प्लस वेरिएंट से उज्जैन में हुई पहली मौत के परिवार तक पहुंचा दैनिक मालव क्रांति एक महीने बाद परिवार को सूचना मिलने से नाराज परिवार के सदस्यों ने शासन, प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाएं अस्पतालों ने भी जमकर लूटा 3 दिन के ढाई लाख रुपए वसूले

 









उज्जैन। मध्यप्रदेश में खतरनाक डेल्टा प्लस वैरीअंट से उज्जैन की ऋषि नगर में रहने वाली जिस महिला की मौत हो गई उसको लेकर परिवार के सदस्य प्रशासन और शहर के निजी अस्पतालों पर न सिर्फ आरोप लगा रहे हैं बल्कि उन्होंने जो सवाल उठाए हैं उससे लगता है कि जिला प्रशासन सहित प्रदेश सरकार डेल्टा प्लस वैरीअंट को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं है , एक महीने बाद परिवार को बताया गया कि उनके यहां हुई मौत के लिए डेल्टा प्लस वैरीअंट जिम्मेदार है ,दैनिक मालव क्रांति ने आखिरकार महिला का घर ढूंढ लिया और जब हमारी टीम ने घर पहुंच कर परिवार के सदस्यों से बात की तो सामने आया यह काला सच की महिला की मौत समय पर डायग्नोसिस ना होने के कारण और निजी अस्पतालों की लूट के कारण हुई है ,महिला के पति ने अनेक सवाल खड़े किए हैं, उनका कहना है कि अचानक पिछले रविवार से उनके पास फोन आना शुरू हुए तब उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी की मौत डेल्टा प्लस वैरीअंट के कारण हुई है ,उन्होंने बताया कि शुरुआत में उनकी पत्नी का spo2  97 था लेकिन अस्पताल में भर्ती होने के बाद लगातार इसमें गिरावट आई और उन्हें घबराहट होने के साथ-साथ सांस लेने में दिक्कत भी आई जिस संजीवनी अस्पताल में उन्हें भर्ती किया गया था वहां पर सीटी स्कैन की सुविधा ना होने के कारण फेफड़ों में जो संक्रमण हुआ उसकी जानकारी 3 दिन बाद और मरने के लगभग 10 घंटे पहले मिल पाई। फेफड़ों में जब तक 95% संक्रमण पहुंच चुका था, जिसकी वजह से उनकी पत्नी की मौत हो गई, महिला के पुत्र का भी कहना है कि प्रशासन ने एक महीने बाद बताया कि मम्मी को इतना खतरनाक वायरस था टाइम पर यदि जानकारी दे देते तो शायद मां को बचा पाते, यही दर्द महिला की बेटी का भी है, बेटी ज्योति ने बताया कि 17 मई को उसकी मां की रिपोर्ट प्राइवेट लैब में जांच करवाने के बाद पॉजिटिव आई थी, 20 मई को उन्हें संजीवनी अस्पताल में भर्ती किया गया इस आशा के साथ की मां का बेहतर इलाज हो सकेगा, लेकिन अस्पताल में डेढ़ लाख रुपया वसूल करने के बाद भी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई गई, यहां तक की जो सीटी स्कैन 20 मई को हो जाना चाहिए था वह नहीं हो पाया और 22 मई को मां को शहर के एक अन्य अस्पताल पाटीदार में भर्ती करना पड़ा लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और संक्रमण फेफड़ों में 95% तक पहुंच चुका था ,सीटी स्कैन की रिपोर्ट आने के कुछ समय बाद मां की मौत हो गई पाटीदार अस्पताल ने भी लूट का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 1 दिन का ₹100000 वसूला, परिवार के सदस्य इलाज में देरी को मौत का जिम्मेदार तो बता ही रहे हैं साथ ही उनका यह भी दर्द है कि उज्जैन के प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों को जमकर लूटा और उन्हें समय पर उचित इलाज तक उपलब्ध नहीं करवाया। मौत के बाद अब परिवार सदमे में है और इस मौत पर न्याय की उम्मीद लगाए बैठा है, परिवार के सदस्यों का कहना है कि यदि समय पर सही इलाज मिल जाता तो आज परिवार की खुशियां इस तरह तितर-बितर नहीं होती।

खतरनाक डेल्टा प्लस वैरीअंट कुछ नहीं बिगाड़ पाया मृतक के बेटे का


जिस डेल्टा प्लस वेरिएंट को खतरनाक बताया जा रहा है उस डेल्टा प्लस वेरिएंट की वजह से ऋषि नगर में रहने वाली 59 वर्षीय महिला की मौत और मौत के बाद बवाल मचा है ,वह  वेरिएंट उसके बेटे का कुछ नहीं बिगाड़ पाया दैनिक मालव क्रांति को जानकारी देते हुए बेटे ने बताया कि मां की तबीयत खराब होने के बाद वह लगातार सेवा करता रहा और मां के साथ रहा लेकिन डेल्टा प्लस वेरिएंट उसका बाल भी बांका नहीं कर पाया ,यहां तक की मां की सेवा में लगे रहे पुत्र को कोरोना का जरा भी आभास नहीं हुआ महिला के  पति को भी डेल्टा प्लस वेरिएंट कोई हानि नहीं पहुंचा पाया, पति दिलीप सिंह ने मालव क्रांति को बताया कि शुरुआत में उन्हें ही सर्दी खांसी की शिकायत हुई थी ,जिसका इलाज वह घर पर रहकर ही करवाते रहें और ठीक भी हो गए, उन्हें इस बात का मलाल है कि उनकी वजह से उनकी पत्नी चपेट में आ गई और 23 मई को निजी अस्पतालों की लापरवाही की वजह से उनकी पत्नी की मौत हो गई। 

