो शरीर की सभी क्रियाविधियों को धीमा कर देता है।ये प्रक्रिया अलग अलग व्यक्तियों में भिन्न होती है।जहाँ तक मुझे जानकारी है कि आयुर्वेद में अब च्यवन ऋषि वाले शास्त्रोक्त पंचकर्म व रसायन सेवन की विधा तो लुप्त प्राय हो गयी है।बाकी आपकी सौंदर्य क्रीम का कोई सकारात्मक प्रभाव दृष्टिगोचर नहीं हुआ जिसे आपने लालू जी को भी लगाई थी।

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20. एलोपैथी में रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ाने के लिए गोली,कैप्सूल व इंजेक्शन उपलब्ध हैं जो पूर्णतः निर्दोष अर्थात बिना साइड इफ़ेक्ट के।

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21.जो पहले से होमोसेपियंस हैं वो इंसान ही हैं।बाकी तो चाहे एलोपैथी हो या आयुर्वेद हो,हिंसा,क्रूरता,लालच व हैवानियत को कोई दवा नहीं बदल सकती,इसके लिए इंसान को सही शिक्षा व आत्मावलोकन करना आवश्यक है।

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22.एलोपैथी में शराब व ड्रग्स के एडिक्शन को छुड़वाने की बेहतरीन दवाएं हैं।नशा मुक्ति केंद्रों में ये दवाएं व सुविधाएं उपलब्ध हैं।जिनका नाम प्रकाशित करना मेडिकल एथिक्स के खिलाफ है।

आप किसी भी नशे करने वाले मरीजों को एलोपैथी के नशामुक्ति केंद्र पर रैफर कर सकते हैं।

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23. एलोपैथी व आयुर्वेद में कभी कोई झगड़ा न था ,न है व न भविष्य में होगा।कुछ व्यवसायी अपने व्यापारिक हितों के लिए एक दूसरे पर मिथ्या दोषारोपण कर रहे हैं जो सिर्फ धन लाभ के लिए किया जा रहा है।

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24. बिना ऑक्सीजन सिलिंडर के ऑक्सीजन बढ़ाने के एलोपैथी में अनेक साधन हैं जिनमें ब्रोकोडिलटर्स,इनहेलर,फिजियोथेरेपी आदि शामिल हैं।

आयुर्वेद में ऑक्सीजन बढ़ाने की कोई दवा हो तो जनहित में बताने की कृपा करें।

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25. ये आखिरी सवाल सबसे बचकाना है।डॉक्टर भी इंसान है,वातावरण में होने वाले परिवर्तन,शारीरिक व मानसिक संरचना व कार्यविधि डॉक्टर के स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है।

आचार्य बालकृष्ण जी आयुर्वेद के विद्वान व चिकित्सक होने के बाद भी हॉस्पिटल में भर्ती हुए व चिकित्सा करवाई।किसी भी पैथी का चिकित्सक होना उसे कभी भी रोगी न होने देने की गारंटी नहीं देता।

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