बेशर्मी और झूठ की हदें पार करता प्रेस क्लब

 *दारूण कथा-18: “अराजकता" हुई सीमा पार...!*









एक सामान्य नागरिक भी ये मानकर चलता है कि पत्रकार जो लिखते हैं और दिखाते हैं, वो सब सच्चाई के निकट होता है! और यदि पत्रकारों के नेता बोलें तो उनको कम-से-कम अविश्वसनीय नहीं माना जाना चाहिए! बहरहाल, उज्जैन प्रेस क्लब के मामले में अब-तो अपवाद ही अपवाद हैं! इसी अत्यधिक विवादित मामले को मैं सबके सामने पेश कर रहा हूं...


 *26/3/2022* को एक अभूतपूर्व दृश्य प्रकट हुआ, कोठी रोड, उज्जैन स्थित तरणताल परिसर में...कई ऐसे पत्रकारिता के हस्ताक्षर जो 60 वर्ष/50 वर्ष/40 वर्ष/30 वर्ष/20 वर्ष और 10 वर्षों से लगातार और घनघोर रूप से अपने जीवन का अमूल्य समय पत्रकारिता को समर्पित किए हुए हैं, वो मातृ संस्था के मुहाने बैठ गए ‘अनिश्चितकालीन धरने’ पर और जब ये पोस्ट लिखी जा रही थी (रात्रि 2 बजे) तब तक वे घर और कारोबार को छोड़ डटे हुए थे, आन्दोलन स्थल पर...वो संस्था को सुरक्षित हाथों में रखने की लड़ाई छेड़े हुए हैं, जो वाकई अत्यंत जरूरी है, किसी के नफे-नुक्सान के लिहाज से नहीं, अपितु पत्रकारिता जगत की अस्मिता हेतु...इस तरह के अप्रत्याशित हालात क्यों बने, इस पर व्यापक चर्चा होना चाहिए...


 दिल्ली और भोपाल में ही नहीं, आजकल उज्जैन में भी मीडिया ट्रायल खूब चल रहा है...सारे शहर की रोडें खुदी हुई हैं...घरों में पीने योग्य पानी आता नहीं...स्कूल/कॉलेज/विश्वविद्यालयों में भर्ती की प्रक्रिया में अनियमितता है...तहसील/कचहरी/नगरनिगम/पंचायत कार्यालयों में भ्रष्टाचार का बोलबाला है...महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन और भस्मारती देखने में कालाबाजारियों का कब्ज़ा है...मंत्री/संत्री खाने-पीने-देशाटन करने में व्यस्त हैं...ये सब समाचार प्रिंट/ इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया की सुर्खियां हुआ करते हैं, रोजाना और हमेशा!


 लेकिन मैं आज कुछ अहम् दस्तावेज आपकी खिदमत में पेश करना चाहता हूं...इनमें से कुछ सत्यापित प्रतिलिपि हैं और शेष मेरे द्वारा प्रस्तुत प्रमाण: प्रेस क्लब द्वारा उज्जैन के भरतपुरी स्थित सहायक पंजीयक, फर्म्स एंड सोसाइटी कार्यालय में *07/11/2019* को प्रस्तुत ये दो पेज के डॉक्यूमेंट हैं. संस्था के आखिरी चुनाव 22/10/2019 को हुए थे! चांडाल चौकड़ी ने उसी दिन साधारण सभा (AGM) भी करवाई थी, लेकिन उसका कोई ब्यौरा जमा नहीं किया आज दिनांक तक! आगे देखिये: 07/11/2019 से अवैधानिक रूप से कार्यरत कार्यकारिणी ने आज यानी 27/03/2022 तक कोई AGM नहीं बुलाई! अब बताइये, जब रिकॉर्ड पर कुछ नहीं है तो किस आधार पर किसी को फर्जी/ किसी को विद्रोही और किसी को माकूल नहीं बताकर संस्था को रसातल में पहुंचाया जा रहा है?    