यह कैसी व्यवस्था 

मृतका के प्रति दिलीप सिंह ने इस बात पर एतराज जताए की जब डेल्टा  प्लस वैरीअंट इतना खतरनाक है तो इसकी सूचना उन्हें पत्नी की मौत के लगभग 1 महीने बाद क्यों दी गई, उनका कहना था कि इस बीच यदि परिवार के किसी और सदस्य के साथ अनहोनी हो जाता तो कौन जवाबदार होता।


 बेटी बोली यह बेहद गैर जिम्मेदाराना और लापरवाही है


 मृतका की बेटी ज्योति का कहना है कि डेल्टा प्लस वैरीअंट की जानकारी उन्हें पिछले रविवार को ही दी गई अचानक जिला प्रशासन और भोपाल से जब फोन आना शुरू हुए तो उन्हें पता लगा कि उनकी मां की मृत्यु डेल्टा प्लस वैरीअंट के कारण हुई है, बेटी ने सवाल उठाया कि जब वैरीअंट इतना खतरनाक है तो इसकी जांच और सूचना देने में इतनी देरी क्यों ,उन्होंने अपनी 2 माह की बच्ची की ओर इशारा करते हुए कहां की यदि मेरी बेटी इस वैरीअंट के प्रभाव में आ जाती तो क्या होता ,क्योंकि इतने खतरनाक वेरिएंट को लेकर जिला प्रशासन इतना लापरवाह कैसे हो सकता है।


अस्पतालों ने चमड़ी तक नोचने में कोई कसर नहीं रखी

मृतका के परिजन इस बात से नाराज है कि कोरोना की दूसरी लाइन में प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों के साथ जमकर लूटपाट की मृतका के प्रति दिलीप सिंह का कहना है कि संजीवनी अस्पताल में उनकी पत्नी को 2 दिन रखा गया लेकिन वहां ना तो आई सी यू उपलब्ध कराया गया और नहीं जरूरी जांच जिसमें सीटी स्कैन शामिल है नहीं करवाई गई अस्पताल प्रबंधन ने दो बार सीटी स्कैन करवाने के लिए उनकी पत्नी को अन्य प्राइवेट अस्पताल में बेचने का प्रयास भी किया लेकिन ऑक्सीजन लेवल अचानक गिरने के कारण सीटी स्कैन नहीं करवाया जा सका 2 दिन का चार्ज लगभग डेढ़ लाख रुपया वसूल किया गया इसके बाद उन्हें पाटीदार अस्पताल में भर्ती करने की सलाह दी गई क्योंकि वहां पर सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध है परिवार के सदस्य जब मरीज को पाटीदार अस्पताल में ले गए तो 1 दिन बाद वहां महिला की मौत हो गई परिवार का आरोप है कि 1 दिन का चार्ज ₹100000 वसूला गया, 3 दिन में ढाई लाख रुपए खर्च करने के बावजूद अपनी मां को ना बचा पाने का दुख अब जिंदगी भर का गम बनकर रहेगा बेटे ,बेटी और पति अस्पतालों की लूट से हैरान है


समय पर सिटी स्कैन हो जाता तो शायद जान बच जाती


ऋषि नगर की 59 वर्षीय महिला की मौत का मुख्य कारण डेल्टा प्लस वैरीअंट तो है ही साथ ही उज्जैन के निजी अस्पतालों की मनमानी भी है उनके पति का कहना है कि संजीवनी अस्पताल में यदि समय पर उनकी पत्नी की सीटी स्कैन की जांच हो जाती तो जल्दी इलाज शुरू हो जाता और शायद उनकी पत्नी की मौत ना होती उन्होंने कहा कि डॉक्टर विकास का भी यही कहना है कि समय पर यदि मालूम हो जाता की फेफड़ों में 95% तक इंफेक्शन है तो शायद हम उनकी जान बचा लेते । हालांकि इस प्रकरण के सामने आने के बाद यह भी तय हो गया है कि डेल्टा प्लस वैरीअंट जितना खतरनाक बताया जा रहा है उतना ही नहीं क्योंकि महिला के प्रतीक जिनकी उम्र 61 वर्ष है कोविशिल्ड का एक डोज लेने के बाद न सिर्फ सुरक्षित रहे बल्कि घर में ही इलाज करवाने पर ठीक हो गए महिला का बेटा जो लगातार उनके साथ था उसे कोरोना छू तक नहीं पाया।

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