 *संस्था ही नहीं, बल्कि उज्जैन की गरिमामय और गौरवमय पत्रकारिता को अपने कुर्सी-प्रेम के कारण तहस-नहस करने पर उतारू एक महोदय AGM की बड़ी दुहाई दे रहे हैं!* खुद इन्होंने 22/10/2019 से लेकर 27/03/2022 (यानी आज) तक AGM की कोई बैठक आहूत ही नहीं की है!


  मैं आज इनका असली कार्यप्रणाली सप्रमाण उजागर करता हूं: *30 सितम्बर 2019 के दिन  मातृ संस्था द्वारा बुलाई गई AGM के सामूहिक निर्णय* अनुसार, “एक 12 सदस्यीय छानबीन समिति का गठन किया गया था.” “इस समिति के गठन का उद्देश्य क्लब में संस्था बायलॉज़ के अनुसार सदस्यता की पात्रता पर पुनरविचार करने और योग्य सदस्यों की सदस्यता यथावत रखना है.” इस छानबीन समिति में श्रीमान बंटाढार भी एक सदस्य थे. कृपया बैठकों की प्रोसेडिंग और उपस्थित सदस्यों के नाम गौर-से पढ़िए...


 *निष्कर्ष:* (1)   30 सितम्बर 2019 के दिन  मातृ संस्था द्वारा बुलाई गई AGM के सामूहिक निर्णय अनुसार वो सब लोग भी संस्था के न सिर्फ सदस्य थे, जिनको अतिवादी/ आतंकवादी/विद्रोही ठहराये जाने के खोखले षड़यंत्र रचे जा रहे हैं,

 (2) संस्था के अध्यक्ष/सचिव/कोषाध्यक्ष द्वारा अपने निर्वाचन के तुरंत बाद बुलाई गई कार्यकारिणी की 07/11/2019 की पहली बैठक की जो प्रोसेडिंग उज्जैन के भरतपुरी स्थित सहायक पंजीयक, फर्म्स एंड सोसाइटी कार्यालय में प्रस्तुत की गई है, उसमें किसी भी माननीय सदस्य को हटाने का उल्लेख नहीं हैं, (3) चांडाल चौकड़ी ने 30 सितम्बर 2019 के दिन  मातृ संस्था द्वारा बुलाई गई AGM की कोई प्रोसेडिंग उज्जैन के भरतपुरी स्थित सहायक पंजीयक, फर्म्स एंड सोसाइटी कार्यालय में प्रस्तुत नहीं की है, (4) 22/10/2019 को जो पूर्णत: अवैधानिक निर्वाचन हुए और जिसमें 23 प्रमुख पत्रकारों को कथित रूप से संस्था विरोधी  गतिविधियों के कारण सदस्यता से बर्खास्त किए जाने के फर्जी दावे किए जा रहे हैं उसकी प्रोसेडिंग तक आज दिनांक तक उज्जैन के भरतपुरी स्थित सहायक पंजीयक, फर्म्स एंड सोसाइटी कार्यालय में प्रस्तुत नहीं की गई है और (5) जाती हुई कार्यकारिणी ने पिछले ढाई साल में कोई AGM नहीं बुलाई, वो बकवास कर रही है कि AGM का निर्णय था, “23 पत्रकारों को संस्था विरोधी  गतिविधियों के कारण सदस्यता से बर्खास्त किए जाने का, इसीलिए AGM ही अंतिम निर्णय लेगी...


*संलग्न: सात पेज के अत्यधिक महत्वपूर्ण एवीडेंस*



*(कथाओं की दारूणता जानने के लिए पढ़ते रहिये निरुक्त भार्गव को)*  


श्री निरुक्त भार्गव उज्जैन शहर और प्रवेश एवं देश के सुधि पत्रकारों में शामिल है उन्हीं की Facebook wall se aabhar sahit

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